तेज़ी से बढ़ रहा है डेंगू की बीमारी का प्रकोप, जाने कैसे रखें अपने बच्चों का ख्याल ?

बारिशों के बाद मच्छरों का कहर काफी तेज़ी से बढ़ने लग जाता है | जिसकी वजह से इनसे फैलने वाली बीमारियां जैसे कि डेंगू, मलेरिया का प्रकोप तेज़ी से बढ़ने लग जाता है | इस दिनों डेंगू से पीड़ित व्यक्ति के काफी मामले सामने आ रहे है | ऐसे में हर माँ-बाप के लिए यह ज़रूरी हो जाता है की वह अपने बच्चों को इन प्रकोपों से बचाये रखें | छोटे बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली अक्सर कमज़ोर रहती है, जिसकी वजह से उनमें इस बीमारयों के फैलने का अवसर बढ़ जाता है | डेंगू और मलेरिया एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है की इन मौसम में डेंगू से बचाव के लिए अपने बच्चों का ध्यान रखें | आइये जानते है ऐसे की कुछ उपाय के बारें में, जिससे ज़रिये आप अपने बच्चों का डेंगू जैसे गंभीर बीमारी से बचाव कर सकते है | 

साफ़-सफाई का पूरा ध्यान रखें 

डेंगू की बीमारी को फ़ैलाने वाले मच्छर अक्सर साफ़ और इकठ्ठे पानी में ही पनपते है | इसके अलावा बारिशों के बाद घरों के अंदर और उसके आसपास जमा पानी में भी डेंगू को फ़ैलाने वाले मच्छर पनप सकते है | इसलिए इस बात का पूरा ध्यान रखें की कहीं भी पानी को जमा न होने दें | इसके साथ ही कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें ताकि मच्छर पनप न सकें | घर के साफ़-सफाई का भी पूरा ध्यान रखें और शाम होते ही घर के सभी  खिड़की दरवाज़ें को बंद कर लें, ताकि मच्छर घर के अंदर न आ सके |    

 

बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं 

डेंगू को फैलने वाले मच्छर जितने सुबह के समय सक्रिय होते है, उतने ही वह शाम को भी होते है | इसलिए यह कोशिश करें की अपने बच्चों को आप पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर ही बाहर भेजें | ऐसा करने से आप अपने बच्चों को डेंगू के प्रकोप से बचा सकते है | 

 

मच्छरदानी का उपयोग करें  

अक्सर जब बच्चे सो रहे होते है तो उस समय मच्छर सबसे ज़्यादा काटते है | इसलिए सोते समय मछरों के आतंक से बचने के लिए के मच्छरदानी के इस्तेमाल करें | इस बात का पूरा ध्यान रखें की कोई भी बचा खुले में न सोएं, क्योंकि रात के समय मछरों का आतंक सबसे ज़्यादा होता है | 

बच्चों के खाने-पीने का ध्यान रखें  

जिन बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमज़ोर होती है, उन्हें डेंगू होने खतरा सबसे अधिक होता है | इसलिए बच्चों के प्रतिरक्षा प्रणाली का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है | अपने बच्चों के डेली डाइट में ऐसे पौष्टिक तत्वों को शामिल करें जिससे उनके बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिल सके | बच्चों को प्रतिदिन फ्रूट्स और हरी सब्ज़ियां खाने की आदत डालें | इसके अलावा संतरा, नींबू, कीवी, स्ट्रॉबेरी, टमाटर आदि में भरपूर मात्रा में मिनिरल्स और विटामिन मौजूद होते है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने में मदद करता है | 

 

बच्चों को साफ़-सुथरा रहने की आदत को डलवाएं   

बच्चों को डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों के प्रकोप से बचाने के लिए साफ़-सुथरा में रहने की आदत डलवाएं  | खाने-पीने की चीज़ों को हाथ लगाने से पहले हाथ को धोने की आदत को डलवाएं | बाहर से घर आने के बाद बच्चों को हाथ-पैर धोने के लिए कहें | 

 

यदि यह सब करने के बाद भी आपका बच्चा डेंगू की बीमारी के प्रकोप में आ गया है तो बेहतर यही है की आप डॉक्टर के पास जाएं और अपने बच्चे का  इलाज कराएं | इलाज के लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है, इस संस्था में सभी मौजूद डॉक्टर पंजाब के बेहतरीन स्पेशलिस्ट में से एक है, जो आपके बच्चों समस्या को कम करने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी नियुक्ति को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |        

 

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    हेपेटाइटिस बी और सी क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण और कैसे करें पहचान ?

    हेपेटाइटिस बी और सी अलग-अलग प्रकार के हेपेटाइटिस संक्रमण होते है, जो लिवर में सूजन का कारण बनते है | यह दोनों संक्रमण खून के ज़रिये फैलते है | लेकिन लोगों को यह दोनों संक्रमण अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करता है, इसलिए इन  दोनों संक्रमणों का इलाज भी विभिन्न तरीकों से किया जाता है | आइये जानते है हेपेटाइटिस बी और सी के बारे में विस्तार में और जाने क्या है दोनों संक्रमण के बीच अंतर :- 

     

    हेपेटाइटिस बी क्या है ? 

     

    हेपेटाइटिस बी शरीर में मौजूद तरल पदार्थ और खून के माध्यम से फैलता है | अधिकतर लोगों को जन्म से या फिर बचपन में ही यह संक्रमण हो जाता है | यदि आप कंडोम के बिना यौन संबंध बनाते है या फिर असुरक्षित प्रक्रिया को करवाते है , तो इसकी वजह से भी हेपेटाइटिस बी संक्रमण हो सकता है | हालाँकि हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए एक टीका मौजूद है, लेकिन हेपेटाइटिस बी संक्रमण से पूर्ण रूप से छुटकारा पाया नहीं जा सकता है | लेकिन घबराएं नहीं ऐसे कुछ उपचार मौजूद है, जो वास्तव में बहुत कारगर साबित होते है, जिसके ज़रिये आपके लिवर में पड़ने वाले प्रभावों को कम करने की कोशिश की जा सकती है |    

    हेपेटाइटिस सी क्या है ?   

     

    हेपेटाइटिस सी आमतौर पर केवल रक्त के माध्यम से फैलता है | अधिकतर लोग केवल सुई के ज़रिये दवा लेने से हेपेटाइटिस सी संक्रमण से संक्रमित हो सकते है | यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति से टैटू बनवाते है, जो टैटू कलाकार नहीं है, इसकी वजह से भी आप हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हो सकते है | इसके अलावा असुरक्षित चिकित्सा प्रक्रियाओं, टीकाकरण कार्यक्रमों या फिर कंडोम के बिना यौन संबंध बनाने से भी आप हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हो सकते है | हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए किसी भी प्रकार का कोई भी टीका मौजूद नहीं है लेकिन कुछ ऐसी दवाईयां मौजूद है, जिसके माध्यम से हेपेटाइटिस सी से छुटकारा पाने की कोशिश की जा सकती है | 

     

    हेपेटाइटिस बी और सी के बीच क्या है अंतर ? 

     

    • फैलाव :- हेपेटाइटिस बी शरीर में मौजूद तरल पदार्थ और रक्त के ज़रिये फैलता है, जबकि हेपेटाइटिस सी आमतौर पर रक्त के ज़रिये ही फैलता है | 

     

    • इलाज :- हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए टीका मौजूद है, लेकिन पूर्ण रूप से संक्रमण से छुटकारा नहीं पाया जा सकता, जबकि हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए किसी भी तरह का टीका मौजूद नहीं है, लेकिन एंटीवायरल दवाओं से इस संक्रमण को कम करने की कोशिश की जा सकती है | 

     

    • लंबे समय तक रहने वाला खतरा :- हेपेटाइटिस सी संक्रमण 60 से 80 प्रतिशत इससे पीड़ित मरीज़ो में क्रोनिक को विकसित करता है, जबकि हेपेटाइटिस बी अधिकतर मामलों में करीब 6 महीने के अंतर्गत अपने आप ठीक हो जाता है |   

     

    • ऊष्मायन अवधि :- हेपेटाइटिस बी का औसत ऊष्मायन अवधि लगभग 120 दिनों का होता है, जबकि हेपेटाइटिस सी का ऊष्मायन अवधि केवल 45 दिनों तक का होता है | 

     

    • संक्रमण के जोखिम व्यक्ति :- हेपेटाइटिस बी से ज्यादातर लोग, संक्रमित मां से जन्मे बच्चे, हेपेटाइटिस बी से पीड़ित से यौन संबंध बनाने से या फिर एक से अधिक यौन संबंध बनाये व्यक्ति के साथ संबंध से भी संक्रमित हो सकते है | इसके अलावा जो व्यक्ति पहले से ही या फिर वर्तमान में भी इजेक्शन के ज़रिये नशीली दवाएं लेता है, वह व्यक्ति हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हो सकता है | 

     

     हेपेटाइटिस बी और सी के मुख्य लक्षण क्या है ? 

     

     हेपेटाइटिस बी और सी के मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार है :- 

     

    • थकान महसूस होना 
    • मतली होना 
    • भूख न लगना 
    • पेट में दर्द होना  
    • हल्का बुखार होना 
    • त्वचा या आंखों का पीला होना
    • गहरे रंग का पेशाब होना 
    • जोड़ों में दर्द होना 
    • पेट का खराब होना और उल्टी होना 
    • खून की उल्टी होना या फिर मल के साथ खून का आना 

       

     हेपेटाइटिस बी और सी संकर्मण से जुड़े कुछ ज़रूरी बातें 

     

    • संक्रमण से संक्रमित होने के बाद पहले के एक-दो हफ्ते पीड़ित व्यक्ति को किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते है | 
    • हेपेटाइटिस बी और सी क्रोनिक हो जाने पर, इसका सालों तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देता | 
    • हेपेटाइटिस बी और सी के लक्षण एक समान ही होते है | 
    • हेपेटाइटिस बी संक्रमण को टीकाकरण से रोका जा सकता है | 
    • ज्यादातर मामलों हेपेटाइटिस बी अपने आप ही ठीक हो सकता है, लेकिन इसके क्रोनिक होने की संभावना सबसे अधिक होती है, जो लिवर को गंभीर रूप से नुकसान पहचान एक कार्य कर सकता है |   

    हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण की पहचान कैसे करें ?    

     

    हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण की पहचान के लिए पीड़ित मरीज़ का रक्त परिक्षण किया जाता है | यदि परीक्षण के दौरान इन दोनों सक्रमणों में से किसी भी एक के लक्षण सामने आते है तो इसके इलाज के लिए आगे की प्रक्रिया को शुरू किया जाता   है | अगर आप ऊपर बताये गए किसी भी लक्षणों से गुजर रहे है तो बेहतर यही है की आप डॉक्टर से पास जाएं और इस समस्या की जाँच-पड़ताल करवाएं, ताकि इस संक्रमण से पड़ने वालों प्रभावों को कम करने में सहायता प्राप्त हो सके, क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर यह क्रोनिक में तब्दील हो सकता है, जो गंभीर रूप से आपके लिवर को प्रभावित करने के सक्षम होता है | 

     

    यदि आप में से कोई भी व्यक्ति ऐसी परिस्थिति से गुजर रहा है और अपना इलाज करवाना चाहते है तो इसमें न्यूरोसिटी हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इस संस्था के डॉक्टर पंजाब के बेहतरीन क्लीनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट में से एक है, जो इस समस्या के प्रभावों को कम करने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |     

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      इन 5 कारणों से सिर की नसों में होता है दर्द, जाने कैसे पाएं इस समस्या से मुक्ति ?

      क्या आपको भी हर समय सिरदर्द की शिकायत रहती है, क्या आपके सिर में भी पिन की तरह चुभन का एहसास होता है ?  तो यह सिर की नसों में उत्पन्न दर्द होने का कारण हो सकता है | सिर के नसों में दर्द कई कारणों से हो सकते है | इन्हीं कारणों को जानने के बाद ही आप इस समस्या का इलाज करवा सकते है, ताकि समय रहते इस समस्या से आपको छुटकारा मिल सके | सिर की नसों में दर्द होने पर मरीज़ों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है | इस स्थिति में पीड़ित मरीज़ के शरीर में से कई तरह के लक्षण सामने आते है, जैसे की सिरदर्द, जलन होना, सिर में धड़कता हुआ दर्द होना, सिर दर्द का खोपड़ी तक पहुँच जाना, सिर के दोनों ओर दर्द होना, आंख के पीछे दर्द होना आदि लक्षण शामिल है | इन लक्षणों पर ध्यान देकर आप अपने स्थिति पर सुधार कर सकते है | आइये जानते है सिर की नसों में दर्द होने के मुख्य कारण कौन-से   है :-

      सिर की नसों में दर्द होने के मुख्य कारण कौन-से है ?     

      • डायबिटीज हो सकता है सिर में दर्द की वजह

       

      कई बार डायबिटीज़ के कारण भी सिर की नसों में दर्द होने लग जाता है | डायबिटीज़ एक ऐसी स्थिती होती है, जिसमें शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, ऐसे में सिर की नसों में दर्द होने लग जाता है | यदि आपको डायबिटीज़ है तो इससे न्युरोपैथी या फिर नसों में सूजन होना सामान्य है, जो नसों में दर्द का कारण बनता है |    

      • माइग्रेन की समस्या होने पर 

       

      माइग्रेन के कारण भी सिर की नसों में दर्द होने लग जाता है | यदि आपको माइग्रेन की समस्या है तो इससे सिर के पीछे तीव्र दर्द होने की संभावना हो सकती है, जिसकी वजह से यह दर्द आपकी नसों तक पहुँच जाता है | इसलिए यदि आपको माइग्रेन की दिक्कत है तो इसके इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें |  

      • आर्थराइटिस से भी होता है सिरदर्द 

       

      कई बार सिर की नसों में दर्द ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटाइड के कारण भी हो सकता है | दरअसल आर्थराइटिस से पीड़ित मरीज़ों के ओसिसिपिटल नर्व पर काफी बुरा असर पड़ता है, जिसकी वजह से नसों पर तनाव काफी उत्पन्न हो जाता है | जिसकी वजह से नसों में दर्द और सूजन की समस्या बढ़ने लग जाता है |  

      • मांसपेशियों में दर्द की परेशानी 

       

      मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव के कारण सिर की नसों पर भारी दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से सिर की नसों में दर्द होने लग जाता है |  

      • चोट लगने से होता है सिरदर्द  

       

      सिर की नसों में लगे किसी भी प्रकार के चोट के कारण ओसिसिपिटल न्यूराल्जिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिस कारण सिर के पिछले हिस्से असहनीय दर्द होने लग जाता है | ऐसी स्थिति में बेहतर यही है की आप डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं | 

      यदि ऊपर बताई गई किसी भी स्थिति से आप गुजर रहे है तो बेहतर यही है की आप किसी डॉक्टर के पास जाएं और अपना जाँच-पड़ताल कराएं | इलाज के लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था में मौजूद सभी डॉक्टर पंजाब के सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट में से एक है, जो इस समस्या का इलाज कर, इससे छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नमक वेबसाइट पर जाएं और अपना इलाज करवाएं | इसके अलावा आप वेबसाइट पर मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |      

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        क्या है ब्रोंकोस्कोपी ? जाने कैसे करती है यह एक व्यक्ति को आसानी से साँस लेने में मदद

        न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विकेश गुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में ये बताया की बदलती जीवनशैली और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अधिकतम लोगों को सांस लेने में काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ जाता है | कई मामलों में व्यक्ति को खांसी की समस्या काफी अधिक हो जाती है, जिसके चलते लगातार खांसी होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है | यह समस्या उत्पन्न होने के कई प्रमुख कारण हो सकते है, जिन में से एक है फेफड़ों से जुडी किसी भी प्रकार के समस्या का उत्पन्न होना | इस समस्या का सही समय पर इलाज करना बेहद ज़रूरी होता है, नहीं तो यह आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी का विक्राल रूप धारण कर सकती है | 

         

        डॉक्टर विकेश गुप्ता ने यह बीमारी को समझते हुए इसके इलाज में उपयोग किये जाने वाले प्रक्रिया के बारे में बताते हुए यह कहा की इस समस्या के इलाज के लिए एक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है जो है ब्रोंकोस्कोपी | ब्रोंकोस्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके उपयोग से एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता किसी भी व्यक्ति के फेफड़ों के अंदर देख सकता है | इस प्रकिया में एक पतली और रौशनी वाली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है | 

         

        यदि आप भी साँस लेने में तकलीफ या फिर लगातार खांसी होने की समस्या हो रही है तो देरी न करें और जल्द ही किसी डॉक्टर के पास जाकर इस समस्या का अच्छे से इलाज करवाएं | इसके लिए आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल से परामर्श भी कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विकेश गुप्ता पुमोनोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आप ही  न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

        इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देख सकते है | इसके अलावा आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जायेगी | 

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          इन पांच चीजों को खाने से आपके बच्चे का दिमाग घोड़े से भी तेज चलेगा !

          बच्चों का दिमाग तेज हो ऐसी चाहत हर माँ-बाप की होती है, और कही न कही इसके लिए वो काफी कुछ करते भी है ताकि उनके बच्चे का दिमाग तेज हो सकें, लेकिन आज के लेख में हम कुछ ऐसे खाने की चीजों के बारे में बताएंगे जिसको अपनाने मात्र से आपके बच्चे का दिमाग तेज हो सकता है, तो चलिए जानते है की वो ऐसे कौन-से उपाय है;

          कैसे बनाए बच्चों के दिमाग को तेज ?

          • बच्चों के दिमाग को तेज करने की शुरुआत हम उनके बचपन से ही कर सकते है और इसके लिए आपको उनके बचपन में वो सब चीजे शामिल करनी चाहिए जो उनको अच्छे से पोषण दे सकें और उनके दिमाग की शक्ति को बढ़ा सकें। 
          • इसके अलावा आप अपने बच्चे को प्रेरित करें की वो हर स्कूल की एक्टिविटी में शामिल हो। 
          • अपने बच्चे को कोशिश करें की वो ऑलराउंडर हो हर चीज में।  
          • बच्चे के दिमाग को तेज करने के लिए आप उनके साथ दिमागी खेल भी खेल सकते है जैसे, शतरंज आदि।

          आपका बच्चा मानसिक रूप से मजबूत बन सकें इसके लिए आपको चाहिए की आप लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लें।

          कौन-सी पांच चीजे खाने से बच्चे का दिमाग होगा घोड़े से भी तेज ?

          • सबसे पहले तो आप अंडे को बच्चे की डाइट में शामिल करें खास कर ग्रोइंग एज के बच्‍चों की डाइट में, ऐसा इसलिए क्युकी अंडे में मौजूद विटामिन्‍स, कैल्शियम, प्रोटीन ब्रेन डेवलपमेंट के लिए बहुत ही जरूरी है, वहीं जब बढ़ते बच्‍चों के‍ दिमाग को भरपूर विटामिंस मिलता है तो उनका दिमाग तेज से काम करने लगता है। 
          • अलसी और कद्दू के बीज को भी दिमाग के स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन माना जाता है, कद्दू और अलसी के बीजों में जिंक के साथ ही मैग्नीशियम, विटामिन बी भरपूर मात्रा में होते है, जिससे मानसिक क्षमताएं विकसित होती है और बच्चों की याददाश्त में भी इजाफा होता है। 
          • रोजाना बच्चे को दही देना भी उसके अच्छे दिमाग के लिए काफी सहायक माना जाता है, इसलिए जरूरी है की आप अपने बच्चे के आहार में दही को जरूर शामिल करें। 
          • अगर आप मांसाहारी है तो अपने बच्चे की मेमोरी बढ़ाने के लिए उनको मछली का सेवन कराए, वहीं बचपन से हम और आप सुनते आ रहे है कि मछली खाने से दिमाग अच्‍छा होता है, दरअसल मछली में बहुत मात्रा में विटामिन डी और ओमेगा 3 होता है जो बढ़ते बच्‍चों के मेंटल डेवलपमेंट के लिए बहुत मददगार साबित होता है। 
          • अखरोट और अन्य ड्राई फ्रू्ट्स आपके दिमाग के लिए सुपर फूड माना जाता है, वहीं अखरोट अल्फा-लिनोलेनिक एसिड और पॉलीफेनोलिक कंपाउंड्स से भरपूर होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड और पॉलीफेनोल्स दोनों को ही बेहद अहम ब्रेन फूड माना जाता है क्योंकि ये दोनों ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने का काम करते है।
          • बचपन की अवस्था होती ही इतनी नाजुक है, और अक्सर इसी अवस्था में खेल कूद में बच्चों को चोट लग जाती है लेकिन कई बार चोट इतनी गंभीर होती है की उनके दिमाग पर गहरा असर छोड़ती है, जिससे उनका दिमाग तेज चलना बंद हो जाता है इसलिए बचपन की अवस्था में अपने बच्चे का खास ध्यान रखें और दिमागी चोट होने पर जल्द लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन के पास आए।

          सुझाव :

          अगर दिमागी चोट के कारण आपके बच्चे का दिमाग ठीक से नहीं चल पा रहा तो इसके लिए आप जल्द डॉक्टर के संपर्क में आए। और ऐसी दिमागी चोट के इलाज के लिए आपको न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

          निष्कर्ष :

          उम्मीद करते है की आपको पता चल गया होगा की आप किस तरह से अपने बच्चे का दिमाग तेज कर सकती है बस इसके लिए जरूरी है की आप उपरोक्त डाइट को फॉलो करें और समय-समय आप अपने बच्चे के दिमाग की जाँच को भी करवाते रहें ताकि उनके शरीर या दिमाग में किसी तरह की कोई परेशानी उत्पन्न न हो सकें।

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            How Poor Oral Health Has A Relation To Declining Mental Health

            We usually think about eating good food and exercising when discussing staying healthy. Poor oral health relates to a decline in mental health as well. Your mouth connects to your whole body, and if you don’t take care of your teeth, it can affect how you feel in your mind. Let’s learn how not looking after your teeth can worsen your mental health.

            How Teeth and Body Are Connected:

            We can know how healthy your body is by looking at your oral hygiene. If you ignore your buccal health, you can face many issues and avoid visiting the doctor. You can visit a Dentist for appropriate treatment for your oral problems.

            Inflammation and Stress:

            When you don’t care for your teeth, they can get nasty and cause problems like gum disease and cavities. These problems create pain and inflammation. These things can make your brain feel bad and cause mental health issues.

            Harmful Bacteria and Your Feelings:

            Your mouth has many tiny bacteria, some good and some bad. When you don’t keep your mouth clean, harmful bacteria grow and sicken your mouth. It can also affect the good bacteria in your gut, which is like your stomach’s control centre. When your stomach is not happy, it can affect your brain too. 

            Pain and Feeling Down:

            If your teeth hurt because you’re not caring for them, it can cause pain that doesn’t go away. This constant pain can make you feel down and upset. It’s hard to be happy when you’re in constant pain.

            Feeling Shy and Alone: 

            Having nice teeth helps you smile confidently and feel good about yourself. But you might feel embarrassed if your teeth look bad because you haven’t cared for them. This feeling can make you want to avoid people, making you feel lonely and sad.

            How Your Brain Changes:

            When you don’t look after your teeth, your body gets stressed and inflamed. It can change how your brain works and mess up essential chemicals that help you feel good. These chemicals can get imbalanced and lead to mood problems like anxiety or sadness.

            Feeling Worried and Stressed:

            You might worry and feel stressed when you don’t care for your teeth. You think that you must take care of your oral health. It will make you more worried. This worry and stress can make your mental health worse.

            Bad Oral Health And Stroke:

            A study shows poor oral health, like not brushing teeth correctly, letting plaque settle, and others can cause a stroke. 

            It would help if you cared for oral health to avoid many problems properly. These problems can make your blood vessels narrow and cause blood clots. It will cause the brain not to get enough blood, which can cause a stroke. So, properly brush your teeth, floss regularly, and visit the dentist regularly for better oral health.

            Bad Oral Health And Heart Diseases

            Your gums can get sick when you don’t care for your teeth. It releases harmful germs into your blood, making your heart unhealthy. These germs can cause swelling in your blood vessels. You can quickly get heart problems. So, brush your teeth properly, floss, and visit the dentist promptly. It can help keep your mouth and heart in good shape.

            Taking care of your oral health is also crucial for your mental health. Visiting a registered dentist is the first step toward good oral health. There are many Dental Clinic that provide high-class care in dentistry. A healthy mouth is a way to have a healthy body.

            CONCLUSION

            Taking care of your teeth is not only about having a pretty smile. It’s also about keeping your mind happy. Ignoring your dental health can create problems in your body that travel to your brain and make you feel sad, anxious, or lonely. Remember, keeping your teeth clean is integral to staying mentally well. So, remember to brush, floss, and visit the dentist to keep your teeth and mind healthy

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              मस्तिष्क पर चोट लगने के क्या है कारण, लक्षण, बचाव व उपाय ?

              मस्तिष्क पर लगी चोट इंसान के दिमाग को पूरी तरह से हिला कर रख देती है, इसलिए जरूरी है की इंसान को कही भी आने, जाने के वक़्त बहुत सतर्कता बरतनी चाहिए। दिमाग पर लगी चोट से इंसान को और क्या नुकसान होते है इसके लक्षण क्या है, इसके कारण क्या है और इससे हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

              दिमाग की चोट के क्या कारण है ?

              • दिमाग की चोट आम तौर पर बच्चों और बूढ़ों में देखने को मिलती है। 
              • ब्रेन इंजरी के कारणों में रोड पर होने वाले एक्सीडेंट या किसी दीवार आदि पर सिर टकराना भी हो सकते है। 
              • खेलते समय सिर पर आने वाली चोट, बॉक्सिंग, फुटबॉल और बेसबॉल के समय सिर पर मुक्का या बॉल लगना भी दिमागी चोट के कारणों में शामिल है।

              दिमाग में चोट के गंभीर कारण होने पर जल्द लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन के संपर्क में आए।

              क्या है सिर पर चोट का लगना ?

              • सिर पर चोट लगने के कारणों की बात करें, तो इसमे हमारे द्वारा की गई लापरवाही नज़र आती है। 
              • सिर पर लगी चोट इंसान को पागल बना देती है। 
              • कई दफा तो ये चोट इंसान के मौत का कारण भी बन जाती है। 
              • सिर पर चोट कई बार लग जाती है और हमे पता ही नहीं लगता, इसलिए जरूरी है की किसी भी तरह की चोट अगर इंसान को लग जाए तो उसे जल्द डॉक्टर के संपर्क में आना चाहिए।

              अगर आपके दिमाग में हल्की सी चोट लगी है, तो इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट के संपर्क में आए।

              लक्षण क्या है दिमाग में चोट लगने के ?

              सिर पर लगे चोट के लक्षणों की बात करें तो ये इंसान को चोट लगने के 48 घंटे बाद नज़र आती है, जैसे ; 

              • सिर में दर्द की समस्या। 
              • अत्यधिक मानसिक और शारीरिक थकान का मेहसूस होना। 
              • पक्षाघात की समस्या। 
              • कमजोरी का महसूस होना। 
              • भूकंप के झटके का लगना। 
              • चोरी की हुई चीज का बरामद होना, वो भी दिमागी तौर से ग्रस्त इंसान के पास।  
              • प्रकाश की संवेदनशीलता का महसूस होना। 
              • नींद संबंधी विकार का सामना करना आदि।

              दिमाग पर लगें चोट से कैसे करें खुद का बचाव ? 

              • गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट का प्रयोग करें।
              • बाइक या साइकिल चलाते वक़्त हर समय हेलमेट जरूर पहनें।
              • शराब पी कर ड्राइविंग बिलकुल न करें।
              • ऐसे कार्पेट घर में न लाएं जिनसे आप फिसल कर नीचे गिर सकते है।
              • गीले फ्लोर पर चलने से बचें।
              • नियमित रूप से अपनी आंखों का चेक अप करवाते रहें।
              • बाथरूम में जाते समय अपना खास ख्याल रखें।
              • अगर नहाने के बाद कपड़े पहन रहे है, तो एक हाथ से किसी चीज को पकड़ लें ताकि फिसलने का रिस्क कम हो सके।

              दिमागी चोट से बचाव के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

              • अगर आपके दिमाग में गहरी चोट लग गई है तो इससे बचाव के लिए आपको फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की जरूरत होगी। 
              • अगर आप इस तरह की थेरेपिस्ट का चयन करना चाहते है, तो इसके लिए आपको न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।  
              • वहीं इस हॉस्पिटल में मरीज़ का इलाज आधुनिक उपकरणों की मदद से किया जाता है। 
              • और तो और यहाँ के स्टाफ की बात करें तो उन्हे भी अपनी फील्ड का काफी सालों का अनुभव है।

              सुझाव :

              किसी भी तरह के नशीली चीजों का सेवन करके कृपया वाहन न चलाए, वर्ना चोट के साथ जान जानें का खतरा भी हो सकता है।

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                किस तरह का सिरदर्द होने पर न्यूरोलॉजिस्ट का करें चयन !

                सिर में दर्द या सिर का रह-रह कर दर्द होना भी काफी गंभीर समस्या है, क्युकि सिर का दर्द हमारे काम के साथ साथ हमारे शरीर पर भी बुरा असर डालता है। वही ये समस्या क्यों होती है, या किस तरह के सिर दर्द में हमे न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए के बारे में आज के आर्टिकल में बात करेंगे तो अगर आप भी यह सोच कर परेशान रहतें है की किस तरह के सिर दर्द के लिए न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाए तो आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ;

                सिरदर्द में किस तरह के लक्षण दिखने पर न्यूरोलॉजिस्ट का करें चयन ?

                • आपको न्यूरोलॉजिस्ट का चयन तब करना चाहिए, जब आपका सिरदर्द एक या दो दिन से अधिक समय तक लगातार बना हुआ है। 
                • आपका सिरदर्द अचानक होने लगता है। 
                • तनाव से आपके सिर का दर्द और बढ़ जाता है। 
                • आपका सिरदर्द सुबह से ही शुरू हो जाता है। 
                • आपको देखने में परिवर्तन का अनुभव हो रहा है। 
                • आपको सिरदर्द के साथ दौरे पड़ने की समस्या भी उत्पन्न हो गई है आदि। 

                उपरोक्त लक्षण अगर आपमें नज़र आए तो आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।

                सिर में दर्द की समस्या क्यों होती है?

                • सिर में दर्द की समस्या ज्यादातर दवाइयों का सेवन करने, मांसपेशियों में तनाव, हार्मोन में बदलाव या फिर पानी की कमी के कारण हो सकता है। 
                • वही कुछ मौकों पर मानसिक तनाव, गलत तरीके से उठने-बैठने की आदत, शराब का सेवन, नींद की कमी या समय पर भोजन ना करने की वजह से भी इस प्रकार का दर्द हो सकता है।
                • इसके अलावा कई बार हमारे सिर में गंभीर चोट लग जाती है जिस वजह से भी हमे सिर में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है।

                अगर सिर में चोट की वजह से आपको सर्जरी करवाने की जरूरत पड़े तो इसके लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

                सिर दर्द का इलाज क्या है ?

                • सिर दर्द के इलाज के लिए विभिन्न विकल्प मौजूद है। हालांकि इलाज आमतौर पर उसके कारण के मुताबिक किया जाता है। जैसे कि नेज़ल स्प्रे और कुछ अन्य दवाइयों के माध्यम से दर्द को दूर किया जाता है। 
                • वही ज़रूरत पड़ने पर आपका न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर आपकी डाइट में भी बदलाव भी ला सकते है। इसके अलावा कुछ ऐसी थैरेपी भी है जो इन स्थितियों में फायदेमंद साबित होती है। यदि दर्द ज़्यादा है तो मसाज के माध्यम से भी राहत मिल सकती है।

                सिर दर्द के लिए डॉक्टर किस तरह का परीक्षण कर सकते है ?

                • सीटी स्कैन। 
                • एमआरआई स्कैन। 
                • ईईजी (मस्तिष्क तरंगों को मापने) का स्कैन आदि। 

                सिर दर्द की जाँच के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

                • अगर आपको उपरोक्त संकेत दिख रहें है सिर दर्द के दौरान तो आपको समय रहते न्यूरो सीटी हॉस्पिटल के अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन कर लेना चाहिए। इसके अलावा अगर आप किसी गंभीर समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको यहाँ के डॉक्टरों के द्वारा अच्छे से गाइड भी किया जाता है।

                निष्कर्ष :

                • व्यक्ति के लिए सिर में दर्द का होना काफी खतरनाक है, वही ये समस्या क्यों उत्पन होती है, इसके बारे में जानने के बाद इसे नज़रअंदाज़ न करें। तो अगर आपको भी इस तरह की समस्या ने परेशान कर रखा है तो इससे बचाव के लिए समय रहते डॉक्टर के सम्पर्क में जरूर आए।

                 

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                  4 tips to get the expertise of the best neurosurgeon for your health

                  Don’t get the neurological care

                  One of the studies conducted by WHO has shown that around 80% of cases are due to neurological conditions. Usually, many people don’t show any symptoms of neurological conditions. Being mindful of well-being and visiting the top-rated neurosurgeon at the Neuro Hospital in Ludhiana is crucial.

                  For the well-being of your neuro condition, you must get the entire state evaluated effectively under the supervision of experts. If you are dealing with a skeletal or muscular problem, then make sure to find the reputed and Best Neuro Consultants in Ludhiana. To find the neurosurgeon, you should consider the given tips mentioned below.

                  Tips for finding the best neurosurgeon

                  Tip 1: Get suggestions from the insurance carrier
                  To begin the research, it’s better that you have a chat with the insurance carrier you know. Seeking assistance from the best Neurologist in Ludhiana helps you to know better about the necessary regulations and other important factors required to be followed. The insurance carriers are well-aware of the neurosurgeon in this field to ease the entire process.

                  Tip 2: Schedule initial consultation
                  It’s important to schedule the initial consultation with the neurosurgeon to get better clarity about the approach used by the doctor. The face-to-face initial consultation will help to tell better about the problem. Additionally, you can ask in detail about the procedure and what approach needs to be followed next. Additionally, you should have a proper look at the testimonials or reviews shared by the patients to better understand the neurosurgeon’s skills.

                  Tip 3: Comfort in making a communication
                  It’s important to be comfortable while communicating with the doctor. During the initial consultation, it’s better to look for someone else if it does not seem that way. It is the doctor’s responsibility to talk about the concerns and issues. If the doctor is hesitant to answer your questions, you better look for someone else. To better understand the neurosurgeon’s experience, you should check the reviews on websites or search engines.

                  Tip 4: Hospital facilities are important
                  The hospital facilities are extremely crucial. So, ensure that you check the availability of all the latest and advanced treatment options at the hospital. This would make it much easier for you to check that the hospital provides the best options to diagnose the problem and perform further treatment plans accordingly. It’s important to check every minute of information to ensure your treatment is effective for your overall well-being.

                  Final word

                  Here are some important tips that will make it easier for you to select the best neurosurgeon for your well-being. In case you are looking for one, then visit Neurociti Hospital. We have an experienced, board-certified, and skilled team of neurosurgeons.

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                    Neuro

                    तेज़ी से बढ़ रहा है डेंगू की बीमारी का प्रकोप, जाने कैसे रखें अपने बच्चों का ख्याल ?

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                    What is the role of a modern and updated neuronavigation system?

                    Neuronavigation is an important part of neuro treatment

                    Ludhiana, Punjab: Neuro navigation is one of the systems which works with a real-time intraoperative system and it is known for giving the essential guidance for doing spinal & brain surgery. In other words, it’s also referred to as frameless stereotactic surgery. At one of the Best Neuro Hospital in Ludhiana, it is used to make sure the surgery is done with utmost ease. Additionally, it helps in making sure all the things are well-managed while doing the brain & spinal surgery. This is the reason such technology is making its way in doing the treatment with utmost ease.

                    Technological advancements make things better

                    Be it your need is to get brain surgery or you are looking for a medical expert to get the Brain Injury Treatment in Punjab then better be careful about everything. The use of such technology helps in guiding that the external frames are well effective in all ways. The use of localization or stereotactic will help the external surface to be in the proper place.

                    The neurosurgeon mostly uses this technology for performing brain surgery. WHY?

                    The key reason is:

                    • The use of localization helps in limiting the skull opening in total size. Additionally, everything is safely removed which means the brain tumors are easy to take out. So, for the tumor resection, it’s used is extremely essential. Most importantly the localization is well carried out.
                    • The well-equipped machinery and system come with all the right range of accessories which makes it easier to perform the surgery.

                    So, its use is getting more & more in neuro and spinal surgery because of the way it gives effective and reliable results.

                    Insight about the stereotactic surgery

                    It works on stereotactic brain surgery which takes the brain images. The necessary images allow us to target the brain in the most precise manner. Apart from that it is also known by the name of neuronavigation which helps in ensuring all things are well in place & the necessary target is done to the brain.

                    Additionally, it has that lightweight frame along with it in which local anesthesia is used. Following that the head image is better seen through the use of MR, CT, or angiography which helps in targeting the external frame properly. The images are basically like a reference is doing the surgery as every possible measure is properly seen from all the necessary dimensions. It’s like making sure the deep brain movements are checked for boosting the surgery accuracy by all means. All in all the workflow of doing the surgery helps in giving the best of results and the results are also successful.

                    Did you know?

                    The term stereotactic came from the Greek term which means ‘touch in space’.

                     

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