जो लोग कंफ्यूज रहते हैं उनमें कमजोर होती हैं ये तंत्रिका कोशिकाएं, ब्रेन का कौन सा पार्ट होता है तुक्का मारने में जबरदस्त, जाने डॉक्टर से

दिमाग हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमारे हर फैसले को लेकर अलग -अलग तरह की प्रक्रियाओं को करता है। इन पर्किर्यायों में आपकी प्रतिक्रियाशीलता को अलग-अलग गति से रिकॉर्ड करना शामिल है। आम तौर पर, इस तरह तरह की स्थिति के कारण, हम कुछ लोगों को एक्टिव और कुछ लोगों को स्लो समझा बैठते हैं, जबकि इस में उनकी किसी भी तरह की कोई गलती नहीं होती है। आम तौर पर, इसी तरह हमारा दिमाग भी फैसला लेने में एक महत्वपूर्ण भूमिका को निभाता है। आपको बता दें, कि हाल ही में आये एक शोध में, जो लोग ज्यादातर फैसला लेने में और कंफ्यूज रहते हैं, उनके दिमाग के बारे में एक खास खुलासा हुआ है। आम तौर पर, अगर इस शोध पर विश्वास किया जाये, तो डिसीजन मेकिंग यानी कि हमारे फैसला लेने की शक्ति और गति असल में, हमारे दिमाग के न्यूरॉन की फायरिंग दर की गति के साथ जुड़ा हुआ है। वो कैसे? तो आइये इस लेख के माध्यम से इस शोध के बारे में इस के डॉक्टर से विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं। 

यह शोध फैसला लेने के बारे में क्या कहती है?

आपको बता दें, कि जर्मनी की बॉन विश्वविद्यालय ने इस विषय पर ख़ोज की है, जो आम तौर पर, बायोलॉजी करेंट जर्नल में प्रकाशित हुई है। दरअसल, इस खोज में बताया गया है, कि किस तरीके से तंत्रिका कोशिकाओं की पहचान की जाती है, जो आम तौर पर, इस प्रक्रिया के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। इसके साथ ही, इस खोज में पाया गया है, कि फैसला लेने में विश्वास का स्तर, दरअसल न्यूरॉन की फायरिंग दर की गति के साथ जुड़ा हुआ होता है। आम तौर पर, ख़ोज बताती है, कि दिमाग के टेम्पोरल लोब के न्यूरॉन्स में बिजली की तरंगों की बड़ी हुई आवृत्ति फैसला लेने की शक्ति की गति को किस तरीके से तेज करती है। वहीं इसकी सहायता से एक व्यक्ति को फैसला लेने में काफी ज्यादा मदद प्राप्त होती है। 

क्या तंत्रिका कोशिकाएँ आपके फैसला लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं?

आम तौर पर, इस खोज ने दिखाया है, कि किस तरीके से कुछ लोगों का दिमाग, असल में, कई चीजों को याद रख कर और उन चीजों का तुरंत जवाब देने में किस तरीके से बेहतर होता है, जबकि इसके उल्ट कुछ लोगों का दिमाग कंफ्यूज और कमजोर होता है। असल में, इस दौरान इस खोज ने खुलासा किया है, कि कुछ न्यूरॉन्स में बिजली की नब्जों कि आवृत्ति, या केवल उनकी फायरिंग दर, फैसला लेने को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकती है। आम तौर पर, उदाहरण के लिए, जिन लोगों में न्यूरॉन्स की फायरिंग दर बहुत ज्यादा तेज़ होती है, तो उनका दिमाग काफी तेजी से काम करने में सक्षम होता है और वहीं जिन लोगों में न्यूरॉन्स की फायरिंग दर कम होती है, वो असल में कंफ्जू होने वाली स्थिति में बार बार पहुंच जाते हैं। इसके अलावा, जो लोग दोनों के बीच में मध्यम गति वाले होते हैं, तो उनका दिमागी बैकअप काफी ज्यादा अच्छा होता है, इस तरह के लोग तुक्कों में चीजों को सही काफी ज्यादा सही बताते हैं। 

निष्कर्ष:

इस प्रकार, यह खोज बताती है कि कैसे प्रभावित न्यूरॉन्स और दिमाग का यह क्षेत्र मानसिक गतिविधियों को करने और फैसला लेने में एक महत्वपूर्ण भूमिका को निभाते हैं। आम तौर पर, इसके साथ ही यह याददाश्त प्रक्रियाओं, जैसे कि अपने दिमाग में चीजों को याद रखना और साथ ही एक सही फैसला लेने, में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका को निभाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस विषय पर और भी ज्यादा खोज करने की जरूरत है। पर तब तक आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य को बना कर रखना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। अपने मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए आपको रोजाना व्यायाम करना चाहिए। अगर आपको भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी है, या फिर दिमाग से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या का इलाज चाहते है, तो आप आज ही न्यूरो सिटी हॉस्पिटल में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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    दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से
    Brain injuryHindi

    दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से

    • November 10, 2025

    • 9 Views

    असल में, दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और एक मुख्य…

    5 Causes Behind Developing Trigeminal Neuralgia
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    दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से

    असल में, दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और एक मुख्य अंग होता है। आपको बता दें कि अपने शरीर को सेहतमंद रखने के लिए अपने दिमाग को सेहतमंद रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। कुछ इस तरह की स्थिति, जिसमें अगर आपका दिमाग ही बीमार और स्वस्थ नहीं रहता है, तो इसकी वजह से आपको शरीर में महत्वपूर्ण कमी और यहां तक कि विकलांगता का भी अनुभव हो सकता है। आम तौर पर, इसलिए आपको दिमाग पर लगी चोट (ब्रेन इंजरी) को बिलकुल भी नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए, उसका जल्द से जल्द इलाज कराना चाहिए, ताकि आपके जीवन की गुणवत्ता और भी ज्यादा बेहतर हो सके। यह तो आप जानते ही होंगे, कि अक्सर हर साल कई लोग किसी दुर्घटना की वजह से दिमाग पर लगी चोट के कारण अपनी जिंदगी को खो देते हैं। इसलिए इस दौरान दिमाग पर लगी हलकी या फिर बड़ी, किसी भी प्रकार की चोट को हलके में नहीं लेना चाहिए, इसके लिए आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और इसका इलाज करवाना चाहिए। ताकि आगे चलकर आपको किसी बड़ी समस्या या फिर जटिलता का सामना न करना पड़े। तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके डॉक्टर से, दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। 

    दिमाग पर चोट (ब्रेन इंजरी) के कारण 

    डॉक्टर के अनुसार, सिर पर किसी भी तरह की चोट लगने की वजह से दिमागी चोट लग सकती है। आम तौर पर, ज्यादातर इस तरह कि दिमागी चोट बच्चों और बूढ़ों में देखने को मिलती है, जैसे कि 

    1. बेड से गिरना और किसी चीज से सिर टकराना। 
    2. सीढ़ी से पैर फिसलने से दीवार या जमीन पर सिर लगना। 
    3. किसी ऊंचाई से नीचे गिरना। 
    4. रोड पर होने वाले एक्सीडेंट। 
    5. दीवार आदि पर सिर टकराना।
    6. बॉक्सिंग, फुटबॉल और बेसबॉल खेलते समय सिर पर मुक्का या बॉल लगना। 

    दिमाग पर चोट (ब्रेन इंजरी) के लक्षण

    दरअसल, दिमाग पर चोट लगने के कारण आपको कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। आम तौर पर, इस तरह के लक्षण चोट लगने के तुरंत बाद या फिर चोट लगने के एक हफ्ते बाद नज़र आ सकते हैं, जैसे कि 

    1. सिर दर्द होना। 
    2. कुछ भी बोलने में अक्षमता महसूस होना। 
    3. कुछ स्थितियों में खुद को संतुलित न कर पाना। 
    4. चल पाने में दिक्कत महसूस होना। 
    5. ज्यादातर चक्कर आना। 
    6. लाइट के प्रति सेंसिटिविटी होना। 
    7. कुछ भी सुनने में परेशानी होना। 
    8. धुंधला दिखाई देना। 
    9. अपने होश खो बैठना। 
    10. किसी दुविधा में फंसे रहना। 
    11. मानसिक रोग जैसे डिप्रेशन, चिंता होना। 
    12. तनाव में रहना। 
    13. उंगलियों में कमजोरी आना। 
    14. मूड स्विंग होना। 
    15. उल्टियां होना। 
    16. जी घबराना। 

    दिमाग पर चोट (ब्रेन इंजरी) का उपचार

    आम तौर पर, आपको इस तरह के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए और साथ ही अपने आम जीवन में लौटने के लिए, फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की जरूरत होती है। दरअसल, इस दौरान थेरेपिस्ट पहले आपको अपनी रोजाना की गतिविधियों में और साथ में चीजों को याद रखने में सहायता प्रदान कर सकते हैं। इसके साथ ही, आपकी कई प्रकार की गतिविधियों जैसे कि चलने और बैलेंस रखने में फिजिकल थेरेपिस्ट आपकी काफी ज्यादा सहायता कर सकते हैं। इसके अलावा, वह आपके बोलने और सुन पाने में भी सहायता प्रदान कर सकते हैं। 

    निष्कर्ष:

    दिमाग हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण और आवश्यक अंग है, जिसकी वजह से हम सभी काम अच्छे तरीके से कर पाते हैं। दिमाग हमें चीजों को समझने में काफी मदद करता है, इसलिए दिमाग को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। अगर आपका दिमाग बीमार है और स्वस्थ नहीं है, तो आपको काफी शारीरिक दुर्बलता और यहां तक ​​कि विकलांगता का भी अनुभव हो सकता है। इसलिए ब्रेन इंजरी को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति होने पर आपको तुरंत इसका इलाज करवाना चाहिए ताकि आपको आगे किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। ब्रेन इंजरी होने पर, आपको कई गंभीर लक्षण भी नजर आ सकते हैं, ऐसा होने पर आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। अगर आप भी इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं और ब्रेन इंजरी जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं और आप किसी थेरेपिस्ट की मदद लेना चाहते हैं, तो आप आज ही न्यूरो सिटी अस्पताल में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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      दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से
      Brain injuryHindi

      दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से

      • November 10, 2025

      • 10 Views

      असल में, दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और एक मुख्य…

      5 Causes Behind Developing Trigeminal Neuralgia
      NeurologistNeurologyneurosurgeon

      5 Causes Behind Developing Trigeminal Neuralgia

      • November 6, 2025

      • 25 Views

      Suffering from any type of pain can be thoroughly and effectively difficult…

      सांस लेने में हो रही परेशानी के मुख्य कारण क्या है और इस दौरान क्या करना करना चाहिए ?

      सांस लेने में परेशानी होना स्वास्थ्य से जुड़ा एक आम समस्या है, जो कई लोगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है | यह समस्या एक व्यक्ति को न केवल शरीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित कर सकता है | इसलिए इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह ज़रूरी होता है की वह सांस लेने में हो रही परेशानी को ठीक से समझें और अपनी समस्यों के उपचार को महत्ववपूर्ण दें | आइये जानते है इस विषय के बारें में विस्तारपूर्वक से :- 

       

      सांस लेने में परेशानी क्यों होती है और इसके मुख्य कारण क्या है ? 

      सांस लेने में परेशानी होने के विभिन्न कारक हो सकते है, जो हलके से लेकर गंभीर स्थितिओं को उत्पन्न कर सकती है | सांस लेने में हो रही कठिनाई के सामान्य लक्षणों में शामिल है :- 

       

      श्वसन संक्रमण 

      बदलते मौसम के साथ-साथ सामान्य सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस या फिर निमोनिया जैसे संक्रमणों से वायुमार्ग में संकुचन और सूजन होने लग जाता है, जिसकी वजह से एक व्यक्ति के लिए सांस लेना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है | 

       

      अस्थमा 

      अस्थमा एक ऐसी समस्या है जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी होने लग जाती है, यह स्थिति पुरानी वायु मार्ग की सूजन और संकुचन के कारण बनता है, जो सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट की आवाज़ और खांसी जैसे लक्षणों को उत्पन्न करता है | 

      सांस क्यों कठिन होती है और इसे कैसे प्रबंधित करें

      सीपीओडी यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज      

      सीपीओडी यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों से जुडी एक आम बीमारी है, जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी होने लग जाती है | सीपीओडी में क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति जैसे स्थितियां शामिल होती है | 

       

      किसी चीज़ से एलर्जी होना 

      धूल के छोटे-छोटे कण, पालतू जानवरों के रुसी, पराग या फिर कुछ खाद पदार्थ से एलर्जी की प्रतिक्रिया श्वसन संबंधी लक्षण को उत्पन्न कर सकते है, जिससे आपको सांस लेने में समस्या हो सकती है |   

       

      अत्यधिक चिंता में रहना और घबराहट 

      तीव्र चिंता और घबराहट होने वाली स्थिति से आपको तेज़ी से सांस लेने, सीने में जकड़न होना और सांस लेने के लिए संघर्ष करने की अनुभूति हो सकती है | 

       

      हृदय से जुड़ी स्थितियां 

      हृदय के स्वास्थ्य से जुड़े कुछ स्थितियां जैसे की कार्डियक अरेस्ट, कोरोनरी धमनी रोग या फिर अतालता सहित विभिन्न समस्याएं हृदय के रक्त को पंप करने की क्षमता को प्रभावी ढंग से ख़राब कर देती है, जिसकी वजह से सांस फूलने लग जाता है | 

       

      वजन का अनियमतता से बढ़ना 

      कई मामलों में सांस फूलने की मुख्य वजह मोटापा भी होता है, क्योंकि अत्यधिक वजन श्वसन में दबाव डालते है, जिससे सांस लेने में काफी दिक्कत होती है |   

       

      पल्मोनरी अम्बोलिज़्म 

      फुफफुसीय धमनी में होने वाले रक्त के धक्के, जो फेफड़ों में रक्त की आपूर्ति करता है, वह रक्त प्रवाह में बाधा डाल सकता है, जिससे सांस लेने में परेशनी हो सकती है | 

       

      फेफड़ों से जुड़ा रोग 

      फेफड़ों का कैंसर, फुफफुसीय फाइब्रोसिस या फुफफुसीय के उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियां फेफड़ों की कार्यप्रणाली को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है | जिसके परिणामस्वरुप सांस लेने में परेशानी हो जाती है | 

       

      अन्य कारक 

      अधिक ऊंचाई, प्रदूषकों के संपर्क में आने से, धूम्रपान करने से, कुछ दवाएं और एनीमिया या फिर न्यूरोमस्कुलर से जुड़े कुछ विकार से भी सांस लेने में समस्या होने लग जाती है |       

       

      सांस लेने में हो रही परेशानी के मुख्य लक्षण क्या है ? 

      सांस लेने में हो रही परेशानी से आप कई तरह के लक्षणों से गुजर सकते है जैसे की सांस लेने के साथ-साथ घबराहट होना, दम घुटना, श्वास में कष्ट होने का अनुभव होना, सांस को अच्छी तरह से खींचने में परेशानी होना या फिर दर्द महसूस होना और सांस लेते समय सांस के फूलने का अनुभव करना आदि शामिल है |    

       

      सांस लेने में हो रही परेशानी के दौरान करें ? 

      यदि आप या फिर आपका कोई परिजन को सांस लेने में परेशानी में हो रही है, तो इस दौरान तुरंत करवाई करने की आवश्यकता पड़ सकती है | नीचे दिए उपायों के अनुसरण से आप सांस लेने में हो रही परेशानी को कम करने की कोशिश कर सकते है :- 

       

      • सबसे पहले शांत रहे, क्योंकि घबराने से सांस लेने में काफी परेशानी होती है, इसलिए शांत और केंद्रित रहने की कोशिश करें | 


      • यदि आपकी स्थिति गंभीर होती जा रही है या फिर इससे संबंधित लक्षण लगातार गंभीर हो रहे है तो बिना समय को व्यर्थ किए तुरंत आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करें या फिर अपने निकटतम आपातकालीन कक्ष में जाएं  | 


      • सीधा और थोड़ा आगे की ओर होकर बैठें | ऐसा करने से वायुमार्ग को खोलने और सांस लेने में सुविधा प्राप्त हो सकती है |


      • डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का समय-समय पर सेवन करते है, क्योंकि यह सांस लेने में हो रही परेशानी को कम करने में मदद करता है |   


      • कोशिश करें थोड़े ढीले और आरामदायक कपडे को ही पहने | 


      • खुद को हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीते रहे, क्योंकि शुष्क वायु मार्ग होने से भी सांस लेने में परेशानी होती है | 


      यह सब करने के बाद भले ही आपकी सांस लेने में हो रही परेशानी कम हो जाएं या फिर सुधार हो जाएं, फिर भी इसके अंतर्निहित कारणों को निर्धारित करने के लिए और उचित उपचार को प्राप्त करने के लिए चिकित्सा से मूल्यांकन ज़रूर करवाएं | इसके लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर विकेश गुप्ता पंजाब के बेहतरीन पुमोनोलॉजिस्ट में से एक है, जो आपकी समस्या का सटीकता से इलाज करने में मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए नियुक्ति को बुक करने के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल को ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं | इसके अलावा आप वेबसाइट पर मौजूद नंबरों से भी बातचीत कर सकते है |

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        दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से
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        दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से

        • November 10, 2025

        • 10 Views

        असल में, दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और एक मुख्य…

        5 Causes Behind Developing Trigeminal Neuralgia
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        • November 6, 2025

        • 25 Views

        Suffering from any type of pain can be thoroughly and effectively difficult…

        क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद

        न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विकेश गुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में ये बताया की बदलती जीवनशैली और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अधिकतम लोगों को सांस लेने में काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ जाता है | कई मामलों में व्यक्ति को खांसी की समस्या काफी अधिक हो जाती है, जिसके चलते लगातार खांसी होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है | यह समस्या उत्पन्न होने के कई प्रमुख कारण हो सकते है, जिन में से एक है फेफड़ों से जुडी किसी भी प्रकार के समस्या का उत्पन्न होना | इस समस्या का सही समय पर इलाज करना बेहद ज़रूरी होता है, नहीं तो यह आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी का विक्राल रूप धारण कर सकती है | 

         

        डॉक्टर विकेश गुप्ता ने यह बीमारी को समझते हुए इसके इलाज में उपयोग किये जाने वाले प्रक्रिया के बारे में बताते हुए यह कहा की इस समस्या के इलाज के लिए एक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है जो है ब्रोंकोस्कोपी | ब्रोंकोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके उपयोग से एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता किसी भी व्यक्ति के फेफड़ों के अंदर देख सकता है | इस प्रकिया में एक पतली और रौशनी वाली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है | 

         

        यदि आप भी साँस लेने में तकलीफ या फिर लगातार खांसी होने की समस्या हो रही है तो देरी न करें और जल्द ही किसी डॉक्टर के पास जाकर इस समस्या का अच्छे से इलाज करवाएं | इसके लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से परामर्श भी कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विकेश गुप्ता पुमोनोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आप ही  न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

        इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देख सकते है | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जायेगी | 

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          • November 10, 2025

          • 10 Views

          असल में, दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और एक मुख्य…

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          • November 6, 2025

          • 25 Views

          Suffering from any type of pain can be thoroughly and effectively difficult…

          स्लीप एपनिया क्या होता है ? जाने एक्सपर्ट्स से कैसे पाया जा सकता है इस समस्या से निज़ात

          न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया की स्लीप एपनिया एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिस कारण इसस समस्या से पीड़ित व्यक्ति अक्सर नींद में साँस लेना बंद कर देता है | जहाँ आपका मस्तिषक पर्याप्त रूप से जागकर आपकी रक्षा करने का कार्य करता है, वही यह समस्या आपके आरामदायक और स्वस्थ नींद मे खलल बनने का कारण बनती है | स्लीप एपनिया जैसे गंभीर समस्या का सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है, क्योंकि समय के साथ-साथ यह स्थिति गंभीर जटिलताओं के उत्पन्न होने का प्रमुख कारण बन सकती है | यदि आप निर्धारित उपचारों का पर्याप्प्त रूप से पालन करेंगे, तो स्लीप एपनिया जैसे गंभीर समस्या से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है, क्योंकि स्लीप एपनिया जैसी स्थिति को पूर्ण रूप से नियंत्रण किया जा सकता है | आइये जानते है स्लीप एपनिया जैसे स्थित के पउत्पन्न होने के प्रमुख कारण कौन-से है | 

           

          एक शोध से यह बात सामने आई है की स्लीप एपनिया स्थिति तब उत्पन्न होती है जब आपके वायु मार्ग में किसी कारण से रुकावट आ जाती है या फिर तब होती है जब आपका मस्तिष्क आपके साँस लेने के तरीके को सही तरीके से नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाता है | जिसके परिणामस्वरूप आपके शरीर में ऑक्सीजन में आये कमी कारण यह एक जीवित प्रतिवर्त को  सक्रिय कर देती है, जो पर्याप्त रूप से आपको साँस लेने के लिए जगाये रखने का कार्य करती है | हालांकि यह प्रतिवर्त आपको जीवित तो रखता है लेकिन आपके नींद चक्र में बाधित बन जाता है | स्लिप एपनिया नींद के साथ-साथ शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित सकता है, जिसके संभावित रूप से परिणाम घातक हो सकते है | 

           

          इसलिए यदि आप भी स्लीप एपनिया जैसी गंभीर समस्या से पीड़ित है तो बिना समय को देरी किये आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से इलाज के लिए परामर्श करें | इस संस्था के पास न्यूरोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम है, जो स्लीप एपनिया जैसी गंभीर समस्या से छुटकारा दिला सकता है | इसलिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

           

          इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल की यूट्यूब चैनल पर भी जा सकते है या फिर दिए गए लिंक पर इस वीडियो को पूरा देख सकते है | इस चैनल में इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो मौजूद है | 

              

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            दिमाग की चोट के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय, जाने डॉक्टर से
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            • November 10, 2025

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            असल में, दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और एक मुख्य…

            5 Causes Behind Developing Trigeminal Neuralgia
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            • November 6, 2025

            • 25 Views

            Suffering from any type of pain can be thoroughly and effectively difficult…

            माइग्रेन सिरदर्द के मुख्य लक्षण कौन-से है ? जाने एक्सपर्ट्स से कैसे पाएं माइग्रेन की समस्या से निजात

            न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एस.के. बंसल ने अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में यह बताया कि माइग्रेन मस्तिष्क से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़ित लोगों के सिर एक हिस्से में काफी तीव्र दर्द होने लग जाता है | कई मामलों में लोगों को सिरदर्द के साथ-साथ जी मिचलना, उलटी और दस्त की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है | प्रकाश और शोर के प्रति व्यक्ति अत्यधिक सवेदनशील हो जाता है और इस सिरदर्द के कारण व्यक्ति के रोज़मर्रा जीवनशैली पर भी काफी बुरा असर पड़ता है | आमतौर पर माइग्रेन का अटैक का असर एक घंटे से 2-3 दिन तक भी रह सकता है | आइये जानते है माइग्रेन सिरदर्द के प्रमुख लक्षण कौन-से है :- 

             

            • माइग्रेन सिरदर्द के शुरुआती दिनों में व्यक्ति में कब्ज़, मूड में बदलाव, भूख न लगना, गर्दन में अकड़न आना, बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण दिखायी दे सकते है | 

             

            • कई मामलों में माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को इस सिरदर्द से पहले या फिर इस सिरदर्द के दैरान औरा बनने का  आभास होने लग जाता है, जिससे उनके नर्वस सिस्टम काफी बूरा प्रभाव पड़ सकता है | 

             

            • माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को आवाज़ और प्रकाश से संवेदनशील होने लग जाता है, जिस कारण उनके आंखों की दृष्टि में थोड़े समय के लिए धुँधलापन आ जाता है |

             

            • हाथ या पैर में सुई जैसा अनुभव होना, चेहरे के एक तरफ सुन्नता आना, बोलने के समय परेशानी होने जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते है | 

             

            यदि आप भी माइग्रेन सिरदर्द की समस्या से गुज़र रहे है और कई तरह के उपचार के अपनाने के बाद स्थिति में किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा तो आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एस.के. बंसल न्यूरोसर्जरी में स्पेशलिस्ट है, जो माइग्रेन जैसे सिरदर्द को कम करने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

            इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है या फिर दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |    

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              डिस्टोनिया डिसऑर्डर क्या है और यह किन कारणों से उत्पन्न होती है ?

              डिस्टोनिया डिसऑर्डर यह एक किस्म की ऐसी मूवमेंट डिसऑर्डर होती है, जो व्यक्ति के शरीर की मांसपेशियों को सिकोड़ने का कारण बनती है | इसकी वहज से शरीर में कुछ इस प्रकार की प्रक्रियाऐं उत्पन्न होती है, जो किसी भी व्यक्ति के नियंत्रण में नहीं होती है | जब डिस्टोनिया शरीर के एक ही हिस्से को प्रभावित करती है तो इससे फोकल डिस्टोनिया कहा जाता है | जब डिस्टोनिया शरीर के दो या उसे भी अधिक हिस्से को या फिर एक-दूसरे की बगल को प्रभावित करती हे तो इसे सेंगमेंटल  डिस्टोनिया कहा जाता है | जब यह डिस्टोनिया पूरे शरीर को प्रभावित कर रही होती है तो इसे सामान्य डिस्टोनिया कहा जाता है | 

               

              न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया कि एक व्यक्ति के शरीर की मांसपेशियों में ऐंठन हल्के से लेकर अधिक गंभीर तक हो सकता है | यह स्थिति दर्दनाक भी हो सकती है और साथ ही व्यक्ति के रोज़मर्रा कार्यों की क्षमता को भी काफी प्रभावित कर सकती है | 

               

              डिस्टोनिया एक ऐसी समस्या है, जिसका कोई इलाज नहीं है, क्योंकि यह समस्या बढ़ती उम्र के साथ उत्पन्न होना शुरू हो जाती है | लेकिन इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि डिस्टोनिया से प्रभावित हुए क्षेत्र का आसानी से इलाज किया जा सकता है जिसमे न्यूरोसिटी हॉस्पिटल आपकी मदद कर सकता है | इस संस्था की एक्पर्ट टीम डिस्टोनिया के लक्षणों को प्रबंधित करने और आपकी जीवन की गुणवंत्ता को सुधरने में लेटेस्ट उपचार का उपयोग कर इस समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकती है | 

               

              यदि आप भी डिस्टोनिया की समस्या से पीड़ित है और इलाज करवाना चाहते है तो आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करें, ताकि जल्द से जल्द इस समस्या को कम करने में मदद मिल सके | 

               

              इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करे और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | यहाँ आपको इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो मिल जाएगी |  

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                डिस्टोनिया क्या है और इसके मुख्य लक्षण कौन-से है ?

                डिस्टोनिया एक ऐसी समस्या जिसमें पीड़ित व्यक्ति के मांसपेशी में अनियंत्रित रूप से संकुचन की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिससे आसान भाषा में मांसपेशियों में तनाव का उत्पन्न होना भी कहा जाता है | डिस्टोनिया का संबंध व्यक्ति तंत्रिका विकार से होता है, जिसमें स्थिति को दर्दनाक बनाने और असामान्य स्थिति को उत्पन्न करने की क्षमता होती है | यह समस्या पीड़ित व्यक्ति के शरीर में किसी एक हिस्से को ही सबसे अधिक प्रभावित कर देती है और अधिकतर मामलों में इस समस्या की गतिविधियां कंपन जैसी होती है |      

                न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया गया की डिस्टोनिया अपने आप में ही एक ऐसी स्थिति होती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर के किसी भी एक हिस्से में संकुचन बनने लग जाता है | अब अगर इसके लक्षण की बात करें तो इससे पीड़ित व्यक्ति शरीर में असुविधाजनक दर्द होने लग जाता है, बिजली के झटके महसूस होते है, शरीर कांपने लग जाता है, प्रभावित मांसपेशियों का उपयोग करने से स्थिति और भी गंभित हो सकती है | 

                डिस्टोनिया जैसी गंभीर समस्या से पीड़ित व्यक्ति को कभी भी इसके लक्षण को नज़र-अंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से इसके परिणाम काफी घातक हो सकते है | इसलिए समझदारी इसी में है की लक्षणों का पता लगते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और सटीक रूप से अपना इलाज करवाएं, ताकि जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा मिल सके |

                इस संस्था के पास न्यूरोलॉजिस्ट एंड न्यूरोसर्जरी में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम है, जो पिछले 12 सालों से पीड़ित मरीज़ों का सटीक और स्थायी रूप इलाज कर उन्हें समस्या से छुटकारा दिला रहे है | इसलिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

                इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए पर लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है |

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                  • November 6, 2025

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                  Suffering from any type of pain can be thoroughly and effectively difficult…

                  क्या गर्दन में दर्द बन रही आपके रोज़ाना कार्य में रुकावट, जाने किन कारणों से होती है नेकपेन की समस्या ?

                  न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया गया की कोविड काल के बाद से कई लोगों ने अपने काम करने के तरीके को काफी हद तक बिल्कुल ही बदल दिया है और ऑफीस जाने बजाये अब कई लोगों ने  वर्क फ्रॉम होम करना शुरू कर दिया है, जिस कारण वह अपना काफी समय कंप्यूटर पर काम करने में ही व्यतीत कर देते है | लगातार कंप्यूटर पर काम करने से कई बार लोगों को गर्दन में काफी तीव्र दर्द होने की समस्या से गुजरना पड़ जाता है | 

                  ऐसा तब होता है जब कंप्यूटर पर काम कर रहा व्यक्ति अपने सिर को पीछे की और फिर आगे को ओर एकदम से झटका देता है, जिससे गर्दन की नरम ऊतकों पर काफी दबाव पड़ने लग जाता है | हालाँकि यह दर्द थोड़े समय के लिए ही रहता है, जिससे अक्सर लोग नज़र अंदाज़ करना देते है | लेकिन स्थिति गंभीर होने पर यह गर्दन में दर्द सर्वाइकल डिस्क हर्नियेशन, सर्वाइकल स्पाइनेस स्टेनोसिस या फिर स्पाइनल नर्व रूट के संपीड़न के कारण भी उत्पन्न हो सकते है | 

                   

                  गर्दन में हो रहे दर्द का समय रहते इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होते है, स्थिति गंभीर होने पर यह आपके रोज़मर्रा कामो में बाधा बनने का काम भी कर सकती है और इसके साथ ही यह समस्या आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी होने का कारण भी बन सकती है | इसलिए बेहतर यही है कि लक्षण का पता लगते ही किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएं और स्थिति की अच्छे से जाँच-पड़ताल करवाएं।, ताकि समस्या को गंभीर होने से रोका जा सके | 

                   

                  यदि आप में कोई भी व्यक्ति ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहा है तो इलाज में न्यूरोसिटी हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राजिंदर सिंह ओर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 26 वर्षों से ऑर्थोपेडिक्स से जुड़ी समस्या का सटीक इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गए नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |   

                   

                  इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |              

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                    न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से जाने रीढ़ की हड्डी में लगी चोट का निदान कैसे करें ?

                    न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया गया की रीढ़ की हड्डी में लगी चोट गंभीर स्थितियों में से एक ऐसी स्थिति है, जिसका सही समय ओर निदान करना बेहद ज़रूरी होता है | रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कई कारण हो सकते है, जिनमें से सबसे आम कारण है मोटर वाहनों दुर्घटनाएं होना | जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी में लगी चोट से पीड़ित व्यक्ति को कई तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ जाता है | अधिकतर लोगों को यही लगता है की रीढ़ की हड्डी में लगी चोट का सटीकता से इलाज नहीं किया जा सकता | लेकिन न्यूरोसिटी हॉस्पिटल में इस समस्या का सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम के निदान किया जाता है | इसके साथ ही यह संस्था गतिशीलता को हासिल करने में और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम सर्जिकल और विशेषग्यता को प्रदान करता है | 

                    इस संस्था के पास ऐसे लेटेस्ट तकनिकी मौजूद है, जिसके माध्यम से यह संस्था रीढ़ की हड्डी में लगी चोट से पीड़ित व्यतियों का सटीकता से निदान करने में सक्षम है | इसके साथ ही इस संस्था के पास न्यूरोसर्जरी और न्यूरोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम है, जो पिछले 10 सालों से पीड़ित व्यक्तियों का सटीकता और स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक हॉस्पिटल पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गये नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |           

                    इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |

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