क्या मिर्गी और दौरे पड़ना एक ही बात होती है ? जाने एक्सपर्ट्स से क्या है इन दोनों समस्याओं में अंतर ?

लोगों में दौरे और मिर्गी को लेकर काफी गलत फहमियाँ फैली हुई है, उनके मुताबिक मिर्गी को ही दौरे का विकार माना जाता है | लेकिन आपको बता की मिर्गी और दौरे पड़ना दोनों ही बहुत अलग समस्या है, क्योंकि दोनों समस्या का संबंध शरीर के अलग-अलग विकारों से होता है, आइये एक्सपर्ट्स से जानते है मिर्गी होने के कारण और दौरे को ट्रिगर करने वाली चीज़ों के बीच क्या अंतर है ? 

 

मिर्गी और दौरे के बीच क्या अंतर है ? 

न्यूरोसिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अरुण कुमार धानुका, जो की न्यूरोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है, उनका कहना है की एक व्यक्ति को दौरे तब पड़ते है, जब मस्तिष्क में मौजूद तंत्रिका कोशिकाएं, जिसे न्यूरॉन्स भी कहा जाता है, शरीर को गलत संकेत भेजना शुरू कर देते है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब न्यूरॉन्स शरीर को एक ही समय में एकसाथ संकेत भेजना शुरू कर देता है तो इससे मस्तिष्क में विद्युत गतिविधियों का उछाल आ जाता है | जिसकी वजह से अनैच्छिक गति के साथ-साथ व्यक्ति के भावनाओं और व्यवहार में भी काफी बदलाव आने लग जाते है, जिससे दौरे पड़ने वाला व्यक्ति अपनी चेतनाओं को खोने लग जाता है | 

 

एक आंकड़े के अनुसार लगभग 10 में एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में दौरे पड़ने का अनुभव ज़रूर करता है | लेकिन यह ज़रूरी नहीं होते कि अगर किसी व्यक्ति को दौरे पड़ने की समस्या हो तो उससे मिर्गी की ही बीमारी है | ऐसे बहुत से कारण होते है, जिसकी वजह से व्यक्ति को दौरे पड़ सकते है | लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है की आपका मस्तिष्क बार-बार दौरे के लिए अतिसंवेदलशील होता है | उदाहरण के तौर पर बात करें तो यदि आपको मधुमेह है और आपका रक्त शर्करा काफी कम हो गया है, तो यह दौरे पड़ने का कारण बन सकता है | 

 

दौरे को उकसाए और बिना उकसाए वर्गीकृत किया जा सकता है | कम रक्त शर्करा, बहुत तेज़ बुखार, शराब और ड्रग्स जैसे नशीली पदार्थों का सेवन और मस्तिष्क में लगे गंभीर चोट या फिर स्ट्रोक के कारण दौरे को उकसाया जा सकता है | हालाँकि बिना उकसाये वाले दौरे को चिकित्सिक स्थिति के साथ जोड़ा नहीं जा सकता है, क्योंकि कुछ व्यक्तियों के मस्तिष्क में कोशिकाओं की सरंचना ऐसी होती है, जो बिना उकसाये ही व्यक्ति में दौरे की स्थिति को उत्पन्न कर सकता है, जिससे मिर्गी के दौरे पड़ना भी कहा जाता है | आइये जानते है मिर्गी के दौरे पड़ने के प्रमुख कारण क्या होते है :- 

 

मिर्गी के दौरे पड़ने का प्रमुख कारण क्या है ? 

 

मिर्गी के दौरे कई कारणों से पड़ सकते है जैसे की :- 

 

  • मस्तिष्क में ट्यूमर मौजूद होना 
  • मस्तिष्क में स्ट्रोक या फिर चोट का लगना 
  • न्यूरोसेंटीमेटर नामक तंत्रिका-साकेत रसायनों का असंतुलन होना 
  • अनुवांशिक कारणों से 
  • जन्म से पहले शिशु के दिमाग में चोट का लगना 
  • अत्यधिक या फिर नशीली दवाओं के सेवन से 
  • भोजन छोड़ना 
  • तनाव 
  • विटामिन और खनिज जैसे पौष्टिक तत्वों की कमी होना 
  • हार्मोनल परिवर्तन 
  • अपर्याप्त नींद या फिर ख़राब नींद का होना आदि | 

मिर्गी के दौरे को नियंत्रित कैसे करें ? 

 

डॉक्टर अरुण कुमार धानुका का कहना है की मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को कभी भी डॉक्टर द्वारा निर्धरित की गयी दवाओं को नहीं छोड़ना चाहिए | ऐसा करने से आप मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते है | यदि आपको स्थिति गंभीर लग रही है तो इससे बिलकुल भी नज़र-अंदाज़ न करें, तुरंत ही डॉक्टर के पास जाए और इस स्थिति की जाँच-पड़ताल करवाएं, क्योंकि स्थिति गंभीर होने यह बहुत बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकती है | मिर्गी से पीड़ित मरीज़ों के लिए अब दौरे पर प्रबंधित लगाने के लिए कई अधिक और नए तरीके उपलब्ध है, जिसकी मदद से आप मिर्गी के दौरे से पड़ने वाले प्रभावों को कम कर सकते है | 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति मिर्गी या फिर दौरे पड़ने की समस्या से पीड़ित है और अपना इलाज करवाना चाहता है तो इसमें न्यूरोसिटी हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अरुण कुमार धानुका पंजाब के बेहतरीन न्यूरोलॉजिस्ट में से एक है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही न्यूरोसिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसलिए अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |  

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    मिर्गी के दौरे से जुड़े आठ ऐसे मिथ्स, जिसका जानना बेहद ज़रूरी है

    मिर्गी का अटैक या दौरे बहुत ही  खतरनाक बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति का शरीर बुरी तरह से अकड़ जाता है और मुँह से झाग निकलने लग जाता है | हलाकि कई लोग इस दौरे को भूत-प्रेत जैसे अंधविश्वास प्रक्रिया से भी जोड़ते है, जिसके कारण वह लोग मिर्गी से पीड़ित रोगी डॉक्टर के पास ले जाने के बजाये अन्धविश्वाश तांत्रिक या बाबाओं के पास ले जाना समझदारी मानते  है, उनका मानना यह होता है की मिर्गी पीड़ित पर कोई जिन या किसी चुड़ैल का साया आ गया है | इतना ही नहीं कई लोग मिर्गी पीड़ित रोगी को पागल तक करार देते है | कई लोग मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को जुता सुंघा देते है या फिर मुँह में चाबी डाल देते है | आइए जानते है ऐसे ही कुछ मिर्गी के दौरे से जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स जिसका जानना बेहद ज़रूरी है :- 

    मिथ्स 1. मिर्गी पीड़ित का मानसिक असंतुलन होता है 

    फैक्ट्स :-  यह बात बिल्कुल सच है , मिर्गी के दौरे व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से कई तांत्रिक कोशिकाएं कमजोर हो जाते है | हालांकि शरीर के बाकी अंग सामान्य ही रहते है, उन पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता | 

    लेकिन डॉक्टर स.के.बंसल, जो की न्यूरोसर्जरी एक्सपर्ट्स है उनका मानना है की  मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाने में ही समझदारी है, क्योंकि यह दौरे मानसिक रूप से काफी हानि पहुंचा सकती है | आप इससे जुडी सलाह न्यूरोसिटी एक्सपर्ट टीम के डॉक्टर से भी ले सकती है, जो की न्यूरोलॉजी  स्पेशलिस्ट है |  

    मिथ्स 2. मिर्गी पीड़ित रोगी का शरीर ऐंठने लग जाता है 

    फैक्ट्स :-  मिर्गी के अटैक कई तरह के हो सकते है, हालांकि कई मामलों मिर्गी पीड़ित रोगी  का शरीर ऐंठने लगता है, परन्तु हर मामलो में ऐसा नहीं होता | 

    मिथ्स 3. क्या मिर्गी की बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को जाती  है

    फैक्ट्स :-  यह मिथ्स बिलकुल सही नहीं है, मिर्गी के बीमारी व्यक्ति से मानसिक संतुलन पर निर्भर करता है | क्योंकि यह दौरे उसी व्यक्ति को आते है, जिसके मस्तिष्क पर पहले से ही चोट लगी हो | 

    मिथ्स 4. क्या मिर्गी के दौरे कभी भी आ सकते  है?

    फैक्ट्स :- मिर्गी की दौरे तभी आते है जब व्यक्ति  की नींद पूरी ना हो,नशीली पदार्थ जैसे की शराब,तम्बाकू या धूम्रपान का सेवन किया है, जिसके कारण मानसिक संतुलन में परिवर्तन आता है और इसी वजह से मिर्गी के अटैक आते है | 

    मिथ्स 5. क्या मिर्गी के रोगी दूसरे पर निर्भर होते  है ? 

    फैक्ट्स :-  यह मिथ्स बिल्कुल सही है, क्योंकि मिर्गी पीड़ित व्यक्ति के परिजन और दोस्तों को उनकी हालत को समझना बेहद ज़रूरी है, जिससे उचित समय में मिले इलाज और सावधानियों से उन पर किसी भी तरह के  बुरा प्रभाव पड़ने से रोक सकती है |  

    मिथ्स 6 . क्या मिर्गी के रोगी को शादी नहीं करना चाहिए  ? 

    फैक्ट्स :-  यह मिथ्स बिल्कुल भी ठीक नहीं है, यह मामले सब से ज़्यादा महिलाओं में पाए जाते है | बल्कि उचित समय में इलाज से  मिर्गी पीड़ित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है | 

    मिथ्स 7 . क्या मिर्गी पीड़ित महिला गर्भवती नहीं हो सकती ? 

    फैक्ट्स:- मिर्गी के इलाज के लिए ले रही दवाइयां महिला की गर्भाशय को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता , गर्भ अवस्था में  भी डॉक्टर के द्वारा बताए गए या उनकी देखरेख पर भी दवाइयां ले सकती है |  

    मिथ्स 8 . क्या मिर्गी दौरे के समय रोगी को पकड़ लेना चाहिए ? 

    फैक्ट्स:- मिर्गी के दौरे पड़ रहे व्यक्ति को कभी भी पकड़ना या दबाना नहीं चाहिए , बल्कि इस बात का ध्यान रखना चाहिए क़ी आस पास कोई नुकीली वस्तु या हानिकारक पदार्थ न हो |

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      बच्चों में होने वाली मिर्गी क्या उनको पूरे जीवन तंग करेगी ?

      मिर्गी जीवन के किसी भी समय शुरू हो सकती है, लेकिन इसका निदान आमतौर पर बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होता है।मिर्गी से पीड़ित कुछ बच्चों में उम्र से संबंधित मिर्गी होती है और उनके दौरे एक निश्चित उम्र तक ठीक हो जाते हैं, जबकि अन्य में दौरे पड़ सकते हैं जो वयस्क होने तक जारी रहते हैं। हालांकि मिर्गी हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है, मिर्गी से पीड़ित कई बच्चों में दौरे पड़ते हैं जिन पर दवा का अच्छा असर होता है, और वे एक सामान्य और सक्रिय बचपन का आनंद लेते हैं।

       

      बच्चों में मिर्गी यह मस्तिष्क की एक स्थिति है जो दौरे का कारण बनती है। आपके बच्चे के मस्तिष्क की कोशिकाएं अचानक अनियमित विद्युत गतिविधि पैदा करती हैं और परिणामस्वरुप दौरा पड़ता है। आप दौरे को तब पहचान सकते हैं जब कोई बेहोश हो जाता है और उसका शरीर अनियंत्रित रूप से हिलता है। लेकिन सभी दौरे एक जैसे नहीं दिखते। कुछ बच्चे दौरे के दौरान घूर सकते हैं या भ्रम का अनुभव कर सकते हैं। जबकि मिर्गी दौरे का कारण बनती है, बच्चों में सभी दौरे मिर्गी का परिणाम नहीं होते हैं। मिर्गी के कुछ पहले दिखते चीन:

      • जागरूकता की हानि
      • भ्रम
      • एक खाली घूरना (अंतरिक्ष में घूरना)
      • आपके बच्चे की सुनने, देखने, स्वाद या गंध में परिवर्तन
      • अस्वस्थ महसूस करना, जैसे पेट खराब होना या उनके शरीर के तापमान में बदलाव
      • दौरा जल्दी, कभी-कभी, शुरू होने से पहले बिना किसी संकेत के भी हो सकता है           

      बच्चों में मिर्गी के लक्षण किस उम्र में शुरू होते हैं?

      बच्चों में मिर्गी शुरू होने की उम्र इस बात पर निर्भर करती है कि आपके बच्चे को किस प्रकार की मिर्गी है। कुछ लक्षण शैशवावस्था के दौरान शुरू होते हैं, जबकि अन्य स्कूल-उम्र या किशोरावस्था के दौरान शुरू होते हैं।

      मिर्गी को बच्चों में कैसे रोके

      बच्चों में मिर्गी के उपचार में शामिल हो सकते हैं:

      • दौरे को रोकने के लिए दवाएं: एंटीसेज़्योर दवा केवल मिर्गी के लक्षणों और दौरे की आवृत्ति का इलाज करती है, कारण का नहीं। ये दवाएं दौरे का कारण बनने वाली विद्युतीय अनियमितताओं को रोकने में मदद करती हैं, लेकिन केवल तब जब वे रक्तप्रवाह में हों। इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आपका बच्चा बताई गई दवाएं लें।
      • सर्जरी: यदि दवाएं काम नहीं करती हैं, तो आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता आपके बच्चे में मिर्गी के कारण को लक्षित करने के लिए विशेष मस्तिष्क सर्जरी की सिफारिश कर सकता है।
      • प्रत्यारोपित चिकित्सा उपकरण: यदि दवाएं अप्रभावी साबित हुई हैं तो आपके बच्चे को मिर्गी के लक्षणों का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए चिकित्सा उपकरण उन्नत तकनीक का उपयोग करते हैं। 

      प्रत्येक बच्चे के लिए मिर्गी का निदान अलग-अलग होता है, लेकिन इस प्रक्रिया के प्रमुख चरणों में अक्सर शामिल होते हैं:

      • विस्तृत चिकित्सा इतिहास: इसमें माँ की गर्भावस्था और प्रसव के बारे में प्रश्न शामिल हो सकते हैं; क्या कोई रिश्तेदार मिर्गी से पीड़ित है; और क्या आपके बच्चे को पहले सिर में गंभीर चोट, संक्रमण का इतिहास रहा है। 
      • शारीरिक परीक्षण: नियमित शारीरिक परीक्षण के अलावा, डॉक्टर आपके बच्चे के मानसिक और तंत्रिका संबंधी कार्य की जाँच करेंगे। इसमें मांसपेशियों की ताकत और सजगता का परीक्षण शामिल होगा, उदाहरण के लिए, साथ ही इंद्रियों और स्मृति का भी।
      • अन्य अंतर्निहित बीमारियों की पहचान करने में सहायता के लिए रक्त परीक्षण जो दौरे का कारण बन सकते हैं। 
      • कम्प्यूटरीकृत एक्सियल टोमोग्राफी (सीटी) या सीटी स्कैन यह निर्धारित करने में मदद करने के लिए कि क्या दौरा हाल ही में तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली चोट या बीमारी के कारण हुआ था।

      अवलोकन परीक्षा और परीक्षणों के अलावा, अवलोकन की अवधि यह निर्धारित करने में मदद कर सकती है कि बच्चे को मिर्गी है या नहीं।

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        क्या मिर्गी महिलाओं में गर्भावस्था को प्रभावित कर सकती है?

        एक वक्त में कहा जाता था कि मिर्गी से पीड़ित महिलाए, कभी माँ नहीं बन सकती। लेकिन अब ऐसा नहीं है। हालांकि, अपने डॉक्टर के साथ विचार करने और योजना बनाने में कुछ चुनौतियां हैं। कुछ योजनाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मिर्गी से जुड़ी चुनौतियों का प्रबंधन करते हुए स्वस्थ गर्भावस्था भी संभव है। दौरे के संभावित प्रभाव और उन्हें नियंत्रित करने के लिए दी जाने वाली दवाएँ गर्भावस्था के दौरान अनोखी चिंताएँ पैदा करती हैं। हर साल मिर्गी से पीड़ित महिलाओं में लगभग 24,000 बच्चे पैदा होते हैं – जिनमें से अधिकांश स्वस्थ होते हैं।

        कैसे मिर्गी गर्भावस्था को प्रभावित करती है ? 

        गर्भावस्था के दौरान दौरे पड़ने पर निम्नलिखित समस्याओं का खतरा होता है:

        • भ्रूण की हृदय गति धीमी होना 
        • भ्रूण को ऑक्सीजन मिलना कम हो गया
        • अपरिपक्व प्रसूति
        • जन्म के समय कम वजन
        • समय से पहले जन्म
        • माँ को आघात, जैसे कि गिरना, जिससे भ्रूण को चोट लग सकती है, गर्भाशय से नाल का समय से पहले अलग होना (नाल का टूटना) या यहाँ तक कि भ्रूण की हानि भी हो सकती है

        दौरे पर नियंत्रण बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान दौरे के परिणामस्वरूप चोट लग सकती है और जटिलताओं की संभावना बढ़ सकती है। जटिलताएँ उत्पन्न होने की संभावना दौरे के प्रकार और आवृत्ति से जुड़ी होती है। फोकल दौरे में सामान्यीकृत दौरे जितना जोखिम नहीं होता है (लेकिन फोकल दौरे सामान्यीकृत हो सकते हैं)। सामान्यीकृत दौरे (विशेष रूप से टॉनिक-क्लोनिक वाले) माँ और बच्चे दोनों के लिए अधिक जोखिम रखते हैं।

         

        क्या मिर्गी माँ से पैदा होने वाली संतान में जा सकती है ?

        अगर माँ को मिर्गी की दिक्कत होगी और बाप को नहीं, तो तब भी १०० में से ५ खतरे का संकेत होगा। लेकिन दोनों को मिर्गी होनी बच्चे के लिए उच्च खतरा है। अक्सर बच्चे माता-पिता से मिर्गी विरासत में नहीं मिलेगी, लेकिन कुछ प्रकार की मिर्गी विरासत में मिलने की संभावना अधिक होती है।

        लेबर और बच्चे की डिलीवरी के समय अगर दौरे शुरू हो जाए, इसे अंतःशिरा दवा से रोका जा सकता है। यदि दौरा लंबे समय तक रहता है, तो आपका स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता सी-सेक्शन द्वारा बच्चे को जन्म दे सकता है। ज्यादातर लोग जिनको मिर्गी की दिक्कत होती है बिना किसी समस्या के बच्चा आसानी से हो जाता है। हम महिलाओं से न्यूरल ट्यूब दोष के जोखिम को कम करने के लिए गर्भधारण से पहले फोलिक एसिड अनुपूरक लेने का आग्रह करते हैं, जो मस्तिष्क, रीढ़ और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करते हैं। मिर्गी से पीड़ित महिलाओं को अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक फोलिक एसिड लेने की आवश्यकता हो सकती है – गर्भधारण से पहले दो से तीन महीने तक प्रतिदिन 4 मिलीग्राम तक। ऐसा इसलिए है क्योंकि मिर्गी-रोधी दवाएं (एईडी) शरीर में फोलिक एसिड के स्तर को कम कर सकती हैं। आपके 20-सप्ताह के अल्ट्रासाउंड के दौरान, हम उन विकृतियों की तलाश करेंगे जो एईडी के कारण हो सकती हैं। यह परीक्षा न्यूरल ट्यूब दोषों की तलाश के लिए प्रभावी है।

        मिर्गी और गर्भावस्था के जोखिमों को सुरक्षित रूप से कैसे प्रबंधित करें ?

        • याद से दवा- बूटी ली जाए 

        अपनी पूरी गर्भावस्था के दौरान बताई गई दौरे-रोधी दवाएं (एएसएम) लेती रहें। इससे आपको और आपके बच्चे के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

        • महीने में सामान्य जांच 

        अपनी मिर्गी देखभाल टीम के साथ अपने एएसएम की मासिक स्तर-जांच शेड्यूल करने और आवश्यकता पड़ने पर खुराक समायोजित करने की योजना बनाएं। गर्भावस्था से पहले के आधारभूत स्तर को बनाए रखने के लिए अधिकांश एएसएम को गर्भावस्था के दौरान खुराक बढ़ाने की आवश्यकता होगी।

        • नींद को अग्गे रखे 

        नींद की कमी कई लोगों के लिए दौरे का एक सामान्य कारण है, चाहे वे गर्भवती हों या नहीं। एक सुसंगत नींद योजना बनाने के लिए अपनी देखभाल टीम के साथ काम करें।

        • अपने दौरे आने को ट्रैक करें 

        अपनी जब्ती गतिविधि पर नज़र रखें। इसे अपनी गर्भावस्था और मिर्गी देखभाल टीमों के साथ अक्सर साझा करें। दौरे के मामूली लक्षण भी यह संकेत दे सकते हैं कि आपको दौरे पड़ने की संभावना बढ़ रही है।

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          Understanding Epilepsy: Causes, Symptoms, and Treatment Options

          People nowadays are dealing with a variety of health-related problems, such as neurological illnesses. A neurological disorder called epilepsy results in recurrent seizures. The top neurologist in Punjab provides effective epilepsy therapy. There are various forms of epilepsy.

           

          How does one define epilepsy?

          Epilepsy is a neurological ailment that results in periodic seizures, known sometimes as a seizure disorder. Different kinds of epilepsy exist. In certain circumstances, doctors cannot determine the cause, whereas the cause is apparent in others. People of various ages, genders, races, and ethnic backgrounds are affected by epilepsy. Some neurological issues also affect other health, and the best Neurologist in Punjab offers appropriate treatment.    

           

          What factors lead to epilepsy?

          Epilepsy can arise from a variety of causes.

          • Genetic impact: Certain forms of epilepsy are inherited. There’s probably a hereditary component in these cases. Researchers have linked certain types of epilepsy to particular genes. However, some individuals have genetic epilepsy that is not inherited.
          • Head trauma: Epilepsy can be brought on by head trauma sustained in a vehicle accident or another type of traumatic injury.
          • Brain factors, including brain tumors, can cause epilepsy tumors. Additionally, the formation of blood vessels in the brain might lead to epilepsy. Seizures can occur in people with blood vessel disorders such as cavernous and arteriovenous malformations.
          • Infections: Epilepsy can result from illnesses such as meningitis, HIV, viral encephalitis, and some parasite infections.                                                          
          • Injury before birth: Infants are vulnerable to brain damage brought on by a variety of circumstances.

           

          What epilepsy symptoms are present?

          People with epilepsy may have the following symptoms:

          • Gazing.
          • Stiffening of the legs and limbs.
          • The body becomes stiffer.
          • Unconsciousness.
          • Breathing difficulties or cessation.
          • Lack of bladder or bowel control.
          • Unexpectedly falling and losing consciousness, mainly when this occurs suddenly and for no apparent reason.      

           

          What are the treatment plans for epilepsy? 

          Surgery, specific diets, and anti-seizure drugs are used to treat epilepsy.

          • Anti-seizure drugs: In roughly 60% to 70% of people with epilepsy, anti-seizure drugs are effective in preventing seizures. Treatment for anti-seizures with medicine is customized. Your healthcare professional will try these options to determine which medication, dosage, or combination best controls your seizures.
          • Dietary therapy: The two most popular diets that are occasionally suggested for individuals with epilepsy are the ketogenic diet and the modified Atkins diet, which is low in carbohydrates and moderate in protein. For certain epileptics, low-glycemic index diets may help lessen seizures.
          • Surgery: If anti-seizure drugs are ineffective for your seizures and your seizures are severe and incapacitating, surgery may be recommended. If anti-seizure medication therapies are unable to control your seizures after more than two attempts, epilepsy surgery may be a safe and viable course of treatment. EpilepsyThe most skilled and knowledgeable neurosurgeons perform the epilepsy surgery. 

           

          What to do during an epilepsy attack? 

          Understanding, composure, and taking the proper action are necessary while helping someone who is having an epileptic seizure. To help someone experiencing an epileptic attack, follow these steps:

          • Remain Calm: Retain your poise. Even though seeing someone have a seizure might be upsetting, maintaining your composure will enable you to help them effectively.
          • Assure Safety: Relocate any adjacent objects that can endanger the seizure sufferer. Clear the area to avoid getting hurt.
          • Remain with the individual: Stay with them as long as the individual is experiencing seizures and until they have fully recovered. To make sure they are safe, keep a watch on them.
          • Avoid Restricting: Restricting the person during a seizure is not advised. Let the seizure finish on its own. Both the person experiencing the seizure and you could get hurt while being restrained. 
          • Seizures: Keep track of the commencement and duration of the seizures. Medical personnel can benefit from knowing this knowledge.      

           

          Many people suffer from different health issues for various reasons. Contact the Neurociti hospital for a satisfying treatment. We have the best and most experienced doctors and neurosurgeons in Ludhiana

                                                                             

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            मिर्गी का दौरा – जानिए इसके प्रकार, लक्षण और उपचार ?

            मिर्गी, एक तंत्रिका संबंधी विकार, जो विश्व स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण बार-बार होने वाले दौरे की विशेषता है। आइए मिर्गी से जुड़े विभिन्न प्रकारों, लक्षणों और उपचारों के बारे में चर्चा करते है ;

            मिर्गी के प्रकार क्या है ?

            मिर्गी कई प्रकार की होती है, और प्रत्येक की अपनी विशेषताएं होती है, जैसे –

            सामान्यीकृत दौरे : 

            ये मस्तिष्क के दोनों किनारों को प्रभावित करते है और चेतना की हानि, ऐंठन, या अनुपस्थिति दौरे का कारण बन सकते है।

            आंशिक दौरे : 

            वे मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों में होते है और विभिन्न लक्षणों को जन्म दे सकते है, जैसे दोहराव वाली गतिविधियां, परिवर्तित भावनाएं या संवेदी परिवर्तन।

            फोटोसेंसिटिव मिर्गी : 

            चमकती रोशनी या दृश्य पैटर्न द्वारा ट्रिगर, यह प्रकार कुछ दृश्य उत्तेजनाओं के जवाब में दौरे उत्पन्न करता है।

            टेम्पोरल लोब मिर्गी : 

            मस्तिष्क के टेम्पोरल लोब में उत्पन्न होने वाला यह प्रकार तीव्र भावनाओं, स्मृति गड़बड़ी या असामान्य संवेदनाओं का कारण बन सकता है।

            मिर्गी के प्रकारों को जानने के बाद आप बिना देरी किए इसके इलाज के लिए लुधियाना में बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट का चयन कर सकते है।

            मिर्गी के लक्षण क्या है ?

            • मिर्गी के लक्षण दौरे के प्रकार और गंभीरता के आधार पर भिन्न होते है। सामान्य संकेतों में शामिल है ;
            • दौरे के दौरान व्यक्ति को भ्रम या जागरूकता की कमी का अनुभव हो सकता है।
            • इसमें ऐंठन, बार-बार होने वाली हरकतें या शरीर का अकड़ना शामिल हो सकता है।
            • कुछ व्यक्तियों को अनुपस्थिति दौरे का अनुभव हो सकता है, जो कुछ सेकंड के लिए अंतरिक्ष में घूरते हुए प्रतीत हो सकते है।
            • अजीब स्वाद, गंध या दृश्य गड़बड़ी के रूप में प्रकट हो सकते है।
            • कुछ दौरे तीव्र भावनाओं या मतिभ्रम का कारण बन सकते है।
            • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि लक्षण व्यक्तियों में अलग-अलग होते है, और सभी दौरे एक जैसे नहीं होते है।

            मिर्गी का इलाज !

            मिर्गी के उपचार में अक्सर दृष्टिकोणों का संयोजन शामिल होता है, जैसे ;

            दवा : 

            मिर्गी-रोधी दवाओं (एईडी) का उपयोग आमतौर पर दौरे के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए किया जाता है। निर्धारित दवा का प्रकार मिर्गी के प्रकार और व्यक्ति की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।

            केटोजेनिक आहार : 

            कुछ व्यक्तियों को उच्च वसा, कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार से लाभ हो सकता है, जिसे केटोजेनिक आहार के रूप में जाना जाता है, जो दौरे की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में मदद कर सकते है।

            सर्जरी : 

            ऐसे मामलों में जहां दौरे स्थानीयकृत होते है और दवा के प्रति प्रतिरोधी होते है, दौरे का कारण बनने वाले मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्र को हटाने के लिए सर्जरी एक विकल्प हो सकता है।

            वेगस तंत्रिका उत्तेजना (वीएनएस) : 

            इस उपचार में एक उपकरण शामिल होता है जिसे शल्य चिकित्सा द्वारा प्रत्यारोपित किया जाता है और वेगस तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क में विद्युत ऊर्जा के नियमित स्पंदन भेजता है, जिससे दौरे को रोकने में मदद मिलती है।

            जीवनशैली में बदलाव : 

            तनाव को प्रबंधित करना, पर्याप्त नींद लेना, शराब या नशीली दवाओं से परहेज करना और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना दौरे को नियंत्रित करने में योगदान दे सकता है।

            आवश्यकतानुसार उपचार योजना को बनाना और समय पर इसके इलाज और जांच के लिए आपको डॉक्टर का चयन जरूर से करना चाहिए।  

            यदि आप मिर्गी के दौरे का इलाज करवाए तो इसके लिए आपको लुधियाना में बेस्ट न्यूरोसर्जन का चयन करना चाहिए।

            मिर्गी के सर्जरी का चयन कब करें !

            • किसी भी अन्य चिकित्सीय स्थिति की तरह, मिर्गी के कारण होने वाले गंभीर दौरे में प्राथमिक देखभाल की आवश्यकता होती है। फोकल मिर्गी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति का इलाज एईडी से नहीं किया जा सकता है या यदि स्थिति किसी के जीवन में गंभीर हानि पैदा कर रही है तो उसे सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। 

            मिर्गी की सर्जरी निम्न स्थिति होने पर करें ;

            • दौरे बंद करें या उनकी तीव्रता कम करें। 
            • सर्जरी के दुष्प्रभावों को कम करें। 
            • दौरे से होने वाली मौतों की संख्या कम करें। 
            • सर्जरी में मस्तिष्क के उस हिस्से को हटाना शामिल होता है जहां दौरे पड़ते है। यह आमतौर पर तब प्रभावी होता है जब दौरा मस्तिष्क के केवल एक हिस्से में होते है। न्यूरोलॉजिस्ट हमेशा सर्जरी की सलाह नहीं देते है जब तक कि दो एईडी दौरे को रोकने में विफल न हो जाएं। 
            • अध्ययनों ने दौरे पर नियंत्रण और मानसिक लक्षणों के लिए मिर्गी सर्जरी के कई लाभ दिखाए है। इसके अलावा यह जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार ला सकते है। अतीत से यह स्पष्ट है कि सफल सर्जरी से जीवन प्रत्याशा बढ़ सकती है। 

            मिर्गी के दौरे में डॉक्टर का चयन कब करें ? 

            • एक जब्ती पांच मिनट से अधिक समय तक चलती है। 
            • दौरा रुकने के बाद सांस लेने या होश में आने में अधिक समय का लगना। पहले दौरे के तुरंत बाद दूसरे दौरे का पड़ना।
            • यदि आप गर्मी के थकावट, तेज बुखार का अनुभव कर रहे है।
            • आप गर्भवती है।
            • आपको मधुमेह है।
            • जब्ती के दौरान आप खुद को चोट पहुँचाते है।
            • दौरा पड़ने से पहले आपके शरीर के एक तरफ अचानक सिरदर्द, सुन्नता या कमजोरी का अनुभव होना स्ट्रोक का संकेत हो सकते है और ऐसी स्थिति में आपको डॉक्टर का चयन जरूर से करना चाहिए।

            मिर्गी के दौरे से कैसे करें खुद का बचाव ? 

            • मिर्गी की समस्या से पीड़ित लोगों को भी कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। 
            • इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को तनाव बिल्कुल भी नही लेना चाहिए, साथ ही ऐसी जगह पर काम न करें जहां प्रेशर हो। 
            • जितना हो सके खुश रहें और अपने दिमाग को आराम दें। 
            • रिलैक्स होने से मांसपेशियों को भी काफी आराम मिलता है, इसलिए अपने रुटीन में मेडिटेशन, योग को शामिल करें। 
            • डाइट में विटामिन बी और मैग्ननीशियम जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें, इन चीजों के सेवन से दौरा पड़ने की संभावना कम रहती है। 

            सुझाव :

            मिर्गी के दौरे की समस्या अगर गंभीर हो तो इससे बचाव के लिए आपको न्यूरो सिटी हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। वहीं इस दौरे को कृपया नज़रअंदाज़ न करें बल्कि समय पर इसके इलाज के लिए आपको अनुभवी डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

            निष्कर्ष :

            मिर्गी एक जटिल न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो बार-बार दौरे पड़ने की विशेषता है। इसके विभिन्न प्रकारों को समझना, विविध लक्षणों को पहचानना और उपलब्ध उपचारों की खोज करना मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों की स्थिति को प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण कदम है। चिकित्सा विज्ञान में चल रहे अनुसंधान और प्रगति के साथ, बेहतर उपचार और मिर्गी की गहरी समझ की उम्मीद बढ़ती जा रही है।

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              मिर्गी के लक्षण,कारण और उपाय जानकर आप भी होंगे हैरान ?

              मिर्गी का दौरा बहुत ही खतरनाक है, क्युकि ये व्यक्ति को कही भी और किसी भी समय अपना शिकार बना सकती है। इसलिए आज का कंटेंट खास हमने इस लिए बनाया है, की अगर कोई इस परेशानी को झेल रहा है। तो वो इससे अपने आप को कैसे बाहर निकाल सकते है। तो शुरुआत करते है, इस परेशानी से खुद को बहार कैसे निकाले उसके बारे में।

              क्या मिर्गी कोई बीमारी है ?

              • मिर्गी कोई संक्रमण या बीमारी नहीं है। यह मानसिक बीमारी या मानसिक कमजोरी के कारण नहीं होता है। अधिकतर मामलों में मिर्गी के कारण पड़ने वाले दौरों से मस्तिष्क पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन कभी-कभी दौरों के कारण मस्तिष्क को क्षति जरूर पहुंच सकती है।
              • मिर्गी का दौरा पड़ना इसके अनुवांशिक कारण को भी दर्शाता है। दूसरी और इसके दौरे पड़ने का कोई एक समय निश्चित नहीं है। ये समस्या किसी भी समय उत्पन हो सकती है।

              क्या मिर्गी वाकई बीमारी है या नहीं, इसके बारे में आप बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना से संपर्क करके भी जान सकते है।

              मिर्गी क्या है ?

              मिर्गी क्या है, इसके बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

              • मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका गतिविधि में व्यवधान के कारण दौरे और असामान्य व्यवहार की छोटी अवधि, संवेदना और चेतना के नुकसान की विशेषता को दर्शाती है।
              • जब मिर्गी का दौरा पड़ता है, तो मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिका की गतिविधि बाधित होती है। जिसके फलस्वरूप मरीज को दौरे पड़ते हैं, वह बेहोश हो सकता है या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार कर सकता है।

              किस कमी से मिर्गी का दौरा पड़ता है?

              मिर्गी का दौरा किस कमी की वजह से पड़ता है, उसे हम निम्न में प्रस्तुत कर रहे ;

              • विटामिन बी 6 (पाइरीडॉक्सिन) की कमी की वजह से मिर्गी का दौरा पड़ता है। इसलिए इस कमी को दूर करने के लिए आपको मछली, बीफ लीवर और अन्य अंग मांस, आलू और अन्य स्टार्च वाली सब्जियां, और फल (साइट्रस के अलावा) जरूर खाना चाहिए।

              मिर्गी के दौरे का कारण क्या है ?

              इसके दौरे के निम्नलिखित कारण है ;

              • आनुवंशिक कारण।
              • ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट का होना।
              • एड्स की बीमारी का उत्पन होना।
              • जन्म से पहले शिशु के सिर में चोट लगना।
              • अत्यधिक शराब या नशीली दवाओं का सेवन।

              लक्षण क्या है, मिर्गी के दौरे का ?

              इसके लक्षणों को जान कर आप इससे खुद का बचाव कर सकते है, जैसे ;

              • अंगों का अनैच्छिक और अनियंत्रित तरीके से मुड़ना।
              • भ्रम और घूरने के मानसिक लक्षण।
              • अचानक खड़े-खड़े गिर जाना।
              • शरीर में झुनझुनी और सनसनी का होना।
              • चेहरे, गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके आना।

              मिर्गी के दौरे में कौनसी दवाई है, सहायक ?

              • यदि आपको मिर्गी के दौरे पड़ रहे है, तो आपको डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। क्युकि ऐसे में डॉक्टर आपको एंटी-सीज्यूर दवाई निर्धारित करेंगे, जिससे आपके मिर्गी के दौरे की गंभीरता को कम किया जा सकता है।

              निष्कर्ष :

              मिर्गी की समस्या कोई खतरनाक समस्या नहीं है, पर जब तक ये गंभीर न हो जाए तब तक। इसलिए इसके गंभीर होने से पहले ही किसी अच्छे डॉक्टर या न्यूरो सिटी हॉस्पिटल से आपको संपर्क करना चाहिए। इसके इलावा यदि आप मिर्गी का इलाज करवाना चाहते हो तो उपरोक्त लक्षणों को देख कर ही करवाने के बारे सोचना। इसके इलावा अगर आपके लक्षण गंभीर नहीं है, तो आप उपरोक्त दवाई भी ले सकते है, पर डॉक्टर से सलाह जरूर ले।

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                जानें मिर्गी (Epilepsy – Seizure) के दौरे को रोकने में कैसे मददगार है इसके सहायक उपचार ?

                 मिर्गी क्या हैं ?

                 मिर्गी को हम केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक विकार कहते है, जिसकी स्थिति में मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिका की गतिविधि बाधित होती है। नतीजतन, मरीज को दौरे पड़ते हैं, वह बेहोश हो सकता है या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार भी कर सकता है।

                मिर्गी कोई संक्रमण बीमारी नहीं है। और न ही ये मानसिक बीमारी या मानसिक कमजोरी के कारण होता है। बल्कि कई बार मिर्गी के कारण पड़ने वाले दौरों से मस्तिष्क पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन कभी-कभी दौरों के कारण मस्तिष्क को क्षति जरूर पहुंच सकती है।

                जैसा की हमने कहा की मिर्गी कोई बीमारी नहीं हैं जिस वजह से ये किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में देखा जाए तो यह छोटे बच्चों और अधेड़ उम्र के लोगों में देखने को ज्यादा मिलता है। तो वहीं मिर्गी का इलाज करने के कई अलग-अलग तरीके मौजूद हैं। जैसे मिर्गी के उपचार में मेडिटेशन, सर्जरी और दवा आदि शामिल हैं। जिनका विस्तार से वर्णन हम इस पूर्ण लेखन में करेंगे।

                मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण क्या हैं ?

                इसके दौरे पड़ने के अनेक कारण हैं जिनका वर्णन हम निम्न कर रहें हैं,..

                • आनुवंशिक कारण।
                • सिर पर घातक चोट का लगना।
                • ब्रेन ट्यूमर का होना।
                • एड्स।
                • जन्म से पहले शिशु के सिर में चोट का लगना।
                • अत्यधिक शराब या नशीली दवाओं का सेवन।
                • शिशु के जन्म के दौरान मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी का होना।

                मिर्गी के लक्षण क्या हैं ?

                मिर्गी के लक्षणों को हम निम्न प्रस्तुत कर रहें हैं :-

                • अचानक गुस्सा होना।
                • चक्कर आना।
                • एक ही जगह पर घूमते रहना।
                • मेमोरी का लॉस होना।
                • बिना किसी कारण के स्तब्ध रह जाना।
                • अचानक खड़े-खड़े गिर जाना।
                • शरीर में झुनझुनी और सनसनी का होना।
                • लगातार ताली बजाना या हाथ रगड़ना।
                • चेहरे, गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके का आना।
                • अचानक से डर जाना।

                अगर आप खुद में या अपने परिवार के किसी सदस्य में ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो जल्द से जल्द बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट लुधियाना में इनका चयन कर इनसे परामर्श ले।

                इलाज क्या हैं मिर्गी के दौरे का ?

                मिर्गी के दौरे से निज़ात दिलवाने के लिए डॉक्टर निम्न इलाज करवाने की सलाह देते हैं, जिनको हम निम्न प्रस्तुत करेंगे,..

                • एंटी-एपिलेप्टिक दवाओं के सेवन से दौरों की संख्या को कम किया जा सकता हैं।
                • दौरे को रोकने के लिए वेगस तंत्रिका उत्तेजना की मदद से बिजली द्वारा गर्दन से लेते हुए तंत्रिका को उत्तेजित करना।
                • जिन लोगों पर दवाओं का असर नहीं होता डॉक्टर उन्हें केटोजेनिक आहार (कार्बोहाइड्रेट वाले आहार) लेने का सुझाव देते हैं।
                • जो हिस्सा मस्तिष्क में दौरे की वजह बनता हैं उसे सर्जरी की मदद से हटाना।
                • मिर्गी की दवाई का सेवन इसके दौरे के स्तर को काफी हद तक कम कर देती हैं।

                यदि मिर्गी के लक्षणों को जानने के बाद आप भी परेशान हैं तो बिना समय गवाए किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट का चयन करें या फिर आप न्यूरोसिटी हॉस्पिटल का चुनाव भी कर सकते हैं क्युकि इस हॉस्पिटल में बेहतरीन आधुनिक उपकरणों की मदद से मरीज़ो का इलाज अच्छे से किया जाता हैं।

                निष्कर्ष:

                मिर्गी के लक्षणों के बार्रे में यदि आप जान गए है, तो बिना समय बर्बाद किए किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से इसके बारे में सलाह ले। ताकि इस पर रोक लगाया जा सकें। और इस बीमारी से निकलने में आप कारगर सिद्ध हो सके।

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                  मिर्गी के दौरे आने पर क्या करना चाहिए?

                  मिर्गी के दौरान कोनसे लक्षण सामने आते हैं और इसमें क्या करना चाहिए ?           

                  मिर्गी (Epileptic seizures)

                  मिर्गी एक बहुत ही आम बीमारी बनती जा रही है, जिसके लिए सही कदम उठाना बहुत ही महत्वपूर्ण है | यह बीमारी मानसिक रोग से सम्बंधित है जिसमे एक व्यक्ति को दौरे पड़ने लगते हैं | इन दौरों को मेडिकल परिभाषा में मिर्गी भी कहा जाता है | इस समस्या के दौरान व्यक्ति के अंग अपने आप ही बहुत ज़ोर के हिलने लगते है है | यह कह सकते है की इंसान का खुद के ऊपर कोई भी नियंत्रण नहीं होता है |

                  इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए मैंने इस ब्लॉग में कुछ बातों पर गौर किआ है, अगर आपके आस पास किसी को भी यह समस्या हो तो आप सही कदम उठा सके | मिर्गी के दौरान व्यक्ति को तो कोई होश नहीं होता तो इसे लिए आस-पास जितने भी लोग है या जो भी करीबी जान है उनका सही कदम लेना बहुत ही महत्वपूर्ण है | सबसे जाने माने Neuro Hospital in Ludhiana के डॉक्टर्स ने इस ब्लॉग में लिखी गई बातों के बारे में बताया है|

                  मिर्गी के दौरान क्या होता है ?

                  जैसे की हमने ऊपर लिखा है की मिर्गी के दौरान मरीज़ को अपने शरीर पर कोई भी नियंत्रण नहीं होता है | पर हाँ ऐसी कुछ बातें है जिनसे यह पता लगाया जा सकता है की मिर्गी का दौरा पड़ने लगा है | कुछ ऐसे ही लक्षण और समस्याओं के बारे में निचे लिखा गया है:

                  • बेहोश हो जाना या एक दम से गिर जाना
                  • व्यक्ति का किसी बात पर कोई भी जवाब न देना
                  • व्यक्ति का अपने अंगों पर नियंत्रण खोना
                  • मांसपेशियां सिकुड़ जाना
                  • कुछ महसूस न कर पाना
                  • व्यक्ति के अंगों का जकड़ना
                  • सचेत न रहना
                  • व्यक्ति का अपने होंठ या नाखून को चबाना
                  • मल-मूत्र पर नियंत्रण न रहना (पेशाब को रोक न पाना)

                  यदि आपके आस पास कोई भी मिर्गी के दौरे से झूझ रहा है तो आप सबसे बेस्ट Neurologist in Ludhiana से सम्पर्क करें और यह जान लें की आप उस समय में उनकी मदद किस प्रकार कर सकते हैं |

                  मिर्गी के दौरे ख़तम होने के बाद क्या होता है?

                  जैसे ही व्यक्ति का मिर्गी का डोरा ख़तम होता है वह अपने होशो-आवाज़ में आ जाते है |  इसके साथ ही आप उनको अगर कुछ पूछें या बात करें तो वह आपको जवाब भी देते हैं | हाँ पर यह ज़रूर है की उनको कुछ देर के लिए बहुत ही घबराहट महसूस होती है जो की बहुत ही आम बात है | इसके साथ ही मरीज़ को भी कुछ हुआ होता है उसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है | उनका पहले की तरह ही सामन्य व्यवहार हो जाता है |

                  ज़रूरी जानकारी!

                  जैसा की यह समझ सकते हैं की यह समस्या गंभीर है और यदि आपके आस पास कोई भी  झूझ रहा है तो आपको उनकी देख-भाल करने के लिए ट्रेनिंग लेनी चाहिए | ध्यान रखें की जब उनको सही समय पर उपचार मिल जाता है तो उनकी स्थिति को कंट्रोल करना बहुत ही आसान है |

                   

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