माइग्रेन सिरदर्द के मुख्य लक्षण कौन-से है ? जाने एक्सपर्ट्स से कैसे पाएं माइग्रेन की समस्या से निजात

न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एस.के. बंसल ने अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में यह बताया कि माइग्रेन मस्तिष्क से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़ित लोगों के सिर एक हिस्से में काफी तीव्र दर्द होने लग जाता है | कई मामलों में लोगों को सिरदर्द के साथ-साथ जी मिचलना, उलटी और दस्त की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है | प्रकाश और शोर के प्रति व्यक्ति अत्यधिक सवेदनशील हो जाता है और इस सिरदर्द के कारण व्यक्ति के रोज़मर्रा जीवनशैली पर भी काफी बुरा असर पड़ता है | आमतौर पर माइग्रेन का अटैक का असर एक घंटे से 2-3 दिन तक भी रह सकता है | आइये जानते है माइग्रेन सिरदर्द के प्रमुख लक्षण कौन-से है :- 

 

  • माइग्रेन सिरदर्द के शुरुआती दिनों में व्यक्ति में कब्ज़, मूड में बदलाव, भूख न लगना, गर्दन में अकड़न आना, बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण दिखायी दे सकते है | 

 

  • कई मामलों में माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को इस सिरदर्द से पहले या फिर इस सिरदर्द के दैरान औरा बनने का  आभास होने लग जाता है, जिससे उनके नर्वस सिस्टम काफी बूरा प्रभाव पड़ सकता है | 

 

  • माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को आवाज़ और प्रकाश से संवेदनशील होने लग जाता है, जिस कारण उनके आंखों की दृष्टि में थोड़े समय के लिए धुँधलापन आ जाता है |

 

  • हाथ या पैर में सुई जैसा अनुभव होना, चेहरे के एक तरफ सुन्नता आना, बोलने के समय परेशानी होने जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते है | 

 

यदि आप भी माइग्रेन सिरदर्द की समस्या से गुज़र रहे है और कई तरह के उपचार के अपनाने के बाद स्थिति में किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा तो आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एस.के. बंसल न्यूरोसर्जरी में स्पेशलिस्ट है, जो माइग्रेन जैसे सिरदर्द को कम करने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है या फिर दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |    

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    जानिए माइग्रेन और साइनस में अंतर क्या है ?

    आज के दौर में सिरदर्द एक ऐसी परेशानी है,जो कई गंभीर समस्याओं या फिर वायरल इन्फेक्शन जैसे संक्रमणों का संकेत होता है | हालाँकि जिस तरह सिरदर्द होने के कारण अलग-अलग होते है, उसी तरह से सिरदर्द भी कई प्रकार के होता है | आइये जानते है ऐसे ही दो तरह के सिरदर्द माइग्रेन और साइनस सिरदर्द के बारे में :- 

    माइग्रेन और साइनस सिरदर्द में क्या अंतर है ? 

    माइग्रेन:- यह सिरदर्द ऐसा होता है जिसमे सिर के एक तरफ तेज़ धड़कन होता है जिसकी वजह से सिर के एक तरफ सुनसुनी हो जाती है और साथ ही मल्ती, उलटी, प्रकाश और ध्वनि से सवेदनशील होने लगता  है | आइये जानते है इसके मुख्या कारण :- 

    • स्ट्रेस लेना 
    • कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट 
    • नींद पूरी न होना 
    • हार्मोन में परिवर्तन आना    
    • समय पर भोजन न करना 
    • नशीली पदार्थों का सेवन करना 

    साइनस:- यह सिरदर्द तब होता है जब आपके आंखे के पीछे , गले ही हड्डियां, माथे और नाक के पुल में सुस्त दर्द महसूस होता है | यह सिरदर्द साइनस संक्रमण से उत्पन्न होती है, जिसके मुख्य लक्षण है, कोल्ड होना, किसी तरह की एलर्जी, हाई फीवर इत्यादि | 

    माइग्रेन और साइनस सिरदर्द में समानता:-  माइग्रेन और साइनस के लक्षण काफी हद तक एक समान होते है, इसी वजह से लोगो को  इन दोनों सिरदर्द में कन्फूशन रहता है,, इसके समानताएं लक्षण है, बहती नाक, नाक का बंद होना, गीली आँखों का होना आदि | 

    अगर आप भी इस तरह के लक्षणों से गुजर रहे है तो बेहतर है की आप एक्सपर्ट्स से राय  ले | अगर आप इस समस्या का जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहते हो तो आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन कर सकते हो | यहाँ के सीनियर डॉक्टर एस.के.बंसल न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है |   

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      आज के समय में ५० से ६० परसेंट लोग मोटापा से घिरे हुए है जो कि एक जटिल और बहुक्रियात्मक स्थिति है जो आनुवंशिक, पर्यावरणीय, व्यावहारिक और चयापचय कारकों के संयोजन से प्रभावित होती है। मोटा व्यक्ति पतले होने के लिए बहुत अभ्यास करता है लेकिन कई बार कोई बीमारी ऐसी भी जुड़ जाती है जो सही नहीं होती पर शरीर के वजन घटने से समय लेकर ठीक भी हो जाती है। ऐसे ही माइग्रेन जो वजन घटने से ठीक हो सकता है। 

      आइए जाने कैसे 

      माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जो आवर्ती, तीव्र सिरदर्द की विशेषता है जिसमें अक्सर धड़कते हुए दर्द, मतली और प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता शामिल होती है। हालांकि वजन कम करना ही माइग्रेन का कोई गारंटीशुदा इलाज नहीं है, लेकिन स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से, जिसमें वजन घटाना भी शामिल हो सकता है, कुछ व्यक्तियों के लिए माइग्रेन प्रबंधन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वजन घटाना माइग्रेन की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने के व्यापक दृष्टिकोण का सिर्फ एक घटक है। यहां बताया गया है कि वजन प्रबंधन सहित एक स्वस्थ जीवन शैली, माइग्रेन से राहत में कैसे योगदान दे सकती है:

      • रक्त प्रवाह में सुधार

      नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होने और स्वस्थ वजन बनाए रखने से बेहतर रक्त परिसंचरण में योगदान हो सकता है, जिस से संभावित रूप से संवहनी परिवर्तनों के कारण होने वाले माइग्रेन का खतरा कम हो सकता है।  

      • हार्मोनल संतुलन

      कुछ व्यक्तियों के लिए, वजन घटाने से हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है, जो तब प्रासंगिक हो सकता है जब हार्मोनल उतार-चढ़ाव माइग्रेन का कारण हो। 

      • सूजन कम हो गई

      स्वस्थ आहार और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से वजन घटाने से पुरानी सूजन को   कम करने में मदद मिल सकती है , जो कुछ लोगों में माइग्रेन के विकास में भूमिका निभा सकती है। 

      • बेहतर नींद

      स्वस्थ नींद पैटर्न स्थापित करना और पर्याप्त नींद प्राप्त करना माइग्रेन के प्रबंधन में महत्वपूर्ण है। वजन घटाने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार से नींद की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

      • तनाव में कमी 

      जब लोगों का वजन कम हो जाता है, तो प्रति माह माइग्रेन से पीड़ित दिनों की संख्या कम हो जाती है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में अक्सर तनाव प्रबंधन रणनीतियाँ शामिल होती है, जैसे नियमित व्यायाम और विश्राम तकनीकें। चूँकि तनाव एक आम माइग्रेन ट्रिगर है, इसलिए तनाव के स्तर को कम करने से माइग्रेन से राहत मिल सकती है।

      यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वजन घटाने और माइग्रेन के बीच संबंध जटिल है और प्रत्येक व्यक्ति में अलग- अलग होता है। जबकि कुछ व्यक्तियों को वजन घटाने के साथ माइग्रेन की आवृत्ति या तीव्रता में कमी का अनुभव हो सकता है, दूसरों को कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं दिख सकता है। इसके अतिरिक्त, कुछ मामले में तेजी से या अत्यधिक वजन घटने से संभावित रूप से माइग्रेन हो सकता है।  

      माइग्रेन में क्या नहीं खाना चाहिए

      माइग्रेन की बीमारी से परेशान इंसान को अपने खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। अगर आप माइग्रेन से पीड़ित हैं तो आपको कुछ खाद्य पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए। माइग्रेन की बीमारी में प्रोसेस्ड फूड, कैफीन युक्त पेय, चॉकलेट, डेरी पदार्थ, कुछ फल सब्जी जैसे एवोकाडो, टमाटर, कोल्ड ड्रिंक, सोडा वाले खाद्य पदार्थ और अल्कोहल जैसी चीजों के सेवन से बचना चाहिए। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन खाद्य पदार्थों के प्रति व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं अलग-अलग हो सकती हैं, और हर कोई एक ही ट्रिगर के प्रति संवेदनशील नहीं होगा। 

                 वजन घटाने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार शामिल करना आवश्यक है। संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें, जैसे:

      • लीन प्रोटीन: पोल्ट्री, मछली, टोफू, फलियां और मांस के लीन टुकड़े जैसे स्रोत शामिल करें।
      • सब्जियाँ और फल: विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फल और सब्जियां आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं।
      • साबुत अनाज: साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, क्विनोआ, जई और साबुत गेहूं चुनें।
      • स्वस्थ वसा: एवोकाडो, नट्स, बीज और जैतून का तेल जैसे स्वस्थ वसा के स्रोतों को शामिल करें।
      • कम वसा वाली डेयरी: कैल्शियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के लिए कम वसा या वसा रहित डेयरी विकल्प चुनें।

      जलयोजन: हाइड्रेटेड रहने के लिए पूरे दिन खूब पानी पिएं।

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        अधरंग अटैक आने से पहले कैसे करे खुद का बचाव?

        आज के समय की बात करे तो भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हर एक व्यक्ति व्यस्त रहता। उसके इसी व्यस्त जीवन का असर उसके दिमाग पर भी पड़ता है, जो दिमाग के दौरे के रूप में बाहर निकल कर आता है। इसके अलावा आज के आर्टिकल में हम अधरंग या दिमाग का दौरा क्या है इसके बारे में बात करेंगे ;

        अधरंग या दिमागी अटैक क्या है ?

        अधरंग अटैक के बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

        • अधरंग को कई बार दिमाग का अटैक भी कहते हैं। यह दिमाग में खून के बहाव के रुक जाने के कारण या दिमाग में खून की नाड़ियां फट जाने के कारण भी हो सकता है। कई बार यह दिमाग के ठीक ढंग से काम न करने के कारण भी होता है।

        अधरंग कितने प्रकार के होते है ?

        • अधरंग मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। पहला सूखा अधरंग और दूसरा खूनी अधरंग। 
        • सूखे अधरंग की बात करे तो ये दिमाग में खून के जम जाने के कारण होता है। तो वही खूनी अधरंग दिमाग की नाड़ियों के फट जाने के कारण होता है।

        यदि आपको या आपके किसी करीबी को खूनी और सूखे अधरंग का अटैक पड़ चूका है, तो फ़ौरन बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना के सम्पर्क में आए।

        अधरंग की निशानी क्या है ?

        • अधरंग निशानी की बात करे तो अचानक एक तरफ चेहरे, बाजू, टांग की कमजोरी, बोलने या बोलते हुए को समझने में मुश्किल का आना, खुद का संतुलन खो बैठना, असाधारण सिर दर्द अधरंग की पहली निशानी है। 

        अधरंग अटैक के क्या कारण है ?

        • आज के समय की बात करे तो खान-पान से लेकर रहन-सहन बिल्कुल बदल चुका है। लाइफ स्टाइल चेंज होने से बहुत-सी बीमारियां व्यक्ति के शरीर में अग्रसर हुई है। 
        • इसके अलावा अधरंग अटैक के कारणों की बात करे तो उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियां, शूगर व धूम्रपान करना इसके प्रमुख कारण हैं।

        अधरंग या दिमागी अटैक से कैसे करे खुद का बचाव ?

        • यदि व्यक्ति अपने जीवन शैली में सुधार लाएं तो 80 फीसदी तक अधरंग होने के खतरे को टाला जा सकता है।
        • इसके अलावा जब किसी व्यक्ति को अधरंग का अटैक हो जाए तो उसे 2 से 3 घंटे के अंदर अच्छे स्ट्रोक सेंटर में पहुंचना चाहिए ताकि मरीज को बचाया जा सके। क्युकि समय ही इस बीमारी को रोकने का बहुमूल्य विकल्प है।
        • तो वही अधरंग के बचाव व इसको रोकने के तरीके की बात करे तो स्वच्छ खाना, तंदरुस्त शरीर, धूम्रपान न करना, अधिक शराब न पीना, मोटापे पर नियंत्रण रख के आप इस समस्या से खुद का बचाव कर सकते है।

        सुझाव :

        बहुत से लोगों के दिमाग में यह बात घूमती है की अधरंग या दिमागी अटैक का कोई इलाज नहीं है। पर आपको बता दे पहले ऐसा था पर आज के समय में इसका बेहतरीन इलाज किया जाता है। इसके अलावा यदि आप अधरंग अटैक की समस्या से ग्रस्त है, तो न्यूरोसीटी हॉस्पिटल के डॉक्टर से जरूर मुलाकात करे और अपनी समस्या के बारे में खुल के यहाँ के अनुभवी डॉक्टरों से बात करे।

        निष्कर्ष :

        अधरंग या दिमागी अटैक क्या है इसके बारे में हम उपरोक्त आपको जानकारी दे चुके है, यदि आपमें भी ऐसी समस्या है तो बिना समय बर्बाद की किए किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट के सम्पर्क में आए, क्युकि इस अटैक में समय का बहुत मत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए आपको उपरोक्त बातो का ध्यान रखना है, नहीं तो ये समस्या आपकी जान पर भी बन सकती है।

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          Nutritional Diet for Managing Migraines

          When it comes to managing migraines, a thorough approach that includes a nutritional diet can significantly contribute to reducing their frequency and intensity. Alongside seeking professional assistance from the best neurologist Ludhiana adopting a suitable dietary plan can play a crucial role in managing migraines effectively. 

          Understanding Migraines and Nutrition

          Migraines are complex neurological disorders that can be affected by varied factors, containing diet. While triggers differ from person to person, certain foods and substances have been known to contribute to migraines. These may include alcohol, caffeine, reused foods, artificial sweeteners, and certain requirements. On the other hand, some nutritious ingredients like magnesium, riboflavin ( vitamin B2), and omega- 3 fatty acids have exposed promise in managing migraines.

          Erecting a Migraine-Friendly Diet

          Identify Trigger Foods:

          Start by keeping a migraine diary to track potential food triggers. Common culprits include chocolate, aged cheese, processed meats, and foods containing MSG. By recognizing and avoiding these trigger foods, you may be able to reduce migraine occurrences.

          Emphasize Nutrient- packed Foods

          Opt for a well-balanced diet rich in fruits, vegetables, whole grains, fatless proteins, and healthy fats. These foods give must-have nutrients while minimizing the consumption of eventuality triggers.

          Include Magnesium- Rich Foods

          Magnesium plays a vital part in migraine management. Incorporate foods like green flora, nuts, seeds, legumes, and whole grains into your diet to ensure an acceptable intake of this essential mineral.

          Try Riboflavin- Rich Foods

          Vitamin B2, or riboflavin, has shown promising results in reducing migraines. Include sources like lean meats, eggs, dairy products, almonds, and leafy vegetables in your reflections.

          Consider Omega- 3 Fatty Acids

          Established in fatty fish, flaxseeds, chia seeds, and walnuts, omega- 3 fatty acids have anti-inflammatory parcels that may support reducing migraine frequency.

          Stay Hydrated

          Dryness can trigger migraines, so it’s essential to drink enough water throughout the daytime. Avoid extreme caffeine and alcohol, as they can dehydrate goods.

          Mindful Eating

          Practice mindful eating by savoring each bite, chewing slowly, and paying attention to your body’s hunger and fullness cues.

          Manage Stress

          Migraines are frequently triggered by stress. Include techniques for stress management into your daily routine, such as deep breathing exercises, meditation, yoga, or engaging in activities that make you happy and help you relax. Migraines may be less frequent and more intense if you effectively manage stress.

          Seek Professional Guidance

          Consult with a healthcare professional or an enrolled dietitian in Ludhiana specializing in migraine management. They can give individualized advice, assess your nutrient needs, and help produce a personalized meal plan.

          Conclusion

          When managing migraines, incorporating a nutritive diet under the counsel of the best neurosurgeon Ludhiana can make a significant difference in reducing the frequency and rigidity of migraines. By collaborating with these experts, identifying trigger foods, and adopting a well-balanced diet, individuals can take proactive steps toward better migraine management. The Neurociti Hospital in Ludhiana provides access to the best neurologists and neurosurgeons who can offer expert guidance in managing migraines.

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            Types of migraine and different stages of migraine

            Migraine is a neurological disease that causes intense headaches, usually on one side of the head. It shows symptoms such as nausea, sensitivity to light and sound, and sometimes even visual disturbances. Migraine attacks can be triggered due to many reasons, such as skipping meals, being exposed to air pollution, stress, lack of sleep, strong smells, and even weather changes. It is important to identify your triggers. So that you can manage it and reduce its chances, for more information, you can consult Migraine Treatment in Ludhiana.

            Types of migraines

            There are several kinds of migraines:

            • Migraine without aura: It is the most common type of migraine, which includes no warning signs and is followed by moderate to severe headache pain.
            • Migraine with aura: This type of migraine shows symptoms such as sensory disturbances, such as visual changes or tingling sensations.
            • Hemiplegic migraine: This type of migraine may cause some serious health conditions, such as paralysis or weakness on one side of the body before or during the headache.
            • Chronic Migraine: In the chronic migraine, you might experience migraines for 15 days or more days per month for at least three months.
            • Vestibular migraine: This type of migraine is related with dizziness and balance problems, spinning, floating, and swaying.

            It is directed to consult with a healthcare professional Neurosurgeon in Punjab for an accurate diagnosis of your migraine, which will help your doctor choose the right kind of treatment for you.

            Signs and symptoms for the migraine

            The signs and symptoms of the migraine vary depending on the type of migraine. The most common symptom is severe headache, usually on one side of the head and sometimes on both sides of the head and sometimes going from one side to the other. Migraine attacks are painful and can disrupt your daily life activities. Some general symptoms of the migraine are:

            • Light sensitivity
            • Sound sensitivity
            • Nausea and vomiting
            • Neck pain and stiffness
            • Touch hypersensitivity
            • Fatigue
            • Brain fog or difficulty in concentrating
            • Depression or anxiety
            • Ringing in the ears
            • Tears in the eyes
            • Diarrhea

            Stages of the migraine headache

            A migraine can occur in the four stages:

            Prodrome:  This stage shows some prior symptoms before the actual headache starts, such as mood swings, food cravings, muscle stiffness, trouble concentrating, sensitivity to sound or light, etc.

            Aura: In the aura stage, you might feel symptoms such as bright spots or patterns of light, numbness or tingling in some parts of the body, but not paralysis. Around one-third of people experience an aura phase.

            Headache stage: This is the main phase where you will feel extreme headaches on one side of the head, sometimes both sides of the head or going from one side to the other side. This phase can last from many hours to a few days. It is accompanied by symptoms such as intense pain, nausea, sensitivity to light and sound and other symptoms.

            Postdrome: In this last phase of the migraine, when the headache is gone, people may feel exhausted, have difficulty concentrating, or experience mood changes during this phase.

            It is important to note here that these changes vary from person to person, and not everyone experiences all of them. If you are concerned with your migraine situation, it is best advised to consult a healthcare professional for Migraine Treatment in Ludhiana.

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              क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद
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              मानसून के मौसम में माइग्रेन की समस्या क्या है – जानिए इसके कारण, लक्षण, रोकथाम और इलाज !

              माइग्रेन जोकि खतरनाक वाला सिरदर्द है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। हालाँकि वे किसी भी समय हमला कर सकते है, लेकिन मानसून के मौसम के दौरान वे अक्सर अधिक प्रचलित हो जाते है और प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इस ब्लॉग में, हम इस बरसात के मौसम में माइग्रेन के कारणों, लक्षणों, रोकथाम और उपचार के विकल्पों का पता लगाएंगे ;

              मानसूनी माइग्रेन के क्या कारण है ?

              • तापमान और वायुमंडलीय दबाव में अचानक बदलाव से संवेदनशील व्यक्तियों में माइग्रेन हो सकता है।
              • उच्च आर्द्रता के स्तर से निर्जलीकरण हो सकता है, जो एक ज्ञात माइग्रेन ट्रिगर है।
              • नमी की स्थिति के कारण फफूंद और पराग के स्तर में वृद्धि एलर्जी वाले लोगों में माइग्रेन को बढ़ा सकती है।
              • बादल छाए आसमान और मंद प्राकृतिक रोशनी लोगों को कृत्रिम रोशनी के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती है, जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है।

              मानसूनी माइग्रेन के लक्षण क्या है ?

              • मानसून के मौसम में माइग्रेन के लक्षणों की पहचान करना समय पर हस्तक्षेप के लिए महत्वपूर्ण है। सामान्य माइग्रेन के लक्षणों में शामिल हैं:
              • गंभीर, धड़कता हुआ दर्द, जो अक्सर सिर के एक तरफ होता है।
              • माइग्रेन के कारण तीव्र मतली हो सकती है, जिससे कभी-कभी उल्टी भी हो सकती है।
              • प्रकाश (फोटोफोबिया) और ध्वनि (फोनोफोबिया) के प्रति बढ़ी हुई संवेदनशीलता सामान्य है।
              • कुछ व्यक्तियों को सिरदर्द शुरू होने से पहले दृश्य गड़बड़ी का अनुभव होता है, जैसे चमकती रोशनी या टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं।

              यदि माइग्रेन के लक्षण लगातार गंभीर होते जाए तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

              मानसूनी माइग्रेन के दौरान किस तरह के रोकथाम को अपनाएं!

              • हालाँकि आप मौसम को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन आप मानसून के मौसम में माइग्रेन को रोकने के लिए कदम उठा सकते है, जैसे –
              • निर्जलीकरण से निपटने के लिए खूब पानी पिएं, जो आर्द्र परिस्थितियों में माइग्रेन का एक आम कारण है।
              • तनाव को कम करने के लिए ध्यान और गहरी सांस लेने जैसी विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें, जो माइग्रेन को कम कर सकें।
              • नींद से संबंधित ट्रिगर्स को कम करने के लिए लगातार नींद का शेड्यूल बनाए रखें।
              • ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते है, जैसे कैफीन, शराब, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और कृत्रिम योजक वाले खाद्य पदार्थ।
              • अपनी आँखों को तेज़ या टिमटिमाती रोशनी से बचाने के लिए धूप का चश्मा या चौड़ी किनारी वाली टोपी पहनें।
              • यदि आपको एलर्जी है, तो उचित प्रबंधन के लिए एंटीहिस्टामाइन लें या किसी एलर्जी विशेषज्ञ से परामर्श लें।

              यदि रोकथाम करने के बाद भी इसकी समस्या लगातार बढ़ते जाए तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

              मानसूनी माइग्रेन का इलाज क्या है ?

              जब मानसून के मौसम में माइग्रेन होता है, तो यह जानना आवश्यक है कि दर्द को कैसे कम किया जाए ;

              ओवर-द-काउंटर दवाएं लें : 

              इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन जैसी गैर-पर्ची दर्द निवारक दवाएं यदि निर्देशानुसार ली जाएं तो राहत मिल सकती है।

              प्रिस्क्रिप्शन दवाएं : 

              ट्रिप्टान या मतली-रोधी दवाओं जैसी मजबूत माइग्रेन-विशिष्ट दवाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें।

              आराम और अंधेरा कमरा अपनाए : 

              संवेदी उत्तेजनाओं को कम करने के लिए एक शांत, अंधेरे कमरे में लेटें।

              ठंडी सिकाई करें : 

              दर्द को कम करने और सूजन को कम करने के लिए अपने माथे पर ठंडी सिकाई करें।

              जलयोजन : 

              हाइड्रेटेड रहने और मतली को कम करने के लिए पानी या हर्बल चाय पियें।

              कैफीन : 

              कुछ मामलों में, कैफीन की थोड़ी मात्रा माइग्रेन के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकती है। लेकिन इसकी कुछ ही मात्रा लें वो भी डॉक्टर के सलाह पर। 

              पेशेवर मदद : 

              क्रोनिक माइग्रेन या मानक उपचारों के प्रति प्रतिरोधी माइग्रेन के लिए, किसी न्यूरोलॉजिस्ट या सिर दर्द विशेषज्ञ से परामर्श लेने पर विचार करें।

              मानसूनी माइग्रेन की समस्या के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

              अगर आप मानसून के मौसम में आने वाले माइग्रेन की समस्या से खुद का बचाव करना चाहते है, तो इसके लिए आपको न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए, पर ध्यान रहें अगर अभी आपके माइग्रेन की शुरुआत हुई है तो आप इससे बहुत ही आसानी से खुद का बचाव कर सकते है, वो भी खुद का अच्छे से ध्यान रखकर। पर अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो इसके लिए आप इस हॉस्पिटल के डॉक्टर का चयन कर सकते है। 

              निष्कर्ष :

              याद रखें कि जो एक व्यक्ति के लिए उपचार काम करता है वह दूसरे के लिए काम नहीं कर सकता है, इसलिए अपने अद्वितीय ट्रिगर्स की पहचान करना और इस बरसात के मौसम के दौरान माइग्रेन से निपटने के लिए एक व्यक्तिगत योजना विकसित करना आवश्यक है। उचित देखभाल और जागरूकता के साथ, आप माइग्रेन के प्रभाव को कम कर सकते है और मानसून के मौसम का पूरा लुफ्त उठा सकते है। 

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                क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद
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                लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया क्यों अधिक चिंतन की वजह से लोग हो रहे दिमाग के मरीज़

                न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना: आज के इस विषय में हम बात करेंगे की कैसे लोग अधिक चिंतन की वजह से माइग्रेन जैसी बड़ी बीमारी का सामना करते है,और कैसे वो डॉक्टर की मदद से खुद को इस बीमारी से बहार निकालने में सफल हो पाते हैं |

                माइग्रेन होता क्या हैं….

                • माइग्रेन को हम आम भाषा में एक प्रकार का तेज सिरदर्द भी कह सकते हैं।
                • यह घबराहट, उल्टी, तेज़ प्रकाश और आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षणों के साथ भी हो सकता है।
                • बता दे कि कई लोगों को यह दर्द सिर के एक तरफ ही महसूस होता है।
                • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि माइग्रेन या सिरदर्द अक्सर युवावस्था में शुरू होता है और 35 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित भी करता है।

                यहाँ पर ये भी गौरतलब है की माइग्रेन समान्य सिर दर्द से काफी अलग होता है, क्युकि इसमे जो दर्द होता है वो काफी तेज होता है, और कभी-कभी बर्दाशत से बाहर भी हो जाता है। जैसे-

                कुछ लोगों को हर हफ्ते एक से ज्यादा बार ये होता हैं, जबकि अन्य को कभी-कभार ही ऐसा होता हैं। बता दे कि वैश्विक अध्ययनों से पता चला है कि दुनिया की लगभग 1% आबादी को क्रोनिक माइग्रेन होने की संभावना हो सकती है।

                लक्षण क्या हैं माइग्रेन के….

                • बता दे की प्रकाश, आवाज या गंध के प्रति संवेदनशील होना
                • थकान महसूस होना
                • भोजन की लालसा या भूख की कमी होना
                • मनोदशा में बदलाव आना
                • ज्यादा प्यास लगना
                • कब्ज या दस्त की परेशानी होना

                अब हम जानेगे की माइग्रेशन होता क्यों हैं….

                माइग्रेन के कारण को साफतौर पर पता नही लगाया जा सकता है। लेकिन हां ये दिमाग में होने वाले बदलाव के कारण हो सकता हैं और हा आनुवंशिक विशेषताओं में भी अटैक आने का एक कारण हो सकता हैं, क्योंकि परिवार का इतिहास होना माइग्रेन का एक सामान्य जोखिम कारक है। माइग्रेन से पीड़ित अधिकांश लोगों को अचानक ही अटैक आता है और फिर उससे लोगो को काफी परेशानी भी होती हैं जिसका सामना करना मुश्किल सा हो जाता है और कुछ दिमाग से जुडी नसों को भी काफी हद तक बारीकी से जोख़िम भी पहुँचता हैं जैसे-

                • नर्वेस कोम्युनिकेशन
                • रसायनों का संतुलन
                • रक्त वाहिकाएं

                अब कुछ लोगो के दिमाग में ये बात भी आ रही होगी कि माइग्रेन का कोई इलाज है या नहीं…..

                 माइग्रेन का कोई पक्का इलाज तो नही है, लेकिन हा इसके लक्षणों का इलाज कर हम इसे काबू मे रख सकते है और लक्षणों के बारे में हम आपको ऊपर बता ही चुके हैं |

                • दूसरा डॉक्टर से सही सलाह ले और अक्सर उनके सम्पर्क मे रहे ताकि आपको काफी सहायता मिल सके |

                माइग्रेन से खुद का बचाव कैसे करें….                        

                • माइग्रेन के ट्रीगर को पहचाने जैसे की कब दर्द शुरु होता है और किस स्थिति मे यह तेज हो जाता है।
                • तनाव ना ले और अपने दिमाग को तनावमुक्त रखे और बेहतरीन तरीके से नींद ले।
                • नशे वाले पदार्थ से जितना हो सके दूर रहे।
                • प्रतिदिन योग करे और ध्यान लगाए, शुरुआत आप कुछ मिनट से भी कर सकते है लेकिन इसे निरंतर दिनचर्या मे शामिल जरूर करे।
                • सर मे किसी तरह का दर्द कई दिनो तक रहे तो डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करे।
                • खुद को हाईड्रेट रखे, पानी की कमी बिल्कुल भी ना होने दे।

                निष्कर्ष….

                जैसेकि हमने माइग्रेन से जुड़ी तकरीबन बातें आपके साथ सांझी की और अगर आपको थोड़ा भी अगर माइग्रेन होने का अनुभव होता है तो अपने नज़दीकी डायग्नोस्टिक से संपर्क जरूर करे या फिर लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट या न्यूरोसिटी अस्पताल में जरूर एक बार जाए ताकि आपको आपकी परेशानी का समाधान आसानी से मिल सके||

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