बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ने के क्या है, लक्षण, कारण और बचाव के तरीके ?

मिर्गी का दौरा किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना सकता है, वहीं कुछ आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में 5 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस बीमारी से ग्रस्त पाए जाते है जिनमे से एक चौथाई मामलें बच्चों में भी देखने को मिलते है। इसलिए आज के लेख में हम मिर्गी के दौरे के बारे में बात करेंगे और जानेगे की हम कैसे बच्चों को मिर्गी के दौरे से बाहर निकालने में कामयाब हो पाएंगे ;

बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ने के क्या कारण है?

  • कुछ बच्चों को मिर्गी की समस्या अनुवांशिक होती है। इन बच्चों के एक या इससे अधिक जीन्स इस समस्या का मुख्य कारण होते है। इसमें जीन्स किस तरह से मस्तिष्क को प्रभावित करते है और किस तरह यह मिर्गी की वजह बनते है इसका पता नहीं लगाया जा सका है।
  • सिर की चोट के बाद भी बच्चों को दौरे पड़ने लगते है।
  • विशेष तरह की स्थितियां जैसे- बुखार, ब्रेन ट्यूमर, इन्फेक्शन आदि की वजह से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है।
  • बच्चों को धीरे-धीरे बढ़ने वाली समस्याएं जैसे एंगलमैन्स सिंड्रोम, न्यूरोफाईबरोमेटोसिस, डाउन सिंड्रोम और टूबेरौस स्क्लेरोसिस आदि होने पर भी मिर्गी की संभावनाएं बढ़ जाती है।
  • तीन से दस प्रतिशत मामलों में मस्तिष्क के आकार में बदलाव मिर्गी की वजह होता है। जन्म के समय जो बच्चे इस तरह के बदलाव के साथ पैदा होते है, उनको मिर्गी हो सकती है।
  • किसी तरह के जन्मजात विकार या शरीर के रसायनों में असंतुलन होने से भी शिशु को दौरे पड़ने की समस्या हो सकती है।

अगर आपका बच्चा उपरोक्त कारणों की वजह से मिर्गी के दौरे का शिकार है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

बच्चों में मिर्गी के लक्षण क्या है ?

  • अचानक मांसपेशियों में झटके का लगना। 
  • शरीर के किसी भी हिस्से में ऐंठन की समस्या। 
  • मांसपेशियों में मरोड़ का आना। 
  • मांसपेशियों में कठोरता की समस्या। 
  • मूत्राशय और मल पर नियंत्रण न रहना। 
  • बोलने में मुश्किल का सामना करना। 
  • मांसपेशियां का सुन्न व कमजोर पड़ना। 
  • बार-बार एक ही गतिविधि करना जैसे- ताली बजाना या हाथों को रगड़ना आदि।

यदि आपके बच्चे में इसके लक्षण गंभीर नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन के संपर्क में आना चाहिए।

बच्चों का मिर्गी के दौरे से कैसे करें बचाव !

  • बच्चे को पर्याप्त नींद लेने दें, क्योंकि नींद की कमी बच्चे में दौरे के कारण को बनाते है।
  • बच्चे के सिर को चोट से बचाने के लिए उसके सिर पर स्कैट या साइकिल चलाते समय हेलमेट डालें।
  • अगर बच्चे को रोजाना एक ही समय पर दौरा पड़ता है तो दवा देना ना भूलें।
  • बच्चे को गिरने से बचने के लिए उसको सावधानी से चलने के लिए कहें।
  • किसी तेज रोशनी या अधिक शोर वाली जगह पर बच्चे को ना ले जाएं, क्योंकि ये भी कई बार दौरे पड़ने की वजह बनाते है।
  • तनाव से भी बच्चो को दौरे पड़ सकते है इसलिए बच्चो को तनाव से दूर रहने के तरीको के बारे में जरूर से बताएं। 
  • बच्चे को भरपूर प्रोटीन और पौष्टिक आहार को जरूर दे। 

सुझाव :

अगर आपके बच्चे में मिर्गी के दौरे पड़ने के लक्षण ज्यादा गंभीर होते नज़र आ रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको अपने बच्चे के इलाज के लिए न्यूरो सीटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

निष्कर्ष :

बच्चों में मिर्गी का दौरा काफी गंभीर समस्या है और इस दौरे से हम कैसे बच्चे का बचाव कर सकते है इसके बारे में जानने के लिए किसी बेस्ट डॉक्टर के सम्पर्क में हमे जरूर आना चाहिए। और ध्यान रखें किसी भी तरह के उपचार को बच्चे पर खुद से न आजमाए।

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    जानें मिर्गी (Epilepsy – Seizure) के दौरे को रोकने में कैसे मददगार है इसके सहायक उपचार ?

     मिर्गी क्या हैं ?

     मिर्गी को हम केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक विकार कहते है, जिसकी स्थिति में मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिका की गतिविधि बाधित होती है। नतीजतन, मरीज को दौरे पड़ते हैं, वह बेहोश हो सकता है या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार भी कर सकता है।

    मिर्गी कोई संक्रमण बीमारी नहीं है। और न ही ये मानसिक बीमारी या मानसिक कमजोरी के कारण होता है। बल्कि कई बार मिर्गी के कारण पड़ने वाले दौरों से मस्तिष्क पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन कभी-कभी दौरों के कारण मस्तिष्क को क्षति जरूर पहुंच सकती है।

    जैसा की हमने कहा की मिर्गी कोई बीमारी नहीं हैं जिस वजह से ये किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में देखा जाए तो यह छोटे बच्चों और अधेड़ उम्र के लोगों में देखने को ज्यादा मिलता है। तो वहीं मिर्गी का इलाज करने के कई अलग-अलग तरीके मौजूद हैं। जैसे मिर्गी के उपचार में मेडिटेशन, सर्जरी और दवा आदि शामिल हैं। जिनका विस्तार से वर्णन हम इस पूर्ण लेखन में करेंगे।

    मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण क्या हैं ?

    इसके दौरे पड़ने के अनेक कारण हैं जिनका वर्णन हम निम्न कर रहें हैं,..

    • आनुवंशिक कारण।
    • सिर पर घातक चोट का लगना।
    • ब्रेन ट्यूमर का होना।
    • एड्स।
    • जन्म से पहले शिशु के सिर में चोट का लगना।
    • अत्यधिक शराब या नशीली दवाओं का सेवन।
    • शिशु के जन्म के दौरान मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी का होना।

    मिर्गी के लक्षण क्या हैं ?

    मिर्गी के लक्षणों को हम निम्न प्रस्तुत कर रहें हैं :-

    • अचानक गुस्सा होना।
    • चक्कर आना।
    • एक ही जगह पर घूमते रहना।
    • मेमोरी का लॉस होना।
    • बिना किसी कारण के स्तब्ध रह जाना।
    • अचानक खड़े-खड़े गिर जाना।
    • शरीर में झुनझुनी और सनसनी का होना।
    • लगातार ताली बजाना या हाथ रगड़ना।
    • चेहरे, गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके का आना।
    • अचानक से डर जाना।

    अगर आप खुद में या अपने परिवार के किसी सदस्य में ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो जल्द से जल्द बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना में इनका चयन कर इनसे परामर्श ले।

    इलाज क्या हैं मिर्गी के दौरे का ?

    मिर्गी के दौरे से निज़ात दिलवाने के लिए डॉक्टर निम्न इलाज करवाने की सलाह देते हैं, जिनको हम निम्न प्रस्तुत करेंगे,..

    • एंटी-एपिलेप्टिक दवाओं के सेवन से दौरों की संख्या को कम किया जा सकता हैं।
    • दौरे को रोकने के लिए वेगस तंत्रिका उत्तेजना की मदद से बिजली द्वारा गर्दन से लेते हुए तंत्रिका को उत्तेजित करना।
    • जिन लोगों पर दवाओं का असर नहीं होता डॉक्टर उन्हें केटोजेनिक आहार (कार्बोहाइड्रेट वाले आहार) लेने का सुझाव देते हैं।
    • जो हिस्सा मस्तिष्क में दौरे की वजह बनता हैं उसे सर्जरी की मदद से हटाना।
    • मिर्गी की दवाई का सेवन इसके दौरे के स्तर को काफी हद तक कम कर देती हैं।

    यदि मिर्गी के लक्षणों को जानने के बाद आप भी परेशान हैं तो बिना समय गवाए किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करें या फिर आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल का चुनाव भी कर सकते हैं क्युकि इस हॉस्पिटल में बेहतरीन आधुनिक उपकरणों की मदद से मरीज़ो का इलाज अच्छे से किया जाता हैं।

    निष्कर्ष:

    मिर्गी के लक्षणों के बार्रे में यदि आप जान गए है, तो बिना समय बर्बाद किए किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से इसके बारे में सलाह ले। ताकि इस पर रोक लगाया जा सकें। और इस बीमारी से निकलने में आप कारगर सिद्ध हो सके।

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