क्या अंतर है एक न्यूरोसर्जन और न्यूरोलॉजिस्ट के बीच ?

  • लर दुर्घटनाएं जैसे इस्केमिक तथा हेमोरेजिक तथा वेन्स स्ट्रोक्स, न्यूरो इन्फेक्शन, न्यूरोपैथीज, मूवमेंट डिसॉर्डर जैसे पार्किंसंस रोग, अनिद्रा, डेमेंशिया, नर्वस सिस्टम पर असर डालने वाले सिस्टमैटिक डिसॉर्डर, मसल डिसॉर्डर, मिसथिनिया ग्रेविस जैसे न्यूरोमस्कुलर जंक्शन डिसॉर्डर इत्यादि।
  • न्यूरोलॉजिस्ट को रोगी के रोग को न केवल जानना होता है बल्कि रोग के सारे पुराने पन्नो को भी खोलना होता है, क्यूंकि मस्तिष्क एक बहुत ही काम्प्लेक्स अंग है शरीर का, इसलिए उसके इलाज हेतु न्यूरोलॉजिस्ट को बड़ी बारीकी के साथ चीजों का अध्यन करना होता है, जिसमे कई प्रकार के टेस्ट भी शामिल होते है जैसे कि कैट स्कैन, एमआरआई तथा ईईजी इत्यादि।

न्यूरोसर्जन कौन है ?

  • न्यूरोसर्जन एक चिकित्सक होता है, जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, मेरुरज्जु, तंत्रिकाओं, इंट्राक्रैनियल, और इंट्रास्पाइनल वैस्क्युलेचर आदि रोगों का इलाज करते है। न्यूरोसर्जन विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी परेशानियों के उपचार के लिए जाने जाते है। इन्हे शल्यकार, शल्य-चिकित्सक, स्नायु-विशेषज्ञ, मस्तिष्क सर्जन, ऑपरेटिंग सर्जन आदि नामो से जाना जाता है।
  • न्यूरो सर्जन काफी अनुभवी होते है और जब आपको किसी गंभीर समस्या के लिए सर्जरी का चयन करना हो तो आप इनका चयन जरूर से करें।

न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन के बीच के अंतर को कैसे समझे ?

  • न्यूरोलॉजिस्ट्स मस्तिष्क से जुड़ी परेशानियों के इलाज और डायग्नोसिस के लिए जाने जाते है। ये नर्वस सिस्टम का भी उपचार करते है, जबकि न्यूरोसर्जन कई प्रकार की थेरेपी, ओपन सर्जरी, न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के उपचार के लिए जाने जाते है। 
  • न्यूरोलॉजिस्ट्स न्यूरोलॉजिकल कंडीशन का पता लगाने के लिए एलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम्स और एलेक्ट्रोमोग्राफी जैसे टेस्ट करते है, जबकि न्यूरोसर्जन मस्तिष्क के ट्रामा, स्पाइन, कैंसर, स्ट्रोक्स और एन्यूरिज्म (aneurysms), और कई प्रकार की स्पाइन, मस्तिष्क और स्कल बेस एरिया के उपचार के लिए जाने जाते है।
  • न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोडेवेलपमेंटल डिसऑर्डर्स और सेरिब्रल पाल्सी को संभालने, क्रोनिक कंडीशन को समझने तथा सही उपचार के लिए भी होते है, न्यूरोसर्जन भी कभी-कभी कुछ ऐसे उपचार करते है।
  • वहीं एक बेहतरीन न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन दोनों को नर्वस सिस्टम की अच्छी जानकारी होना आवश्यक है।

एक न्यूरॉसर्जन का चयन कब किया जाता है ?

  • कतरन की समस्या होने पर।  
  • इंडोवैस्कुलर रिपेयर के लिए। 
  • डिस्क को हटाने के लिए।  
  • क्रानिओटोमी के लिए।   
  • लम्बर पंक्चर होने की स्थिति पर।   
  • अनुरिस्म रिपेयर होने पर। 

यदि उपरोक्त में से किसी भी हिस्से की सर्जरी करवाने के बारे में आप सोच रहें है, तो इसके लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

एक न्यूरोलॉजिस्ट का चयन कब किया जाता है ?

  • जब आपको सर्जरी का सहारा न लेना हो तब आप न्यूरोलॉजिस्ट का चयन कर सकते है।
  • लगातार चक्कर आने की स्थिति में। 
  • संवेदनाओं या भावनाओं में बदलाव आने की स्थिति में।
  • संतुलन के साथ कठिनाइयां आने पर। 
  • सिर में दर्द की समस्या होने पर।
  • भावनात्मक भ्रम होने पर।
  • मांसपेशियों में थकान महसूस होने पर आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए। 
  • पूरे सिर में भारीपन का लगातार अहसास होने पर।

प्रशिक्षण और शैक्षिक योगिताए क्या है न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन की !

  • एक न्यूरोलॉजिस्ट और एक न्यूरोसर्जन के बीच के अंतर को समझने के लिए, प्रत्येक क्षेत्र में विशेषज्ञ बनने के लिए आवश्यक डिग्री और विशेषज्ञता में अंतर को समझना सबसे पहले आवश्यक है। 
  • न्यूरोलॉजिस्ट बनने के लिए चार साल के प्री-मेडिकल स्कूल की आवश्यकता होती है, इसके बाद न्यूरोलॉजी में मेडिकल डिग्री और मूवमेंट, स्ट्रोक आदि में अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। 
  • वहीं न्यूरोसर्जन बनने का शैक्षिक मार्ग अधिक विस्तृत है, जिसके लिए चार साल के प्री-मेडिकल स्कूल और चार साल के मेडिकल स्कूल की आवश्यकता होती है। आवेदक को अधिक विस्तारित गृह निवास पूरा करना होगा। अन्य बातों के अलावा, न्यूरोसर्जन को यह सीखना चाहिए कि रीढ़ और परिधीय नसों पर कैसे काम करना है।

किस बीमारी का इलाज इनके द्वारा किया जाता है ?

  • न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन में अंतर करते समय समझने का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि प्रत्येक विशेषज्ञ द्वारा संभाली जाने वाली स्थितियां है। न्यूरोलॉजिस्ट मिर्गी, अल्जाइमर रोग, परिधीय तंत्रिका विकार और एएलएस जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के इलाज में रुचि रखते है।
  • दूसरी ओर, न्यूरोसर्जन मस्तिष्क की चोटों, ट्यूमर को हटाने और कार्पल टनल सिंड्रोम से निपटते है। दोनों चिकित्सक अपने रोगियों के उचित इलाज के लिए मिलकर काम करते है, आवश्यकतानुसार चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं को एकीकृत करते है।
  • चिकित्सकों के इन दो समूहों और उनके द्वारा संभाली जाने वाली बीमारियों में कुछ समानताएँ है। जैसे जब सर्जरी की आवश्यकता होती है, तो न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर मरीज का सहयोग करते है, उदाहरण के लिए, एक न्यूरोलॉजिस्ट एक मरीज को सर्जरी के लिए एक न्यूरोसर्जन के पास भेजते है।

ध्यान रखें :

सामान्य दिमागी समस्या होने पर आपको समय रहते बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए। 

सुझाव :

अगर आप दिमागी चोट और साथ ही दिमागी दौरे की समस्या से काफी परेशान है तो इससे बचाव के लिए आपको समय रहते न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें की आपको अपनी समस्या के लिए किस तरह के डॉक्टर का चयन करना चाहिए, इसके बारे में आपको इस लेख के माध्यम से जरूर पता चलेगा।

निष्कर्ष :

उम्मीद करते है की आपने जान लिया होगा की आखिर न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन के बीच क्या अंतर है और साथ ही किस समस्या के लिए हमे किनका चयन करना चाहिए ये भी। इसके अलावा अगर आप अपनी बीमारी के लिए इनमे से किसी का भी चयन करें तो इस बात का जरूर ध्यान दें की आपके सर्जन की शिक्षा उसके ओहदे के हिसाब से है या नहीं।

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    Cervicogenic Headache: Symptoms, Causes, and Treatments

    A cervicogenic headache is defined by neck pain that radiates to the brain. It is a kind of headache brought on by another disease, such as an infection or a neck injury.

    Cervicogenic headaches are often confused for tension and migraine headaches, both of which can result in neck pain. This makes them distinct from main headaches like migraine and cluster headaches.

    If you experience this problem, you should seek advice from a medical professional at a reputable Neuro Hospital in Ludhiana to manage the situation more effectively.

    We go through just a few cervicogenic headache symptoms, causes, and treatments in this article.

    Symptoms

    One indication of CH is pain that occurs when your neck moves suddenly. Another is that having your neck in the same posture for an extended time might cause head pain.

    Other indications could be:

    • One side of your head or face may be in pain.
    • steady yet non-throbbing ache
    • When you breathe deeply or cough, your head may hurt.
    • a pain attack that may last for several hours or days
    • You cannot move your neck normally if it is stiff.
    • Pain that is confined to one area, such as the side, back, or front of your head or an eye

    Despite the differences between CH and migraines, some symptoms may be comparable. You could, for instance:

    • Feel sick to your stomach
    • Tough choice
    • Having shoulder or arm pain
    • Feel sick or uneasy under bright light
    • Feel sick or uneasy with loud noise
    • Have blurry vision
    • Some people feel both CH and a migraine simultaneously. It can be challenging to see the truth in this situation.

    Causes

    Cervicogenic headaches can be brought on by a variety of factors, and sometimes it’s impossible to identify the exact cause.

    CH can occur from long-term issues with your neck’s vertebral column, joints, or neck muscles. For instance, the way some people hold their heads while working, such as hair stylists, carpenters, and truck drivers, might cause CH.

    People who raise their heads out in front of their bodies occasionally get CH. “Forward head motion” is what that is, and it strains your neck and upper back.

    It can also come from a sports injury, whiplash, arthritis, or a tumble. Alternatively, your neck’s nerves could be compressed (squeezed).

    Cervicogenic headaches can also occur from a tumor or a fracture (minor break) in your neck or upper spine.

    Treatment

    There are different methods to reduce or alleviate the pain that comes with cervicogenic headaches:

    Medication: Non-steroidal anti-inflammatories, muscle relaxants, and other pain medications, such as aspirin or ibuprofen, may help to reduce the pain.

    Nerve block: This may provide short-term pain relief and improve your ability to benefit from physical therapy.

    Physical therapy: Stretching and exercise are helpful in physical therapy. Consult a Neurologist in Ludhiana to decide the best and safest form of exercise for you.

    Spinal manipulation: This combines joint movement, physical treatment, and massage. Only a physical therapist, a chiropractor, or an osteopath should perform it (a doctor who has special training in the way your nerves, bones, and muscles work together).

    Other options:  Acupuncture and relaxation techniques like deep breathing or yoga are 

    examples of non-surgical treatments to manage the discomfort.

    Surgery: Despite the rarity, if your CH discomfort is extreme, the Best neurosurgeon in Ludhiana can suggest a treatment to avoid pinching your nerves.

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      New treatment modalities in epilepsy

      Epilepsy means having seizures again and again. It’s hard to deal with, but there are new treatments that might help. Devices that can sense and stop seizures before they happen are being used. Also, tests for genes can help doctors make treatments that work better for each person. These new things give hope for a better life for people with epilepsy.

      What Causes Epilepsy, Its Signs, and How It Can Be Treated?

      Epilepsy happens when the brain has problems sending signals. This can be due to many reasons, such as injury or genetics. Signs of epilepsy vary, but they can include shaking or losing consciousness. Treatment involves medicines, therapies, and sometimes surgery.

      Medicine for Epilepsy:

      Doctors usually give drugs to control seizures. Sometimes, though, these drugs don’t work well or cause side effects. That’s when specialists, like neurologists in Punjab, step in to find the right medicine for each person.

      Other Ways to Help:

      Apart from medicine, other things can help with epilepsy. For instance, therapy, special diets, and certain devices can make a difference. These methods don’t replace medicine but can work alongside it to control seizures.

      Changing What You Eat:

      Some people find that changing what they eat can help with epilepsy. One diet that’s been shown to work is the ketogenic diet. It’s low in carbs and high in fat and might reduce how often seizures happen, especially in kids. Neurosurgeons in Ludhiana and dietitians work together to ensure safety and effectiveness.

      Making Your Environment Safer:

      Simple changes at home or work can help prevent seizures. This might mean reducing screen time, avoiding flashing lights, or getting enough sleep. These adjustments can make a big difference in how often seizures happen.

      What are the common misunderstandings about how the brain works?

      People often think the brain works the same way all the time, but it’s very flexible. Also, not all seizures look the same – some can be subtle behavioural changes. Understanding these things helps us better manage conditions like epilepsy.

      Surgery:

      For some people, surgery is an option when medicines don’t work well. Surgeons can remove parts of the brain that cause seizures. Some devices can help, like ones that stimulate nerves in the brain to stop seizures.

      New Ideas:

      Technology is giving us new ways to treat epilepsy. Some devices can detect seizures and stop them before they start. These innovations give hope to people without relief from traditional treatments.

      How India is Helping:

      In India, Neurosurgeon in Ludhiana and specialists are working hard to improve epilepsy treatment. They’re using old and new methods to give people the best care possible. This means more options for treatment and better outcomes for patients.

      Conclusion:

      Epilepsy treatment is getting better all the time. New medicines, therapies, and technologies are helping people with epilepsy more than ever. Neurociti Hospital and Neurologists in Punjab worldwide are working together to find the best ways to help people with this condition.

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        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਕਾਰਨ, ਲੱਛਣ, ਰੋਕਥਾਮ, ਇਸਦੀ ਗੰਭੀਰਤਾ ਤੇ ਇਲਾਜ਼

        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਸਰਲ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਦਿਮਾਗ ਦੀ ਨਾੜੀ ਦੇ ਫਟਣ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਇੱਕ ਕਿਸਮ ਦਾ  ਦਿਮਾਗੀ ਦੌਰਾ ਹੈ।ਇਹ ਦਿਮਾਗ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਧਮਣੀ ਦੇ ਫਟਣ ਅਤੇ ਆਲੇ ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਵਿੱਚ ਖੂਨ ਵਗਣ ਦੇ  ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।ਦਿਮਾਗ ਵਿੱਚ  ਖੂਨ ਦਾ ਵਗਣਾ ਦਿਮਾਗੀ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਖਤਮ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

        ਕਿਉਂਕਿ ਕੁਝ ਬਰੇਨ  ਹੈਮਰੇਜ ਸ਼ਰੀਰ ਨੂੰ ਲਕਵਾ ਮਾਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਜਾਨਲੇਵਾ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਲਈ  ਜੇਕਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਹੈਮਰੇਜ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤਾਂ ਡਾਕਟਰੀ ਸਹਾਇਤਾ ਜਲਦੀ ਮੁਹਈਆ ਕਰਵਾਣਾ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦੇ ਹਾਲਾਤ ਵਿੱਚ  ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਸ ਦੇ  ਕਾਰਨਾਂ, ਲੱਛਣਾਂ, ਇਲਾਜਾਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਹੋਣੀ ਜਰੂਰੀ ਹੈ।

        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦੇ ਕਾਰਨ 

        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦੇ ਕੁਝ ਮੁਖ ਕਾਰਨ ਇਸ ਤਰਾਂ ਹਨ : 

          • ਸਿਰ ਦੀ ਸੱਟ :  50 ਸਾਲ ਤੋਂ ਘੱਟ ਉਮਰ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਦਿਮਾਗ ਵਿੱਚ ਖੂਨ ਵਗਣ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਆਮ ਕਾਰਨ ਸਿਰ ਦੀ ਸੱਟ ਹੈ।
          • ਹਾਈ ਬਲੱਡ ਪ੍ਰੈਸ਼ਰ: ਹਾਈ ਬਲੱਡ ਪਰੈਸ਼ਰ, ਜੇਕਰ  ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੈ, ਖੂਨ ਦੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰ ਸਕਦਾ  ਹੈ।ਸਮੇ ਤੇ  ਇਲਾਜ ਨਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹਾਈ ਬਲੱਡ ਪਰੈਸ਼ਰ, ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦਾ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਕਾਰਨ ਹੈ।
          • ਐਨਿਉਰਿਜ਼ਮ:  ਐਨਿਉਰਿਜ਼ਮ ਖੂਨ ਦੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਦੀ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਖ਼ੂਨ ਦੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਕੇ  ਸੁੱਜ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਉਦੋਂ ਇਹ ਸਥਿਤੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਨਾੜੀਆਂ ਕਦੇ ਵੀ  ਫਟ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ  ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ ਵਿੱਚ ਖੂਨ ਵਹਿ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਰੇਨ  ਹੈਮਰੇਜ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ।
          • ਖੂਨ ਜਾਂ ਖੂਨ ਵਗਣ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਕਾਰ:  ਹੀਮੋਫਿਲਿਆ ਅਤੇ ਸਿੱਕਲ  ਸੈੱਲ ਅਨੀਮੀਆ ਦੋਵੇਂ ਖੂਨ ਦੇ ਪਲੇਟਲੈਟਸ  ਅਤੇ ਥੱਕੇ ਜੰਮਣ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਘਟਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਖੂਨ ਪਤਲਾ ਹੋਣ ਕਰਨ ਇਹ ਇੱਕ  ਜੋਖਮ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
          • ਲਿਵਰ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ: ਲਿਵਰ ਦੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਆਮ ਤੋਰ ਦੇ ਖੂਨ ਦੇ ਦਬਾਅ ਨੂੰ ਵਧਾ ਦਿੰਦਿਆਂ ਹਨ।   ਜੇਕਰ ਇਸ ਦਾ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਇਲਾਜ਼ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਇਹ ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣ ਸਕਦਾ ਹੈ।  

        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦੇ ਲੱਛਣ 

        ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦੇ ਲੱਛਣ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਖੂਨ ਵਹਿਣ ਦੀ ਸਥਿਤੀ, ਖੂਨ ਵਹਿਣ ਦੀ ਤੀਬਰਤਾ, ​​ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਟਿਸ਼ੂ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਲੱਛਣ ਅਚਾਨਕ ਵਿਕਸਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। 

        ਜੇਕਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਲੱਛਣਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ , ਤਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਬ੍ਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਇੱਕ ਜਾਨਲੇਵਾ ਸਥਿਤੀ ਹੈ, ਅਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਛੇਤੀ ਤੋਂ ਛੇਤੀ ਹਸਪਤਾਲ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

        • ਅਚਾਨਕ ਗੰਭੀਰ ਸਿਰ ਦਰਦ
        • ਬਾਂਹਾਂ  ਜਾਂ ਲੱਤਾਂ  ਵਿੱਚ ਕਮਜ਼ੋਰੀ
        • ਮਤਲੀ ਜਾਂ ਉਲਟੀਆਂ ਆਉਣਾ 
        • ਬੇਹੋਸ਼ੀ ਛਾਣਾ 
        •  ਸੁਸਤੀ
        • ਨਜ਼ਰ ਦਾ ਅਚਾਨਕ ਘਟਨਾ 
        • ਸ਼ਰੀਰ ਵਿੱਚ ਝਰਨਾਹਟ ਜਾਂ ਸੁੰਨਪਣ  ਹੋਣਾ
        • ਬੋਲਣ ਜਾਂ ਸਮਝਣ ਵਿੱਚ ਮੁਸ਼ਕਲ ਆਉਣੀ 
        • ਖਾਣਾ ਖਾਣ  ਵਿੱਚ ਮੁਸ਼ਕਲ ਹੋਣਾ 
        • ਲਿਖਣ ਜਾਂ ਪੜਨ  ਵਿੱਚ ਮੁਸ਼ਕਲਹੋਣਾ 
        •  ਹੱਥ ਕੰਬਣਾ
        • ਸ਼ਰੀਰਕ ਤਾਲਮੇਲ ਨਾ ਹੋਣਾ 
        • ਸ਼ਰੀਰਕ ਸੰਤੁਲਨ ਘਟਣਾ 
        • ਸੁਆਦ ਵਿੱਚ ਫ਼ਰਕ ਪੈਣਾ 
        • ਚੇਤਨਾ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ

        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ ਦਾ ਇਲਾਜ਼ 

        ਬਰੇਨ ਹੈਮਰੇਜ  ਦਾ ਇਲਾਜ ਹੈਮਰੇਜ ਦੀ ਦਿਮਾਗ ਵਿਚ ਜਗਾ, ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਗੰਭੀਰਤਾ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਸੋਜ ਨੂੰ ਘੱਟ ਕਰਨ ਅਤੇ ਖੂਨ ਵਗਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣ ਲਈ ਸਰਜਰੀ ਦੀ ਲੋੜ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ। ਕੁਝ ਦਵਾਈਆਂ ਵੀ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਦਰਦ ਨਿਵਾਰਕ ਦਵਾਈਆਂ, ਸੋਜ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣ ਲਈ ਦਵਾਈਆਂ, ਅਤੇ ਦੌਰੇ ਨੂੰ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਨ ਲਈ ਦਵਾਈਆਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ।

        ਡਾਕਟਰ ਤੁਹਾਡੇ ਲੱਛਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਇਹ ਨਿਰਧਾਰਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਦਿਮਾਗ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਹਿੱਸਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ ਹੈ।

        ਡਾਕਟਰ ਕਈ ਤਰਾਂ ਦੇ ਟੈਸਟ ਕਰਵਾ ਸਕਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸੀਟੀ ਸਕੈਨ, ਜਾਂ ਐਮਆਰਆਈ, ਜੋ ਅੰਦਰੂਨੀ ਖੂਨ ਦੇ ਵਹਿਣ ਜਾਂ ਖੂਨ ਦੇ ਜਮਾਂ ਹੋਣ ਦੀ ਤਸਦੀਕ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇੱਕ ਨਿਊਰੋਲੋਜੀਕਲ ਸਕੈਨ ਜਾਂ ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਜਾਂਚ, ਜੋ ਕਿ ਆਪਟਿਕ ਨਰਵ ਦੀ ਸੋਜ ਦਿਖਾ ਸਕਦੀ ਹੈ, ਵੀ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ।

        ਕੁਝ ਮਰੀਜ਼ ਪੂਰੀ ਤਰਾਂ ਠੀਕ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਸੰਭਾਵੀ ਜਟਿਲਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸਟ੍ਰੋਕ, ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਫੰਕਸ਼ਨ ਨਾ ਕਰਨਾ, ਦੌਰੇ, ਜਾਂ ਦਵਾਈਆਂ ਜਾਂ ਇਲਾਜਾ ਦੇ ਮਾੜੇ ਅਸਰ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ। ਮੌਤ ਹੋਣਾ ਵੀ ਸੰਭਵ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਤੁਰੰਤ ਡਾਕਟਰੀ ਇਲਾਜ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ।

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          Understand the immune system.

          A good immune system is important for the overall growth of the human body. Immune system fights against the different health issues. Your immune system is your body’s defense mechanism that protects you from getting sick and promotes healing when you are unwell or injured. You can strengthen your immune system by eating nutritious foods, exercising and getting enough sleep. Some neurological issues also affect immunological problems, and the best Neurologist in Punjab offers appropriate treatment. 

          What is the definition of the immune system?

          Your immune system is a large network of organs, white blood cells, proteins and chemicals. These parts all work together to protect you from germs and other invaders. Your immune system also helps your body heal from infections and injuries.

          Which organs are a part of the immune system?

          There are different parts that are involved in the immune system. 

          • White blood cells: The white blood cells cause problems. In that case, the immune system attacks and eliminates harmful germs to keep you healthy. There are many white blood cells, each with a specific mission in your body’s defense system.
          • Complement system: This is a group of proteins that teams up with other cells in your body to defend against invaders and promote healing from an injury or infection.
          • Lymph nodes: These small, bean-shaped organs are like colanders you use to drain pasta. They filter waste products from the fluid drains from your tissues and cells while keeping the good components, like nutrients. 
          • Spleen: This organ stores white blood cells that defend your body from invaders. It also filters your blood, recycling old and damaged cells to make new ones.
          • Tonsils and adenoids: Located in your throat and nasal passage, tonsils and adenoids can trap invaders as soon as they enter your body.
          • Skin: Your skin is a protective barrier that helps stop germs from entering your body. It produces oils and releases other protective immune system cells.

          Conditions and disorders that cause immune system related issues. 

          Different conditions and disorders can cause immunological issues. 

          • Allergies: An allergy is your body’s reaction to a substance that’s normally harmless. Your immune system overreacts to the presence of that substance, leading to a range of symptoms from mild to severe.
          • Autoimmune diseases: These conditions occur when your immune system attacks its own healthy cells by mistake. Lupus and rheumatoid arthritis are examples of common autoimmune diseases.
          • Primary immunodeficiency diseases: These inherited conditions prevent your immune system from working properly. They make you more vulnerable to infections and certain diseases.
          • Infectious diseases: Infectious diseases happen when germs enter your body, replicate and cause damage. 
          • Cancer: Different types of cancer, like leukemia and lymphoma, can weaken your immune system. That is because cancer cells may grow in your bone marrow or spread there from somewhere else. These cancers are related to the neuron system. The best Neurosurgeon in Ludhiana performs the surgery on neurons. 
          • Sepsis: Sepsis is an extreme immune response to infection. Your immune system starts damaging healthy tissues and organs. This causes potentially life-threatening inflammation throughout your body. 

          Many people are suffering from immunological issues because of different reasons. Contact the Neurociti hospital for having the satisfying treatment, we have the best and experienced doctor.

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            क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद
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            क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद

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            How are rehabilitation therapies beneficial after stroke?

            Nowadays, people prefer rehabilitation therapy for the recovery of your health after the surgery and any type of injury. Rehabilitation therapy is considered as the best option for regaining your health. Doctors also suggest rehabilitation therapy to the patients for stroke and any major problem. 

            Definition of rehabilitation therapy

            It is a type of therapy that refers to rehab therapy. It encompasses a range of interventions that is aimed at restoring or improving the physical, mental and cognitive abilities after injury, long term illness and surgery. The primary goal of rehabilitation therapy is to enhance the overall functioning and quality of life. It is a multidisciplinary approach that is beneficial for patients, especially those who are getting Spine surgery in Ludhiana. There are different types of rehabilitation therapy. 

            Types of the rehabilitation process. 

            The process of rehabilitation is beneficial for the recovery of the human body. 

            • Physical therapy: Physical therapy is beneficial for increasing the stability, strength, movement and functions of the body. Physical therapy is beneficial for the improvement of bodily functions. 
            • Occupational therapy: occupational therapy is focused on restoring the ability to perform daily activities. The therapy is meant to improve fine motor skills, restore balance, or assist patients in learning how to increase their functional ability via the use of adaptive equipment, among other potential treatment options.
            • Speech Therapy: speech therapy is used to address the difficulties with speech, communication and or swallowing. 
            • Respiratory therapy: Beneficial for the problem in breathing. This therapy is helpful for decreasing respiratory distress and maintaining open airways.
            • Cognitive therapy: Cognitive therapy is also called cognitive behavior rehabilitation; this therapy works with patients to improve memory, thinking and reasoning skills.
            • Vocational Rehabilitation:  Vocational activities such as painting, crafting and many more are beneficial for the improvement of psychological health. 

            Definition of stroke 

            Stroke is a condition in which the supply of blood to the different parts of the brain and other parts of the body. This condition is leading to the deprivation of oxygen and nutrients to the cells of the brain. This can happen in two different mechanisms. Ischemic Stroke and Hemorrhagic Stroke. 

            • Ischemic Stroke: It is the common type of stroke and recurring of blood clot and plaque. In this type of stroke the buildup of blood blocks in the brain vessels. 
            • Hemorrhagic stroke: It is not that much common but more severe. It happens when a blood vessel in the brain ruptures and causes bleeding and pressure on the tissues of the brain. 

            How are rehabilitation therapies beneficial after stroke?

            After the stroke, rehabilitation therapy is beneficial for the recovery of different aspects. It is a comprehensive and multidisciplinary approach in which several healthcare professionals work together to treat the stroke and regain the ability of the health. The benefits of rehabilitation therapy after stroke are as follows: 

            • Functional independence: Rehabilitation therapy is helpful for the stroke survivors to regain and improve their ability to perform daily activities independently. With some targeted exercises and interventions, individuals can regain strength, balance and coordination.
            • Speech and communication enhancement: The stroke survivors experience difficulties with speech and communication. This therapy is a part of rehabilitation therapy that is helpful for the persons to regain the linguistic skills, improve articulation and address the swallowing issues. 
            • Motor skills Improvement: Stroke affects the motor skills of the person and leads to difficulties in the movement. It is particularly focused on improving motor skills, including sine and gross coordination. 
            • Cognitive Rehabilitation: Stroke can put an impact on cognitive functions like memory, attention, and problem-solving. Cognitive rehabilitation strategies aim to improve cognitive abilities, allowing individuals to better navigate daily tasks and challenges.
            • Emotional Well-being: Coping with the aftermath of a stroke can be emotionally challenging. Rehabilitation therapy provides a supportive environment, often involving counseling or mental health support, to address emotional issues and promote psychological well-being.
            • Prevention of Complications: Rehabilitation therapy helps prevent secondary complications that may arise due to immobility or lack of activity. This includes reducing the risk of muscle atrophy, joint contractures, and pressure ulcers.
            • Quality of Life Enhancement: By addressing physical, cognitive, and emotional aspects, rehabilitation therapy contributes significantly to improving the overall quality of life for stroke survivors. It empowers individuals to actively engage in their communities and maintain a fulfilling lifestyle.

            Nowadays, people give preference to rehabilitation therapies. It offers you numerous benefits that are helpful and suggested by the doctors of Neurociti hospital after the back pain treatment in Ludhiana.

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              क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद
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              क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद

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              नींद संबंधी विकार यानी स्लीप डिसऑर्डर किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है ?
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              Guide to consult a good neurosurgeon in Ludhiana, Punjab.

              Brain is the most important, powerful and strongest part of our body. The study related to the problems of the brain is considered to be called Neurology. It is that branch of medicine which studies the disorders related to the nervous system. It is an interesting study which tells about the connection between the brain and the body and how the body works on the command of the brain.to know briefly you can see Neuro Hospital in Ludhiana.

              Some common disorders related to Neurology are:

              1. Stroke: Stroke generally means when there is blockage of blood in one part of the brain or a brain vessel bursts. The main reason for the stroke is considered to be high blood pressure.
              2. Epilepsy: Epilepsy is a brain condition related to abnormal electrical activity called recurring seizures. There are differents forms and conditions of Epilepsy. It affects the all age people
              3. Multiple Sclerosis (MS): Multiple Sclerosis is a disease related with  the central nervous system, it affects the central nervous system. Some people get partially affected by it and some people lose the ability to watch, walk, talk etc completely.
              4. Parkinson’s disease: It is a disease which is caused by the loss of dopamine producing cells in the brain. It is a progressive disorder affecting the nerve system and the body parts controlled by it.
              5. Alzheimer disease: Alzheimer disease can be defined as a situation in which a person forgets to respond properly and behave rightly. It basically affects that part of the brain which controls the memory, thoughts and understanding of the person.
              6.  Migraines: Migraines is the type of a headache getting triggered mostly on one side of your head. It shows sensitivity towards harsh light , sound and hunger.

              Causes for the Neurological disorders: Neurological system of the body is a very complex system of the body. A little dysfunctioning of the neuro system can cause a big neuro problem and can affect your day to day life. The main causes for the neurological disorders vary in different problems. To know more can see Neurosurgeon in Punjab But some general causes can be:

              1 Physical injury

              1. Genetics
              2. Infection
              3. Nutrition related causes
              4. LIfestyle related causes etc.

              Some common symptoms related to neurological disorders

              The symptoms related to the neurological disorder vary according to the situation, for that consult Neuro Hospital in Ludhiana.But some common symptoms are:

              • Memory loss
              • Headache that changes 
              • Losing site, vision
              • Body not able to respond on the command of brain
              • Lacking in communication
              • Not able to function with other parts of the body
              • Muscles rigidity
              • Tremors and seizures etc.

              Some preventive measures to keep your nerve system healthy and make your brain work properly:

              • Exercise regularly
              • Meditate
              • Stay active
              • Eat healthy diet
              • Avoid bad habits like drinking alcohol, smoking 
              • Avoid stressing and Overthinking
              • Avoid processed food products and artificial sugar

               Guidance by the best  Neurosurgeon in Punjab, will help you in understanding the problem you are dealing with and will provide with proper guidance and procedure.

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                क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद
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                अत्याधिक चिंता कैसे आपके शरीर को प्रभावित कर सकती है ?

                अत्यधिक चिंता आपके शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है। चिंता की यह निरंतर स्थिति, काफी खतरनाक मानी जाती है, क्युकि चिंता को चिता के समान जाना जाता है। वहीं चिंता कई शारीरिक और भावनात्मक मुद्दों को जन्म दे सकती है। तो आइए देखें कि चिंता किस प्रकार आपके शरीर को प्रभावित करती है और इसे प्रबंधित करना क्यों महत्वपूर्ण है ;

                शरीर पर अत्यधिक चिंता का प्रभाव क्या पड़ता है ?

                मांसपेशियों में तनाव : 

                जब आप चिंतित महसूस करते है, तो आपकी मांसपेशियां तनावग्रस्त हो जाती है। इस तनाव के कारण दर्द और पीड़ा हो सकती है, विशेषकर आपकी गर्दन, कंधों और पीठ में। समय के साथ, इसके परिणामस्वरूप दीर्घकालिक असुविधा और लचीलापन कम हो सकता है।

                पाचन संबंधी समस्याएं : 

                चिंता आपके पाचन तंत्र को बाधित कर सकती है, जिससे अपच, सूजन और यहां तक कि चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस) जैसी समस्याएं हो सकती है। पेट दर्द और मतली अत्यधिक चिंता के आम साथी है।

                दिल की धड़कन : 

                चिंता के कारण दिल तेजी से दौड़ सकता है या फड़क सकता है, जिससे इस महत्वपूर्ण अंग पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। लंबे समय तक चिंता समय के साथ हृदय संबंधी समस्याओं के विकास में योगदान कर सकती है। अगर चिंता के कारण आपके दिल की धड़कन बढ़ गई है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए। 

                श्वसन संबंधी समस्याएं : 

                तेजी से सांस लेना और सांस लेने में तकलीफ अक्सर चिंता के साथ होती है। इससे हाइपरवेंटिलेशन हो सकता है, जिससे आपको चक्कर आ सकते है।

                कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली : 

                दीर्घकालिक चिंता आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है, जिससे आप बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते है। आपके शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता ख़राब हो जाती है।

                वजन में उतार-चढ़ाव : 

                चिंता के कारण खाने की आदतों में बदलाव आ सकता है। कुछ लोग चिंतित होने पर अधिक खा सकते है, जबकि अन्य की भूख कम हो सकती है। वजन में इस उतार-चढ़ाव के दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणाम हो सकते है।

                नींद की समस्या : 

                चिंता के कारण अक्सर सोने और सोते रहने में कठिनाई होती है। आरामदेह नींद की कमी के कारण थकान हो सकती है और चिंता और भी बढ़ सकती है।

                त्वचा की स्थिति : 

                तनाव और चिंता से मुँहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा की स्थिति खराब हो सकती है। आपकी त्वचा अधिक संवेदनशील हो सकती है और मुंहासे निकलने का खतरा हो सकता है।

                हार्मोनल असंतुलन : 

                चिंता आपके शरीर के हार्मोनल संतुलन को बाधित कर सकती है, जिससे महिलाओं में मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकता है और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रभावित हो सकता है। इससे प्रजनन क्षमता और यौन स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

                पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है : 

                लंबे समय तक चिंता मधुमेह, उच्च रक्तचाप और ऑटोइम्यून विकारों जैसी पुरानी बीमारियों के बढ़ते जोखिम से जुड़ी होती है।

                संज्ञानात्मक हानि : 

                चिंता आपकी ध्यान केंद्रित करने और निर्णय लेने की क्षमता में बाधा डाल सकती है। इससे स्मृति संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो आपके समग्र संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित कर सकती है।

                मनोदशा संबंधी विकार : 

                चिंता अक्सर अवसाद के साथ जुड़ी रहती है। यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो यह मनोदशा संबंधी विकारों के विकास में योगदान कर सकता है, जो और भी अधिक दुर्बल करने वाला हो सकता है। अगर आपके सोचने समझने की शक्ति बिल्कुल ख़त्म हो गई है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

                मादक द्रव्यों का सेवन : 

                कुछ व्यक्ति चिंता से निपटने के लिए शराब या नशीली दवाओं जैसे पदार्थों का सेवन करने लगते है, जिससे लत की समस्याएँ पैदा होती है।

                जीवन की खराब गुणवत्ता : 

                चिंता का निरंतर बोझ आपके जीवन की समग्र गुणवत्ता को काफी कम कर सकता है। आप आनंददायक अनुभवों और सामाजिक अवसरों से चूक सकते है।

                जीवनकाल में कमी : 

                चिंता के ये सभी शारीरिक और भावनात्मक प्रभाव आपके समग्र जीवनकाल को कम कर सकते है, जिससे चिंता को तुरंत और प्रभावी ढंग से संबोधित करना आवश्यक हो जाता है।

                सुझाव :

                चिंता को प्रबंधित करने और इसके इलाज के लिए आपको न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

                निष्कर्ष :

                अत्यधिक चिंता आपके शरीर पर कहर बरपा सकती है। यह विभिन्न प्रणालियों को प्रभावित करता है और कई प्रकार की शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं को जन्म दे सकता है। अपनी भलाई की रक्षा के लिए, विश्राम, माइंडफुलनेस, थेरेपी और, कुछ मामलों में, दवा जैसी तकनीकों के माध्यम से चिंता का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। सहायता और समर्थन मांगना एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन बनाए रखने की दिशा में एक सक्रिय कदम है।

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                  क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद
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                  • November 27, 2024

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                  किस तरह का सिरदर्द होने पर न्यूरोलॉजिस्ट का करें चयन !

                  सिर में दर्द या सिर का रह-रह कर दर्द होना भी काफी गंभीर समस्या है, क्युकि सिर का दर्द हमारे काम के साथ साथ हमारे शरीर पर भी बुरा असर डालता है। वही ये समस्या क्यों होती है, या किस तरह के सिर दर्द में हमे न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए के बारे में आज के आर्टिकल में बात करेंगे तो अगर आप भी यह सोच कर परेशान रहतें है की किस तरह के सिर दर्द के लिए न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाए तो आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ;

                  सिरदर्द में किस तरह के लक्षण दिखने पर न्यूरोलॉजिस्ट का करें चयन ?

                  • आपको न्यूरोलॉजिस्ट का चयन तब करना चाहिए, जब आपका सिरदर्द एक या दो दिन से अधिक समय तक लगातार बना हुआ है। 
                  • आपका सिरदर्द अचानक होने लगता है। 
                  • तनाव से आपके सिर का दर्द और बढ़ जाता है। 
                  • आपका सिरदर्द सुबह से ही शुरू हो जाता है। 
                  • आपको देखने में परिवर्तन का अनुभव हो रहा है। 
                  • आपको सिरदर्द के साथ दौरे पड़ने की समस्या भी उत्पन्न हो गई है आदि। 

                  उपरोक्त लक्षण अगर आपमें नज़र आए तो आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।

                  सिर में दर्द की समस्या क्यों होती है?

                  • सिर में दर्द की समस्या ज्यादातर दवाइयों का सेवन करने, मांसपेशियों में तनाव, हार्मोन में बदलाव या फिर पानी की कमी के कारण हो सकता है। 
                  • वही कुछ मौकों पर मानसिक तनाव, गलत तरीके से उठने-बैठने की आदत, शराब का सेवन, नींद की कमी या समय पर भोजन ना करने की वजह से भी इस प्रकार का दर्द हो सकता है।
                  • इसके अलावा कई बार हमारे सिर में गंभीर चोट लग जाती है जिस वजह से भी हमे सिर में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है।

                  अगर सिर में चोट की वजह से आपको सर्जरी करवाने की जरूरत पड़े तो इसके लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

                  सिर दर्द का इलाज क्या है ?

                  • सिर दर्द के इलाज के लिए विभिन्न विकल्प मौजूद है। हालांकि इलाज आमतौर पर उसके कारण के मुताबिक किया जाता है। जैसे कि नेज़ल स्प्रे और कुछ अन्य दवाइयों के माध्यम से दर्द को दूर किया जाता है। 
                  • वही ज़रूरत पड़ने पर आपका न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर आपकी डाइट में भी बदलाव भी ला सकते है। इसके अलावा कुछ ऐसी थैरेपी भी है जो इन स्थितियों में फायदेमंद साबित होती है। यदि दर्द ज़्यादा है तो मसाज के माध्यम से भी राहत मिल सकती है।

                  सिर दर्द के लिए डॉक्टर किस तरह का परीक्षण कर सकते है ?

                  • सीटी स्कैन। 
                  • एमआरआई स्कैन। 
                  • ईईजी (मस्तिष्क तरंगों को मापने) का स्कैन आदि। 

                  सिर दर्द की जाँच के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

                  • अगर आपको उपरोक्त संकेत दिख रहें है सिर दर्द के दौरान तो आपको समय रहते न्यूरो सीटी हॉस्पिटल के अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन कर लेना चाहिए। इसके अलावा अगर आप किसी गंभीर समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको यहाँ के डॉक्टरों के द्वारा अच्छे से गाइड भी किया जाता है।

                  निष्कर्ष :

                  • व्यक्ति के लिए सिर में दर्द का होना काफी खतरनाक है, वही ये समस्या क्यों उत्पन होती है, इसके बारे में जानने के बाद इसे नज़रअंदाज़ न करें। तो अगर आपको भी इस तरह की समस्या ने परेशान कर रखा है तो इससे बचाव के लिए समय रहते डॉक्टर के सम्पर्क में जरूर आए।

                   

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                    Strategies and Support for Navigating Life with Left-Sided Hemiplegia

                    Living with left-sided hemiplegia can give its own set of issues, compelling individuals to haggle all aspects of life with boldness and guts. Left-sided hemiplegia is a problem that causes shortcomings or paralysis on the left half of the body because of harm to the right half of the brain. Left-sided hemiplegia, whether brought about by a stroke, traumatic brain injury, or an inherent problem, can significantly affect regular exercises and in general personal satisfaction.

                    Understanding Left-Sided Hemiplegia

                    A problem that causes shortcomings or paralysis on the left half of the body is known as left-sided hemiplegia. Harm to the right half of the mind, normally as an outcome of a stroke, extreme brain injury, or an inborn problem, is generally the reason. This disease can affect an individual’s ability to direct day-to-day activity and take part in various parts of life.

                    Seeking Expert Care at Neuro Hospitals in Ludhiana

                    Seeking expert medical attention is critical while dealing with left-sided hemiplegia. There are respectable neuro hospitals in Ludhiana that are equipped with specialized facilities and competent medical personnel who can give complete care to people suffering from neurological problems. NeuroCiti facility is one such recognized facility, with a multidisciplinary approach to neurology and modern treatment choices suited to individual needs.

                    Consulting with a Neurologist in Ludhiana

                    It is essential to contact a neurologist who spends significant time in neurorehabilitation and knows the troubles of left-sided hemiplegia to plan a proper treatment procedure. A neurologist in Ludhiana, like those at NeuroCiti Hospital, can survey every patient’s specific necessities and foster a customized care plan.

                    Therapeutic Approaches for Left-Sided Hemiplegia

                    Physical Therapy: Physical treatment can assist individuals with left-sided hemiplegia to work on their versatility and strength. A Physical specialist can make a custom-made preparation program to further develop balance, coordination, and muscle control.

                    Supportive Resources for Individuals and Families

                    Besides clinical intervention, people and families impacted by left-sided hemiplegia expect admittance to support organizations and services. Here are a few resources to consider:

                    Support Groups: Connecting with individuals who have had similar situations can be really beneficial. Look for local support groups or online communities for people with left-sided hemiplegia and their loved ones. These groups provide a secure environment for people to discuss their experiences, seek guidance, and receive emotional support.

                    Educational Workshops: Attend hemiplegia management instructional programs and seminars. Expert speakers, practical demonstrations, and the most recent developments in treatment choices are frequently featured at these events. These sessions provide individuals with knowledge and strategies to effectively manage their disease.

                    Online Resources: Several websites, including the Flint Rehab entry on left-sided hemiplegia, provide educational content, ideas, and tools to help people understand and manage the disease. Another worthwhile resource to investigate is NeuroCiti Hospital, which provides thorough information on neurological diseases and treatment options.

                    Conclusion

                    Living with left-sided hemiplegia can be difficult, but with the correct methods, support, and access to specialist care, people can live full lives. Neuro Hospital in Ludhiana, such as NeuroCiti Hospital, as well as neurologists that specialize in neurorehabilitation, can give essential medical care. Individuals with left-sided hemiplegia can improve their quality of life and thrive despite the condition by combining therapeutic approaches such as physical, occupational, and speech treatments with the help of local communities, support groups, and educational resources.

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