पूरी नींद न लेना भी आज के समय में काफी गंभीर समस्या बनी हुई है। जिसके कारण लोगो को काम का भी काफी नुकसान होता है। बढ़ते काम की वजह से नींद में कमी करने से लोगो के सेहत पर भी काफी गहरा असर पड़ता है। तो आज के इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में बात करेंगे कि आखिर व्यक्ति में ये समस्या क्यों उत्पन होती है या स्लीपिंग डिसऑर्डर क्या है ;
नींद में कमी के कारण क्या है ?
इसके कारण निम्नलिखित है ;
- नींद में कमी या नींद पूरी न लेने से व्यक्ति को चिंता या तनाव का सहारा लेना पड़ता है। शरीर में कोई परेशानी होना या स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होना जैसे – मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, तनाव। जीवनशैली में बदलाव का आना भी नींद में कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है।
- अत्यधिक काम का बोझ भी नींद में कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है।
नींद में कमी के कारणों को अच्छे से जानने के लिए आप बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से जरूर मुलाकात करे।
स्लीपिंग डिसऑर्डर या नींद में कमी का आना क्या है ?
स्लीपिंग डिसऑर्डर के बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;
स्लीप डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति को कहते हैं, जो आपकी नींद को खराब कर देती है या फिर आरामदायक नींद लेने से आपको रोकती है. अब चाहे वो किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण हो या बहुत अधिक तनाव के कारण, स्लीप डिसऑर्डर के कारण दिन में नींद आना, रात में नींद न आना और हमेशा सुस्ती बने रहना काफी सामान्य बन कर सामने आ रही है।
स्लीपिंग डिसऑर्डर कितने तरह के होते है ?
स्लीपिंग डिसऑर्डर कई तरह के होते है, पर इनमे से हम कुछ को ही आपके सामने प्रस्तुत करेंगे ;
- अनिद्रा, इस स्थिति में व्यक्ति नींद अच्छे से नहीं ले पाता।
- नार्कोलेप्सी, ये भी एक प्रकार के नींद के प्रकार में शामिल है। यदि आपको ये समस्या है, तो आप किसी भी समय और कही भी सो सकते है।
- स्लीप एप्निया एक गंभीर स्लीप डिसऑर्डर है। जहां आपका वायुमार्ग बार-बार अवरुद्ध हो जाता है, जिससे आपको सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपको यह विकार है, तो आप जोर से खर्राटे लेंगे या घुटन की आवाज सोते वक़्त आप निकालेंगे।
नींद में विकार या स्लीपिंग डिसऑर्डर की कमी किन में पाई जाती है ?
- कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स और मनोवैज्ञानिकों का मानना है, कि स्लीपिंग डिसऑर्डर ज्यादातर उन लोगों को अपना शिकार बनाती है, जो किसी ऐसे प्रफेशन से जुड़े होते है, जहां शारीरिक रूप से कम और मानसिक रूप से थकान अधिक होती है। जैसे, मीडिया, कॉल सेंटर, हॉस्पिटल स्टाफ, या दूसरे प्रफेशंस में सीटिंग जॉब करने वाले लोग आदि।
स्लीपिंग डिसऑर्डर से बचने के उपाय क्या है ?
इसके उपाय निम्न है ;
- दोपहर में सोने से बचे। और दोपहर के बाद चाय-कॉफी का सेवन न करे।
- फिजिकल ऐक्टिविटीज में खुद को व्यस्त रखे।
- संभव हो तो सोने से दो घंटे पहले खाना खाए।
- सोने से पहले अच्छे से मुँह हाथ धोकर और साफ़ कपडे पहनकर ही सोए।
यदि इन सब उपायों को अपनाने के बाद भी अगर आपको आराम न मिले तो न्यूरो सीटी हॉस्पिटल से किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन करे।
निष्कर्ष :
आप भी अगर स्लीपिंग डिसऑर्डर की समस्या से जूझ रहे है। तो उपरोक्त बातो का खास ध्यान रखे और कोई भी उपाय या दवाई आजमाने से पहले किसी अच्छे डॉक्टर से जरूर परामर्श ले।