डिस्टोनिया क्या है और इसके मुख्य लक्षण कौन-से है ?

डिस्टोनिया एक ऐसी समस्या जिसमें पीड़ित व्यक्ति के मांसपेशी में अनियंत्रित रूप से संकुचन की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिससे आसान भाषा में मांसपेशियों में तनाव का उत्पन्न होना भी कहा जाता है | डिस्टोनिया का संबंध व्यक्ति तंत्रिका विकार से होता है, जिसमें स्थिति को दर्दनाक बनाने और असामान्य स्थिति को उत्पन्न करने की क्षमता होती है | यह समस्या पीड़ित व्यक्ति के शरीर में किसी एक हिस्से को ही सबसे अधिक प्रभावित कर देती है और अधिकतर मामलों में इस समस्या की गतिविधियां कंपन जैसी होती है |      

न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया गया की डिस्टोनिया अपने आप में ही एक ऐसी स्थिति होती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर के किसी भी एक हिस्से में संकुचन बनने लग जाता है | अब अगर इसके लक्षण की बात करें तो इससे पीड़ित व्यक्ति शरीर में असुविधाजनक दर्द होने लग जाता है, बिजली के झटके महसूस होते है, शरीर कांपने लग जाता है, प्रभावित मांसपेशियों का उपयोग करने से स्थिति और भी गंभित हो सकती है | 

डिस्टोनिया जैसी गंभीर समस्या से पीड़ित व्यक्ति को कभी भी इसके लक्षण को नज़र-अंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से इसके परिणाम काफी घातक हो सकते है | इसलिए समझदारी इसी में है की लक्षणों का पता लगते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और सटीक रूप से अपना इलाज करवाएं, ताकि जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा मिल सके |

इस संस्था के पास न्यूरोलॉजिस्ट एंड न्यूरोसर्जरी में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम है, जो पिछले 12 सालों से पीड़ित मरीज़ों का सटीक और स्थायी रूप इलाज कर उन्हें समस्या से छुटकारा दिला रहे है | इसलिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए पर लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है |

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    Is Neuro-Navigation Easing Brain Tumour Surgery? Read To Find Out
    NeurologistNeurology

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    क्या गर्दन में दर्द बन रही आपके रोज़ाना कार्य में रुकावट, जाने किन कारणों से होती है नेकपेन की समस्या ?

    न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया गया की कोविड काल के बाद से कई लोगों ने अपने काम करने के तरीके को काफी हद तक बिल्कुल ही बदल दिया है और ऑफीस जाने बजाये अब कई लोगों ने  वर्क फ्रॉम होम करना शुरू कर दिया है, जिस कारण वह अपना काफी समय कंप्यूटर पर काम करने में ही व्यतीत कर देते है | लगातार कंप्यूटर पर काम करने से कई बार लोगों को गर्दन में काफी तीव्र दर्द होने की समस्या से गुजरना पड़ जाता है | 

    ऐसा तब होता है जब कंप्यूटर पर काम कर रहा व्यक्ति अपने सिर को पीछे की और फिर आगे को ओर एकदम से झटका देता है, जिससे गर्दन की नरम ऊतकों पर काफी दबाव पड़ने लग जाता है | हालाँकि यह दर्द थोड़े समय के लिए ही रहता है, जिससे अक्सर लोग नज़र अंदाज़ करना देते है | लेकिन स्थिति गंभीर होने पर यह गर्दन में दर्द सर्वाइकल डिस्क हर्नियेशन, सर्वाइकल स्पाइनेस स्टेनोसिस या फिर स्पाइनल नर्व रूट के संपीड़न के कारण भी उत्पन्न हो सकते है | 

     

    गर्दन में हो रहे दर्द का समय रहते इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होते है, स्थिति गंभीर होने पर यह आपके रोज़मर्रा कामो में बाधा बनने का काम भी कर सकती है और इसके साथ ही यह समस्या आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी होने का कारण भी बन सकती है | इसलिए बेहतर यही है कि लक्षण का पता लगते ही किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएं और स्थिति की अच्छे से जाँच-पड़ताल करवाएं।, ताकि समस्या को गंभीर होने से रोका जा सके | 

     

    यदि आप में कोई भी व्यक्ति ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहा है तो इलाज में न्यूरोसिटी हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राजिंदर सिंह ओर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 26 वर्षों से ऑर्थोपेडिक्स से जुड़ी समस्या का सटीक इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गए नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |   

     

    इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |              

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      • December 17, 2025

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      न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से जाने रीढ़ की हड्डी में लगी चोट का निदान कैसे करें ?

      न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया गया की रीढ़ की हड्डी में लगी चोट गंभीर स्थितियों में से एक ऐसी स्थिति है, जिसका सही समय ओर निदान करना बेहद ज़रूरी होता है | रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कई कारण हो सकते है, जिनमें से सबसे आम कारण है मोटर वाहनों दुर्घटनाएं होना | जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी में लगी चोट से पीड़ित व्यक्ति को कई तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ जाता है | अधिकतर लोगों को यही लगता है की रीढ़ की हड्डी में लगी चोट का सटीकता से इलाज नहीं किया जा सकता | लेकिन न्यूरोसिटी हॉस्पिटल में इस समस्या का सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम के निदान किया जाता है | इसके साथ ही यह संस्था गतिशीलता को हासिल करने में और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम सर्जिकल और विशेषग्यता को प्रदान करता है | 

      इस संस्था के पास ऐसे लेटेस्ट तकनिकी मौजूद है, जिसके माध्यम से यह संस्था रीढ़ की हड्डी में लगी चोट से पीड़ित व्यतियों का सटीकता से निदान करने में सक्षम है | इसके साथ ही इस संस्था के पास न्यूरोसर्जरी और न्यूरोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम है, जो पिछले 10 सालों से पीड़ित व्यक्तियों का सटीकता और स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक हॉस्पिटल पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गये नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |           

      इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |

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        • December 17, 2025

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        क्या आपको भी हो रही है साँस लेने में तकलीफ, जानिए एक्सपर्ट्स से कैसे पाएं इस समस्या से मुक्ति

        साँस लेने में तकलीफ होना इस समस्या से पीड़ित मरीज़ के लिए कष्टदाय अनुभव हो सकता है | इस समस्या से पीड़ित मरीज़ों का कहना है की इस समस्या के दौरान उन्हें साँस फूलने और साँस चढ़ने जैसी तकलीफ से गुजरना पड़ता है, जिसमे उनकी छाती में अकड़ने लगता है और साँस लेने दौरान में दर्द भी होने लगता है | कभी-कभार वायुमार्ग में आये रुकावट की वजह से भी साँस लेने में परेशानी होने लग जाती है | आइये जानते है इस समस्या से कैसे पाया जा सकता है छुटकारा :- 

        न्यूरो सिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विकेश गुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया की ख़राब लाइफस्टाइल और प्रदुषण की वजह से कई लोगों को साँस लेने में तकलीफ की समस्या से गुजरना पड़ता है | जिसे कई मामलों में अस्थमा भी कहा जाता है | लेकिन यह जरुरी नहीं होता की हर साँस में लेने की तकलीफ से पीड़ित मरीज़ को अस्थमा की समस्या हो, और भी ऐसे कई कारण होते है जिससे यह समस्या उत्पन्न हो जाती है | यदि सही समय पर इलाज न करवाया तो इससे पीड़ित व्यक्ति को कई गंभीर बीमरियों का सामना करना पड़ सकता है |   

        डॉक्टर विकेश गुप्ता ने यह भी बताया की यह समस्या होने के कई कारण हो सकते है, जिनमे शामिल है किसी बाहरी वस्तु को साँस के माध्यम से अंदर लेना, सिस्टिक फाइब्रोसिस, नाक या मुंह में किसी भी आकार के छोटे वस्तु का अटक जाना, किसी भी तरह के एलर्जी का रिएक्शन होना, किस भी तरह से दुर्घटना से वायुमार्ग को क्षति पहुंचना, आदि हो सकते है | यदि आप काफी लम्बे समय से इस समस्या से जूझ रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो बेहतर इलाज के लिए आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्थान के पास पुमोनोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम है, जो आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाने के साथ-साथ सही गाइड के साथ पूरी जानकारी दे सकते है | 

        इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इसके विषय संबंधी पूरी जानकारी पर वीडियो पोस्ट की हुई है | इसके आलावा आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल से सीधा संपर्क कर सकते है | इस संस्था के डॉक्टर डॉक्टर विकेश गुप्ता पुमोनोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है |  

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          • December 17, 2025

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          • December 9, 2025

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          क्यों हो रहे है अल्जामइर-स्ट्रोक जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से लोग शिकार

          पिछले एक दशक से वैश्विक स्तर पर कई तरह के क्रोनिक बीमारियों के मामले काफी तेज़ी से बढ़ने की रिपोर्ट सामने आयी   है | लगभग हर उम्र वर्ग के लोग इस समस्या से शिकार हो गए है | स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है की डॉयबटीज-हार्ट जैसी  समस्याओं के साथ-साथ बच्चे और युवाओं में भी इस बढ़ती न्यूरोलॉजिकल समस्या से शिकार हो रहे है | इसके न केवल  शारीरक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, इसके साथ ही रोज़मर्रा जीवनशैली भी काफी प्रभावित हो सकते है |

          न्यूरो सिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एस.के.बंसल ने यह बताया कि हाल ही में आये एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में पूरे विश्व भर में कम से कम 3.4 बिलियन से अधिक लोग कई प्रकार के न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे है | मिर्गी और डिमेंशिया जैसी बीमारियां दुनियाभर में ख़राब स्वास्थ्य और विकलांगता होने के प्रमुख कारण बनते ही जा रहे है | स्ट्रोक, अल्जामइर रोग और मेनिनजाइटिस जैसे स्थितियों से पीड़ित रोगियों और इस समस्या से मरने वालों की संख्या पिछले 3 दशकों से काफी बढ़ गया है | 

          न्यूरोलॉजिकल समस्या के उत्पन्न होने का क्या कारण है ? 

          इसके उत्पन्न होने के कारण को जानने से पहले यह जानना बहुत ज़रूरी है की यह समस्या उत्पन्न क्यों होती है और इससे स्वस्थ्य पर किस प्रकार के असर होने का जोखिम कारक बढ़ता है | डॉक्टर एस.के.बंसल ने यह भी बताया की शरीर का मस्तिष्क, रीढ़  की हड्डी और तंत्रिकाएं मिलकर तंत्रिका तंत्र को निर्माण करने का कार्य करती है | जब आपके तंत्रिका तंत्र का कोई भी हिस्सा किसी तरह के बीमारी या फिर किसी भी प्रकार की क्षति से गड़बड़ी आ जाती है, तो इसकी वजह से कई प्रकार के दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते है | न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की वजह से आपको चलने, बोलने, निगलने, साँस लेने या फिर कुछ भी सीखने में परेशानी आ सकती है | यह आपकी यादाश्त कमज़ोर, इन्द्रियों या फिर मनोदशा से संबंधित समस्याओं का भी कारण बन सकती है | न्यूरोलॉजिकल से संबंधित कुछ स्थितियां इतनी गंभीर होती है, जिससे जानलेवा दुष्प्रभावों का जोखिम बना रहता है | 

          न्यूरोलॉजिकल से जुड़ी 10 समस्या कौन-सी है ? 

          डॉक्टर एस.के.बंसल ने बताया की साल 2021 में जिन शीर्ष 10 न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को देखा गया है, उनमें शामिल है स्ट्रोक, ब्रेन इंजरी, माइग्रेन, अल्ज़ाइमर रोग, डिमेंशिया, डायबिटिक न्यूरोपैथी, मेनिनजाइटिस, मिर्गी के दौरे, समय से पहले जन्म के कारण बच्चों में न्यूरोलॉजिकल से जुडी जटिलताएं, ऑटिज़्म स्पेक्ट्रस का विकार और तंत्रिका तंत्र में कैंसर के मामले सामने आये है | 

          यदि आप भी न्यूरोलॉजिकल संबंधी किसी भी समस्या से जूझ रहे है तो बेहतर है की आप किसी अच्छे स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाकर इसका परीक्षण करवाएं, ताकि समस्या का पता लगते ही सही समय पर इसका इलाज हो सके | इसके लिए आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल से भी संपर्क कर सकते है, यहाँ के सभी डॉक्टर न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है जो इस समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है |

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            • December 17, 2025

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            • December 9, 2025

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            ब्रोंकोसक्रोपी सर्जरी क्या होता है और इससे क्या निदान किया जाता है ?

            ब्रोंकोसक्रोपी आपके फेफड़ों या वायुमार्ग में आने वाले समस्याओं का निदान करने के लिए एक न्यूनतम अकरमार्क प्रक्रिया होती है | चिकित्सक आपके श्वासनली और फेफड़ों की जांच के लिए ब्रोंकोसक्रोप का उपयोग किया करते है | आइये समझते है की क्या है यह ब्रोंकोसक्रोपी और कैसे करे इसका इलाज :- 

             

            न्यूरो सिटी हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर विकेश गुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के द्वारा यह बताया कि ब्रोंकोसक्रोपी एक किस्म का न्यूनतम आक्रमक प्रक्रिया होता है, जिसके माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाता आपके शरीर के वायुमार्ग और फेफड़ों के अंदर देख सकता है | ब्रोंकोसक्रोप एक तरह की पतली ट्यूब होती है, जिस पर एक लाइट और कैमरा लगा हुआ होता है | जिसकी मदद से स्वास्थ्य सेवा प्रदाता आपके फेफड़ों में, श्वासनली में या फिर गले को प्रभावित करने वाली स्थितियों का निदान और मूल्यांकन किया जाता है | कभी-कभी इस ब्रोंकोसक्रोप के द्वारा उपचार करने में काफी सहायता मिल जाती है | 

             

            ब्रोंकोसक्रोप लचीला या फिर कठोर भी हो सकता है जैसे की :- 

            • लचीला ब्रोंकोसक्रोप का उपयोग एक मुड़ने योग्य ट्यूब में किया जाता है | स्वास्थ्य सेवा प्रदाता इसका सबसे अधिक उपयोग करते है क्योंकि आपके वायुमार्ग में इससे बड़े आसानी से ले जाया जा सकता है | प्रदायता इसका उपयोग शरीर के वायुमार्ग को खुला रखने, ऊतक के नमूने के लिए या फिर स्त्राव को चूसने के लिए किया करते है |
            • कठोर ब्रोंकोसक्रोप एक तरह का ठोस ट्यूब होता है | जब आपके वायुमार्ग में किसी भी तरह का कोई बड़ी चीज़ फंस जाती है, स्टंट को डालने में, ट्यूमर या फिर रक्तस्राव में इलाज करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता इस ब्रोंकोसक्रोप का उपयोग करते है | 

             

             ब्रोंकोसक्रोपी सर्जरी से क्या निदान किया जाता है ? 

            चिकित्सक आपके फेफड़ों में हो रहे समस्याओं को जानने के लिए ब्रोंकोसक्रोपी सर्जरी का सहारा लेते है | जिससे निम्नलिखित कारको का निदान किया जाता है :- 

            • फेफड़ो की बीमारी, अत्यधिक खांसी होना, खोनी खांसी का होना, संन्स लेने में तकलीफ जैसे लक्षणों का अन्य कारणों से निदान करना | 
            • एक्स-रे और सिटी-स्कैन के माध्यम से कैंसर के संभावित लक्षणों का दिखाई देना | 
            • आपके वायुमार्ग में आये रुकावट का अंदाज़ा लगाना और इससे हटाना या फिर निकुञ्चित क्षेत्र का उपचार करना | 
            • संक्रमणों से आये फेफड़ों में सूजन के करने का पता करना | 
            • बलगम या फिर ऊतक के नमूने को ब्रोंकोसक्रोपी ट्यूब की सहायता से लिया जाता है ताकि इस विश्लेषण के लिए  प्रयोगशाला में भेजा जा सके | 
            • आपके वायुमार्ग को खुला रखने के लिए स्टंट या फिर छोटी ब्रोंकोसक्रोप ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है | 

            यदि इससे जुड़ी और जानकारी लेना चाहते है तो आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है यहाँ पर ब्रोंकोसक्रोपी से जुड़ी पूरी जानकारी पर वीडियो बना कर पोस्ट की हुई है या फिर आप इनसे से परामर्श कर सकते है, इस संस्था के डॉक्टर विकेश गुप्ता इससे संबंधित पूरी जानकारी दे सकते है | 

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              • December 17, 2025

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              • December 9, 2025

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              गर्दन में दर्द होने के क्या है लक्षण, कारण और उपचार ?

              गर्दन में दर्द का होना व्यक्ति के लिए काफी परेशानियां खड़ी कर सकता है। इसके अलावा गर्दन पर हमारा पूरा सिर का भार टिका हुआ होता है अगर इसमें परेशानी आई तो व्यक्ति के लिए काफी परेशानियां खडी हो सकती है। तो वही गर्दन में दर्द के कारण और लक्षण क्या है और इसके दर्द से हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है, इसके बारे में भी बात करेंगे, इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े ;

              गर्दन में दर्द की समस्या के कारण क्या है ?

              • एक्सीडेन्ट, गिरने या खेलते समय गर्दन में झटके का लगना, या माशपेशियों संबंधित लिगामेन्ट्स अपनी सामान्य सीमा से बाहर निकल जाए तो गर्दन में दर्द को उत्पन्न करते हैं।
              • यदि किसी व्यक्ति के मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या आ रही है, तो इस कारण भी गर्दन में दर्द महसूस किया जा सकता है।
              • तनाव को भी गर्दन में दर्द की वजह माना जाता है।
              • मैनिंजाइटिस, कैंसर, और गठिया जैसी कई बीमारियाँ भी गर्दन के दर्द के कारणों में से एक हो सकती है।

              यदि आपके गर्दन में दर्द की समस्या है तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से सलाह लेनी चाहिए।

              गर्दन में दर्द की समस्या क्या है ?

              • गर्दन का दर्द, जिसे सर्वाइकलगिया भी कहा जाता है।
              • गर्दन में दर्द व्यक्ति के लिए काफी परेशानियां खडी कर सकता है जिस वजह से उसके रोजाना के काम में काफी रुकावट आ सकती है। इसके अलावा गर्दन में दर्द आपके पूरे शरीर में फैल कर, आपके कंधों, बाहों और छाती को प्रभावित कर सकता है।

              गर्दन में दर्द होने के लक्षण क्या है ?

              • झुनझुनापन का महसूस होना।
              • गर्दन या शरीर के किसी एक हिस्से का सुन्न होना।
              • गर्दन मोड़ने या घुमाने में कठिनाई का सामना करना।
              • गर्दन में तेज दर्द।
              • ख़ाना निगलने में दिक़्क़त का सामना करना।
              • पेट भरे रहने का एहसास रहना।
              • सिर में सरसराहट की आवाज का आना।
              • गर्दन और सिर में स्पंदन का महसूस होना आदि।

              गर्दन में दर्द की समस्या गंभीर बनती जा रही है तो इससे निजात पाने के लिए आपको बेस्ट न्यूरोसर्जन लुधियाना का चयन करना चाहिए।

              गर्दन में दर्द से निजात दिलवाने के लिए बेस्ट हॉस्पिटल ?

              • जहां गर्दन का दर्द व्यक्ति के लिए काफी परेशानियां खडी करता है, वही इस दर्द की समस्या से व्यक्ति खुद को कैसे बाहर निकाले इसके बारे में भी वो सोचते है तो अगर आप भी चाहते है की आपको भी गर्दन में दर्द की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सके तो इसके लिए आपको न्यूरो सीटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

              गर्दन में दर्द से निजात दिलवाने का उपचार ?

              • डॉक्टर गर्दन में सूजन और दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाइयाँ आपको लिख सकते है। वही मांसपेशियों को आराम देने के लिए मसल रिलक्सेंट भी कारगर होती हैं।
              • ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS) इसमें दर्द पैदा करने वाली नसों के करीब की त्वचा पर निम्न स्तर के विद्युत प्रवाह को लगाया जाता है, जिससे दर्द के संकेतों को रोका जा सके।
              • फिजियोथेरेपी, जैसे सर्वाइकल आइसोमेट्रिक व्यायाम गर्दन में टेंडन और मांसपेशियों को मजबूत करती हैं जिससे गर्दन के दर्द से भी राहत मिलती है।
              • ट्रैक्शन का उपयोग करके गर्दन के दर्द में भी राहत मिलती है।
              • दर्द ज्यादा गंभीर होने पर सर्जरी का उपयोग किया जाता है।

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                बच्चों को अस्थमा होने के मुख्य कारण क्या है ? जाइये एक्सपर्ट्स से कैसे करे बचाव

                बढ़ते प्रदुषण और अन्य कई कारणों से अब अस्थमा जैसी बीमारी के मामले बच्चों में भी पाए जा रहे है | बचपन में होने वाले अस्थमा की समस्या से  फेफड़ो और वायुमार्ग का कुछ ख़ास ट्रिगर्स के संपर्क पर जाते है, जिससे यह आसानी से सूज जाते है | ऐसे ट्रिगर्स की समस्या में पराग को अंदर लेने, सर्दी लगना या फिर अन्य श्रवसन संक्रमण शामिल होते है | बच्चों में अस्थमा की समस्या होने के कारण, उनके रोज़ाना होने वाले कार्य करने में भी बाधा डाल सकता है, जैसे की खेल-कूद के दौरान, स्कूल के दौरान या फिर नींद के दौरान भी खलल पड़ सकता है | 

                न्यूरो सिटी हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर विकेश गुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से इस बात का जाहिर किया की आज के दौर में बच्चे भी अस्थमा की समस्या से जूझ रहे है | बचपन में होने वाले अस्थमा बालिगों को होने वाले समस्या की तरह होते है,लेकिन बच्चों को खासकर इस समस्या से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ जाता है | कभी-कभी यह स्थिति आपातकालीन विभाग में जाने, हॉस्पिटल में भर्ती होने और स्कूल न जाने की मुख्य वजह बन सकती  है | आइये जानते है इसके मुख्य लक्षण क्या है :- 

                • मुख से सांस को छोड़ते समय सिटी या फिर घरघराहट जैसे आवाज़ आना | 
                • सांस लेने में परेशानी होना | 
                • छाती में जमाव या फिर जकड़न जैसा महसूस होना | 
                • सुबह उठने के तुरंत बाद खांसी का लगातार होना | 
                • खेलने और व्यायाम के दौरान सांस लेने तकलीफ होना | 
                • हर समय थकान महसूस होना, जो की नींद पूरी न होने के कारण हो सकती है | 

                 

                हर बच्चे में अस्थमा के लक्षण अलग-अलग तरह के होते है, जो समय के साथ-साथ बेहतर भी हो सकते और स्थिति बिगड़ भी सकती है | लेकिन इस बात का पता करना थोड़ा मुश्किल हो  जाता है की आपके बच्चे के लक्षण अस्थमा होने का कारण है की नहीं | अगर आपको संदेह हो रहा की कही आपके बच्चे को अस्थमा की समस्या तो नहीं, इसका पता करने लिए आप अपने बच्चे को स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के पास ले जाये ताकि समय से पहले प्रारंभिक उपचार से इन लक्षणों को नियंत्रित करने और अस्थमा के हमले को रोकने में मदद मिल सके | 

                यदि आपका बच्चा भी अस्थमा की समस्या से जूझ रहा है तो बेहतर है की आप डॉक्टर के पास जाएं और इस समस्या का अच्छे से इलाज करवाएं | इसके लिए आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल से परामर्श भी कर सकते है, इस संस्था के डॉक्टर विकेश गुप्ता पुलमोनोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट्स है, जिनकी मदद से आप अस्थमा जैसी बीमारी से छुटकारा पा सकते है |    

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                  उच्चे तकिये में सोने की आदत पड़ सकती है भारी, जानिए क्या है इससे नुकसान

                  एक आरामदायक नींद के लिए सोने के समय तकिया का होना काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सीधे हमारे नींद की गुणवत्ता में प्रभाव डालते है | कई लोगों को नीवें तकिये में सोने की आदत होती है और कई लोगों को उचे तकिये में सोना पसंद करते है | लेकिन क्या आपको यह पता है की उचे तकिये में सोने से आपके शरीर को काफी नुकसान पहुंच सकता है | आइये जानते है इसके दुष्प्रभाव के बारे में :- 

                  1. गर्दन के दर्द होना या फिर नस चढ़ना :- उचे तकिये का लगातार उपयोग करने से गर्दन में दर्द होने लगता है जिसकी वजह से नस चढ़ जाता है और इसी के साथ आपके गर्दन के मांसपेशियों में काफी तनाव भी बढ़ जाता है |
                  2. नींद पूरी न होना :- उचे तकिये के उपयोग से आपकी नींद की गुणवंता पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव डलता है, जिसकी वजह से आप सही समय पर सोने और उठने में काफी दिक्कतों का सामना करते है | 
                  3. साइनस सिरदर्द की समस्या रहना :- उचे तकिये के इस्तेमाल से नाक बंद हो जाने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिससे साँस लेने में तकलीफ होती है और साइनस जैसे सिरदर्द का सामना करना पड़ता है | 
                  4. पीठ में दर्द रहना :- लगातार उचे तकिये में सोने से स्पाइनल कॉर्ड में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है, जिसकी वजह से आपके पीठ में काफी तनाव डाल सकता है और गंभीर दर्द का कारण भी बन सकता है | 
                  5. माइग्रेन की समस्या :- उचे तकिये में सोना आपके माइग्रेन की समस्या को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि यह आपके सिर  को अनुचित धारणा करता है जिससे सिरदर्द बढ़ जाता है | 

                  कई लोग इन समस्याओं के बावजूद भी उचे तकिये में सोना पसंद करते है | यदि आप उचे तकिये के उपयोग से कई दिक्कतों का सामना कर रहे है तो आपको डॉक्टर से परामर्श करनी चाहिए | इसके लिए आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन कर सकते है | यहाँ के डॉक्टर अरुण कुमार धुनका न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट्स है जो उचे तकिये के उपयोग से हो रहे समस्या को कम करने में सहायता कर सकते है |

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                    जानिए माइग्रेन और साइनस में अंतर क्या है ?

                    आज के दौर में सिरदर्द एक ऐसी परेशानी है,जो कई गंभीर समस्याओं या फिर वायरल इन्फेक्शन जैसे संक्रमणों का संकेत होता है | हालाँकि जिस तरह सिरदर्द होने के कारण अलग-अलग होते है, उसी तरह से सिरदर्द भी कई प्रकार के होता है | आइये जानते है ऐसे ही दो तरह के सिरदर्द माइग्रेन और साइनस सिरदर्द के बारे में :- 

                    माइग्रेन और साइनस सिरदर्द में क्या अंतर है ? 

                    माइग्रेन:- यह सिरदर्द ऐसा होता है जिसमे सिर के एक तरफ तेज़ धड़कन होता है जिसकी वजह से सिर के एक तरफ सुनसुनी हो जाती है और साथ ही मल्ती, उलटी, प्रकाश और ध्वनि से सवेदनशील होने लगता  है | आइये जानते है इसके मुख्या कारण :- 

                    • स्ट्रेस लेना 
                    • कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट 
                    • नींद पूरी न होना 
                    • हार्मोन में परिवर्तन आना    
                    • समय पर भोजन न करना 
                    • नशीली पदार्थों का सेवन करना 

                    साइनस:- यह सिरदर्द तब होता है जब आपके आंखे के पीछे , गले ही हड्डियां, माथे और नाक के पुल में सुस्त दर्द महसूस होता है | यह सिरदर्द साइनस संक्रमण से उत्पन्न होती है, जिसके मुख्य लक्षण है, कोल्ड होना, किसी तरह की एलर्जी, हाई फीवर इत्यादि | 

                    माइग्रेन और साइनस सिरदर्द में समानता:-  माइग्रेन और साइनस के लक्षण काफी हद तक एक समान होते है, इसी वजह से लोगो को  इन दोनों सिरदर्द में कन्फूशन रहता है,, इसके समानताएं लक्षण है, बहती नाक, नाक का बंद होना, गीली आँखों का होना आदि | 

                    अगर आप भी इस तरह के लक्षणों से गुजर रहे है तो बेहतर है की आप एक्सपर्ट्स से राय  ले | अगर आप इस समस्या का जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहते हो तो आप न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन कर सकते हो | यहाँ के सीनियर डॉक्टर एस.के.बंसल न्यूरोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है |   

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