नींद पूरी न होने पर, क्या दिमाग में हो सकता है भ्रम? डॉक्टर से जानें

नींद हमारी सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए प्राप्त और एक अच्छी लेना सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। आजकल हर कोई अपने काम को लेकर काफी ज्यादा तनाव में रहता है और आज की भागदौड़ भरी और लोगों की व्यस्त जीवनशैली में आमतौर पर नींद एक ऐसी चीज बन गई है, जिसको अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। आपको बता दें कि बदलती काम करने की संस्कृति, ओवरटाइम, शिफ्ट्स में काम करना, देर रात तक मोबाइल या फिर लैपटॉप पर स्क्रीन टाइम का इस्तेमाल करना और इसके साथ ही लोगों का असंतुलित खानपान जैसी आदतों का सीधा असर लोगों की नींद पर पड़ रहा है। आपको बता दें कि विशेष रूप से शहरी लोगों में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। आमतौर पर ज्यादातर लोग अपने ऑफिस से काम करने के बाद पार्टी करते हैं, और इसके साथ ही वह देर रात तक जागते रहते हैं, या फिर किसी तनाव में होते हैं, जिसकी वजह से उनके नींद का समय या तो कम हो जाता है, या फिर पुरे तरीके से गड़बड़ा जाता है। आपको बता दें कि नींद सिर्फ अपने शरीर को आराम देने का जरिया ही नहीं है, बल्कि अपने मानसिक संतुलन को बनाए रखने का एक अहम आधार भी है। आपको बता दें कि लंबे समय तक बिना नींद के रहने की वजह से कई तरह के अनुभव हो सकते हैं, जिन में आमतौर पर अवधारणात्मक विकृतियाँ और मतिभ्रम शामिल हैं।

आपको बता दें कि जब व्यक्ति की नींद पूरी नहीं होती है, तो आमतौर पर इसका प्रभाव सिर्फ थकान या फिर हमारे चिड़चिड़ेपन तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि इससे हमारे दिमाग के फंक्शन भी काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं। वास्तव में लगातार नींद की कमी के कारण एक व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता भी कम हो जाती है, जैसे एकाग्रता में गिरावट आती है और इसके साथ ही कई बार दिमाग भ्रम की स्थिति में भी चला जाता है। तो इस तरह की स्थिति में यह सवाल उठना  स्वाभाविक है, कि क्या वास्तव में नींद की कमी की वजह से दिमाग में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है? तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके बारे में इसके विशेषज्ञ से जानकारी प्राप्त करते हैं। 

नींद पूरी न होने के कारण क्या दिमाग में भ्रम हो सकता है? 

वास्तव में नींद के दौरान हमारा दिमाग पूरी तरीके से सक्रिय (एक्टिव) रहता है और इसके साथ ही हमारे शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं को भी संतुलित करता है। आपको बता दें कि जब हम सभी पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो इसकी वजह से यह सारे सिस्टम गड़बड़ा जाते हैं। आमतौर पर नींद की कमी के कारण दिमाग की न्यूरोनल एक्टिविटी प्रभावित होती है, जिसकी वजह से एक व्यक्ति का ध्यान केंद्रित करना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है और इसके साथ ही फैसले लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है। तो इसकी वजह से एक व्यक्ति को हल्का भ्रम या फिर कन्फ्यूजन महसूस होने लगती है।

आमतौर पर जब हम 24 घंटे या फिर इससे ज्यादा समय तक नींद नहीं लेते हैं, तो इसकी वजह से दिमाग की सामान्य संज्ञानात्मक प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। आपको बता दें कि यह स्थिति अस्थायी मानसिक भ्रम का रूप ले सकती है। वास्तव में इसमें एक व्यक्ति को चीजें स्पष्ट रूप से समझ में नहीं आती हैं, वह सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता है और इसके साथ ही कभी-कभी उस को मतिभ्रम भी हो सकता है। दरअसल इस तरह की स्थिति दिमाग पर काफी ज्यादा असर डालती है, जो व्यक्ति के सोचने, फैसले लेने और साथ ही सामाजिक व्यवहार को कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार होती है।

किन लोगों में इस तरह की समस्या ज्यादा हो सकती है?

  1. बुजुर्ग लोग

दरअसल लोगों की उम्र बढ़ने के साथ-साथ नींद की क्वालिटी में कमी हो जाती है और प्राकृतिक पैटर्न भी बदल जाता है, जिसकी वजह से गहरी नींद की कमी और साथ ही भ्रम की सम्भावना बढ़ जाती है।

  1. रात की शिफ्ट में वर्किंग लोग

आमतौर पर दिन और रात की ड्यूटी बार-बार बदलने की वजह से शरीर की घड़ी (सर्केडियन रिद्म) गड़बड़ा जाती है, जिसके कारण नींद ठीक से नहीं आती। इसके साथ ही शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर की वजह से भी अक्सर लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती है। 

  1. छात्र

वास्तव में छात्रों में भी इस तरह की समस्या देखने को मिल सकती है। आपको बता दें कि एग्जाम या फिर देर रात पढ़ाई करने की वजह से अक्सर छात्र नींद की अनदेखी करते हैं। जिसकी वजह से उनको दिमाग में भ्रम जैसी समसया का सामना करना पड़ सकता है 

  1. नवजात की देखभाल करने वाली महिलाएं

अक्सर नवजात शिशु की देखभाल करने वाली महिलाओं की लगातार रातों की नींद टूटती है, जिसकी वजह से उनको मानसिक थकान और इसके साथ ही भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ता है। 

  1. डिप्रेशन या मानसिक रोग वाले लोग

डिप्रेशन और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य विकार नींद लाने वाले हार्मोन को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही डिप्रेशन, चिंता या फिर बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में नींद की गड़बड़ी की वजह से भ्रम जल्दी पैदा हो सकता है।

  1. तनाव या चिंता वाले लोग

आमतौर पर जब एक व्यक्ति का मन लगातार चिंताओं या फिर किसी प्रेशर में रहता है, तो इसके कारण दिमाग ज्यादातर आराम नहीं कर पाता है और नींद की क्वालिटी खराब हो जाती है। जिसकी वजह से उनके दिमाग में भ्रम की समस्या पैदा हो सकती है। 

  1. वो लोग जो कैफीन, निकोटीन और अल्कोहल का ज्यादा सेवन करते हैं 

आपको बता दें कि कैफीन, निकोटीन और अल्कोहल जैसे पदार्थ शरीर के नर्वस सिस्टम को उत्तेजित रखते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को नींद टूट-टूट कर आती है या फिर देर से आती है।

  1. लंबी बीमारियों से पीड़ित लोग

जैसे कि डायबिटीज़, थायरॉइड, अस्थमा, हार्ट डिज़ीज़ या फिर क्रॉनिक पेन जैसी लंबी बीमारियां, जो शरीर को बिलकुल भी आराम नहीं करने देती और इसके साथ ही व्यक्ति की नींद को बिगाड़ देती हैं। 

  1. महिलाओं (कुछ विशेष स्थितियों में)

आमतौर पर कुछ विशेष स्थितियों में जैसे कि प्रेगनेंसी, मेनोपॉज या फिर पीरियड्स के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से उनकी नींद की क्वालिटी पर काफी ज्यादा असर पड़ता है।

नींद की क्वालिटी को कैसे सुधारें 

  1. रोज़ाना सोने और जागने के लिए एक नियमित समय को निर्धारित करें। 
  2. सोने से पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप स्क्रीन के इस्तेमाल को कम करें। 
  3. सही नींद का वातावरण बनाएं, जैसे अंधेरे, शांत और सही तापमान वाले कमरे में सोएं।
  4. शाम के बाद कैफीन और निकोटीन से भरपूर पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, शराब और सिगरेट से परहेज करें। 
  5. अक्सर रात को हल्का और सेहतमंद खाना खाएं। 
  6. इसके लिए मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग या फिर हल्की स्ट्रेचिंग जैसी रिलैक्सेशन तकनीकों को अपनाएं। 
  7. दिन में झपकी लेना सीमित करें। 
  8. हल्का योग, ध्यान या फिर गुनगुने दूध का सेवन नींद लाने में मदद करता है।
  9. नियमित व्यायाम करें, लेकिन सोने से ठीक पहले न करें।
  10. सोने से पहले किताब पढ़ना, हल्का संगीत सुनना या गर्म पानी से नहाना जैसी रूटीन को बनाएं। 

बता दें कि अगर इन उपायों का इस्तेमाल करने के बावजूद भी आपको नींद नहीं आती है, या फिर नींद लेने के बाद भी आपको थकान महसूस होती है, तो यह एक नींद विकार हो सकता है, जिसके लिए आपको तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

निष्कर्ष : अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए, हमें एक अच्छी नींद को लेना बहुत ज्यादा जरूरी है। आजकल लोग अपने काम और जिम्मेदारिओं की वजह से नींद को अक्सर नज़रअंदाज कर देते हैं। लोगों के बदलते वर्किंग कल्चर, ओवरटाइम, शिफ्ट्स में काम करना, देर रात तक मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन का इस्तेमाल करना और असंतुलित खान पान का सीधा असर लोगों की नींद पर पड़ता है। जिस की वजह से उनके नींद का समय या तो कम हो जाता है, या फिर पुरे तरीके से गड़बड़ा जाता है। नींद केवल आपके आराम करने का एक तरीका नहीं, बल्कि दिमाग और शरीर की मरम्मत करने की प्रक्रिया है। नींद की लगातार कमी एक व्यक्ति के दिमाग में भ्रम, चिड़चिड़ापन और याददाश्त में कमी जैसी गंभीर समस्याओं को पैदा कर सकती है। इस लिए अपनी नींद को प्राथमिकता देना न सिर्फ आपकी मानसिक सेहत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपकी सोचने और समझने की शक्ति को भी बनाए रखने में मदद करता है। यह समस्या ज्यादातर बुजुर्ग लोग, रात की शिफ्ट में वर्किंग लोग, नवजात की देखभाल करने वाली महिलाएं और डिप्रेशन या मानसिक रोग वाले लोगों को होती है। इस बात को हमेशा याद रखें, कि अगर आप अपने दिमाग को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखना चाहते हैं, तो आप अपनी नींद से कभी भी समझौता न करें। ऐसा होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मुलाकात करें। अगर आपको भी दिमाग में भ्रम जैसी कोई समस्या है, और आप भी इससे काफी ज्यादा परेशान हैं और आप इसका इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही न्यूरो सिटी हॉस्पिटल में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1. अगर ज्यादा नींद आती हो, तो उसके लिए क्या करे?

दरअसल अगर आपको जरूरत से ज्यादा नींद आती है, या फिर दिनभर नींद महसूस होती है, तो यह शरीर में असंतुलन या किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। आमतौर पर आप सबसे पहले अपनी नींद की क्वालिटी और रूटीन को सुधारें। दरअसल रोजाना एक तय समय पर ही सोना और साथ ही जागना शुरू करें। बता दें कि इस दौरान कैफीन और भारी भोजन से अपना बचाव करें, विशेष रूप से रात के समय में। इस दौरान अपने स्क्रीन टाइम को कम करें, वास्तव में अगर फिर भी आपको लगातार बहुत ज्यादा नींद आती रहे, तो आप अपने थायराइड, डायबिटीज, डिप्रेशन या फिर नींद से जुड़ी किसी समस्या की जांच कराएं। 

प्रश्न 2. नींद नहीं आने का क्या कारण होता है? 

आपको बता दें कि नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं, जिस में आमतौर पर मानसिक तनाव, चिंता, डिप्रेशन, असंतुलित दिनचर्या, देर रात तक मोबाइल या फिर लैपटॉप को चलाना, कैफीन या फिर निकोटीन का सेवन और इसके साथ ही शारीरिक थकान की कमी होना यह इसके प्रमुख कारण हैं। आमतौर पर कुछ मेडिकल स्थितियां जैसे कि थायराइड की समस्या होना, दर्द या फिर गैस्ट्रिक जैसी परेशानी भी अनिद्रा का कारण बन सकती हैं। इसके साथ ही देर रात भारी भोजन का सेवन करना या फिर नींद से पहले बहुत ज्यादा सोच-विचार करना भी आपके दिमाग को शांत नहीं होने देता, जिसकी वजह से आपको नींद आने में काफी ज्यादा कठिनाई होती है।

प्रश्न 3. जब नींद न आए तो क्या करना चाहिए?

आमतौर पर इस दौरान जब आपको नींद न आये, तो आपको इस तरह की स्थिति में बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिये, बल्कि इस दौरान खुद को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए। दरअसल सबसे पहले आप इस दौरान अपने बिस्तर पर लेटे-लेटे एक गहरी सांस लें और इसके साथ ही अपने शरीर को रिलैक्स करें। इस दौरान आप अपने मोबाइल या फिर टीवी से दूरी बना कर रखें और इसके साथ ही हल्की किताब पढ़ें या फिर ध्यान करें। बता दें कि सोने से पहले गुनगुना दूध पीना, हल्का संगीत सुनना या फिर गर्म पानी से पैर धोना भी नींद लाने में मदद करता है। आमतौर पर अगर बार-बार इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो रही है, तो आप अपने दिनभर के तनाव को कम करने की कोशिश करें, इस दौरान आप अपने सोने का समय नियमित रखें।

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